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मंगलवार, जुलाई 17, 2018

"हरेला उत्तराखण्ड का प्रमुख त्यौहार" (चर्चा अंक-3035)

मित्रों! 
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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"कहाँ खजाना गड़ा हुआ है" ? 

गजल - सत्य जेल में पड़ा हुआ है  
झूठ द्वार पर खड़ा हुआ है।।  
बाँट रहा वह किसकी दौलत  
कहाँ खजाना गड़ा हुआ है... 
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काश वापसी की कोई राह होती 

काश वापसी की कोई राह होती है न ...  
दृढ निश्चय फिर छोड़ा जा सकता है  
सारा संसार और मुड़ा जा सकता है  
वापस उसी मोड़ से  
लेकिन क्या संभव है  
सारा संसार छोड़ने पर भी  
उम्र का वापस मुड़ना... 
vandana gupta  
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भरोसा 

यकीन खुद पर इतना रख
देख तेरे बुलंद हौसलें को
डर खुद अपने आप से इतना डर जाये
फ़िर कभी ख़ाब में भी डराने तुझे पास ना आये
याद रख इतना इस संसार में
कमजोरों की कोई पहचान नहीं... 

RAAGDEVRAN पर 
MANOJ KAYAL 
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आई बरखा 

आई बरखा
मस्ती  छलकी
मन मयूर मचला
 सुंदरी वो थिरकी... 
 "(Hindi Poems) पर 
Neeraj Tyagi  
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6 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात बहुत बढ़िया संकलन

    जवाब देंहटाएं
  2. धन्यवाद, हरेला की शुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं
  3. कई मायनों में अप्रतिम रहा चर्चा मंच का आलोच्य अंक व्यंग्य विनोद से संयुक्त लघुकथा ,चित्रों में साहित्यिक उपलब्धियां गोष्ठियों का शानदार छायांकन लोक उत्सव पर शास्त्रीजी का विशेष आलेख सब कुछ मनभावन रहा। कबिरा खड़ा बाज़ार में को आपने जगह दी शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
  4. बढ़िया मंगलवारीय चर्चा प्रस्तुति। आभार आदरणीय 'उलूक' के सोच के हथौड़े को भी जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  5. उम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।

    जवाब देंहटाएं

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