मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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पहचान
पहरेदार ज़माना जो बन बैठा
हमनें भी फ़िर आशिक़ी में
तेरी पहचान को अपनी गुमशुदा बना दिया
इश्क़ ही हैं सरफ़िरे दीवानों का मजहब
इस हक़ीक़त से ज़माने को रूबरू करा दिया...
RAAGDEVRAN पर MANOJ KAYAL
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कविता का सन्देश
कविता सन्देश
अन्तः का
पहुंचाती है
जन-जन तक
कविता होती है
विधि सापेक्ष;
विधि निरपेक्ष ,
कुछ उसी तरह
जैसे विधि ही है
सापेक्ष,निरपेक्ष....
अन्तः का
पहुंचाती है
जन-जन तक
कविता होती है
विधि सापेक्ष;
विधि निरपेक्ष ,
कुछ उसी तरह
जैसे विधि ही है
सापेक्ष,निरपेक्ष....
Dr.J.P.Tiwari
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प्रेम का विलोप-काल
कल बातों-बातों में देश और प्रेम की बातें हुईं...मेरा मानना है कि देश की स्थिति पर चर्चा या तो बहुत गहन तरीक़े से हो सकती है या नहीं हो सकती, ऊपरी तौर पर छूकर निकल जाएँ ऐसा हो ही नहीं सकता। मुझे इस विषय पर कुछ भी लिखने से पहले ख़ुद भी कई बातों और अपने विचारों में सामंजस्य बिठाने और ख़ुद को टटोलने की ज़रूरत है, जहाँ कार्य प्रगति पर है। रही प्रेम की बात..तो अभी लगता है कि देश में "प्रेम का विलोप-काल" चल रहा है। प्रेम अब अपनी सहजता और वो अपनापन खोता हुआ नज़र आ रहा है, जिसके बल पर उसका वजूद है। लोगों में इस क़दर ईर्ष्या, द्वेष और घृणा का भाव है...
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जो निकली हैं जुस्तजू किधर जाएगी
पगली लड़की हैं बारिशो मे भीग लौट आयेगी
जो दुनिया हैं बाहर तुम्हारे ख्वाबो के इतर
हर मोड़ पर तुम्हे गिराएगी रुलायेगी...
the missed beat पर जफर
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मत काटो इन पेड़ो को
नमस्कार, स्वागत है आप सभी का यूट्यूब चैनल "मेरे मन की" पर| "मेरे मन की" में हम आपके लिए लाये हैं कवितायेँ , ग़ज़लें, कहानियां और शायरी| आज हम लेकर आये है कवियत्री दीपीका महेश्वरी जी की सुन्दर कविता
"मत काटो इन पेड़ो को"
Mere Man Kee पर
Rishabh Shukla
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पथ परिचायक
purushottam kumar sinha
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हादसा (कहानी )
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बारिश और मेरा मन
होने को हो रही है बारिश
मन न बूंद से जुड़ता है
न मिट्टी से और न पौधों से...
बेचैन आत्मा पर
देवेन्द्र पाण्डेय
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
अब तो पूजा-पाठ से, मोह हो गया भंग।
जवाब देंहटाएंसी.डी. में ही कर रहे, पण्डित जी सत्संग।।
आज के पूरे परिवेश को समेटे है ये दोहावली। गुरु किसी शरीर का नाम नहीं है।
ज्ञान ही गुरु है और गुरु ही ज्ञान है,
चाहे इसे श्री गुरुग्रंथसाहब कहो ,गीता या कुरआन कहो।
गुरु ही जीपीएस है ,व्यापक गुरु का ज्ञान ,
मद माया के अंध तू जान सके तो जान।
अति सारगर्भित दोहावली सुप्रिया शास्त्री जी की।
साधना वैद जी ने मार्ग बतला दिया है :
जवाब देंहटाएंआपका पुरुषार्थ ,निरंतर किया गया प्रयत्न ही आपकी लिखता है तकदीर
मत भूलो नादान कि
किस्मत भी तब ही चमकेगी
मन में हो संकल्प और पुरुषार्थ
तभी दमकेगी !
हार्दिक आभार वीरू जी !
हटाएंसुन्दर शनिवारीय प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सार्थक सूत्र आज के चर्चामंच में ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंग़ैर की किस्मत और अपनी बुद्धि अच्छी लगती है, भले ही हो ना हो !
जवाब देंहटाएंखूबसूरत चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंशामिल करने के लिए शुक्रिया :))
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