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मंगलवार, जुलाई 24, 2018

"अज्ञानी को ज्ञान नहीं" (चर्चा अंक-3042)

मित्रों! 
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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मैं 

जीवन की हर ख़ुशी तुम से शुरू होकर  
तुम पर ही क्यों खत्म हो ?  
जब इस दुनिया में हम अकेले आते हैं 
और अकेले ही जातें हैं 
तो फिर हर बार हर जगह तुम क्यों ? 
तुम तुम की रट छोड़ कर मैं, 
अपने मैं से खुश नहीं रह सकती क्या... 

प्यार पर Rewa tibrewal 
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आँखों की गुस्ताखियाँ 

बात सन 87 की है। पंजाब के बाद इंदिरा जी की हत्या और उसके बाद दिल्ली पंजाब और आसपास का इलाका बेहद अस्थिर दौर से गुजर रहा था। उसी समय हमारा वैष्णोदेवी श्रीनगर बद्रीनाथ केदारनाथ गंगोत्री और यमुनोत्री जाने का कार्यक्रम बना। लगभग एक महीने का टूर था मम्मी पापा दोनों भाई मैं हमारी फिएट कार से एक ड्राइवर को लेकर बैतूल से निकल पड़े। ग्वालियर आनंद होते हुए दिल्ली पहुंचना था और एक परिचित ने बहुत जोर देकर कहा था कि आप वहाँ हमारी बहन के घर ही ठहरें। वह मोबाइल गूगल का जमाना नहीं था और एक कागज पर लिखा पता लेकर जब हम दिल्ली शहर में प्रविष्ट हुए तो माहौल भयावह था... 

कासे कहूँ? पर kavita verma  
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कविता: उपदेशों की गंगा 

हींग लगे ना फिटकरी, रंग आ जावे, चोखा। 
उपदेश दे कर जग में, ठग भी दे जावे, धोखा। 
बस उपदेशों के ऊपर प्रस्तुत है मेरी ये रचना: 
राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता  
404/13, मोहित नगर देहरादून... 
Rajendra Prasad Gupta 
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579.  

तपता ये जीवन  

(10 ताँका) 

1.   
अँजुरी भर   
सुख की छाँव मिली   
वह भी छूटी   
बच गया है अब   
तपता ये जीवन।   
2.   
किसे पुकारूँ   
सुनसान जीवन   
फैला सन्नाटा,   
आवाज घुट गई   
मन की मौत हुई... 
डॉ. जेन्नी शबनम  
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मैं 

Anjana Dayal de Prewitt  
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तुम जो सच कहने का फिर वादा करो ... 

नफरतों की डालियाँ काटा करो  
घी सभी बातों पे ना डाला करो  
गोपियों सा बन सको तो बोलना  
कृष्ण मेरे प्यार को राधा करो... 
Digamber Naswa 
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गिरती इमारतें दबता मध्यम वर्ग.... 

शाहवेरी में 2 इमारतें गिरी, अधिकारिक तौर पर 10 लोग मरे। पिछले 2 दिनो में कई अन्य हादसे भी हुये। तमाम लोगों को अपने घर ख़ाली करने पड़े। तमाम परिवार किसी अनहोनी और आशंका के भय में जीने को मजबूर हुये। ये हम सब ने सुना कि दोषी बक्से नहीं जायेंगे ।पर विडम्बना देखिये इच्छा शक्ति देखिये कि प्राधिकरण के किसी अभियंता या अधिकारी पर आपराधिक मुक़दमा दर्ज नहीं हुआ। निबंधन विभाग के किसी अधिकारी पर मुक़दमा दर्ज नहीं हुआ? लोन बाटने वाली बैंक को चिन्हित नहीं किया गया। दरअसल, इन्हें बढ़ावा दिया गया। लोगों की मेहनत कि कमायी को हवा कर दिया गया.... 
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मोदी को पकड़कर  

वैतरणी पार करना 

लोकतंत्र में छल की कितनी गुंजाइश है यह अभी लोकसभा में देखने को मिली। कभी दादी मर गयी तो कभी बाप मर गया से लेकर ये तुमको मार देगा और वो तुमको लूट लेगा वाला छल अभी तक चला है, लेकिन शुक्रवार को नये प्रकार के छल का प्रयोग किया गया! प्यार का छल! हम सबसे प्यार करते हैं, दुश्मन से भी गले लग जाते हैं, हम प्यार के मसीहा हैं! सत्ता के लिये छल के तो लाखों उदाहरण राजशाही में देखे जाते हैं लेकिन लोकतंत्र में भी प्यार का छल यह नया प्रयोग था। इस छल से तो पीठ में छुरा ही घोंपा जाता है, दूसरी तो कोई बात हो ही नहीं सकती। लोकतंत्र में सत्ता की प्राप्ति तो जनता द्वारा होती है... 

7 टिप्‍पणियां:

  1. विस्तृत चर्चा सूत्र ...
    आभार मेरी ग़ज़ल को आज जगह देने के लिए ...

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर मंगलवारीय चर्चा अंक। आभार आदरणीय 'उलूक' के पन्ने को भी जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  3. बढ़िया संयोजन , आभार मुझे भी स्थान देने के लिए !

    जवाब देंहटाएं

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