मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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ग़ज़ल
"उन्हें हम प्यार करते हैं"
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बाल कविता
"कागज की नाव"
( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
बारिश की रुत बड़ी सुहानी
आसमान से बरसा पानी...
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ओ कालीदास के मेघदूत
ओ कालीदास के मेघदूत
कहाँ हो तुम ?
क्या तुमने भी कलयुग में आकर
अपनी प्रथाएँ और
परम्परायें बदल ली हैं ?
क्योंकि
नहीं करते ये मेघ अब
विश्वसनीय दूत का काम...
Sudhinama पर sadhana vaid
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मन एकाकी आज...
शशि पाधा
चहुँ ओर प्रकृति का आह्लाद
फिर क्यों मन एकाकी आज?
प्राची का अरुणिम विहान
नव किसलय का हरित वितान
रुनझुन-रुनझुन वायु के स्वर
नीड़-नीड़ में मुखरित गान...
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बन्द रास्ते
मेरी भावनायें...पर रश्मि प्रभा...
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जो ये श्वेत,आवारा , बादल --
कविता
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576.
भाव और भाषा
(चोका)
भाषा-भाव का
आपसी नाता ऐसे
शरीर-आत्मा
पूरक होते जैसे,
भाषा व भाव
ज्यों धरती-गगन
चाँद-चाँदनी
सूरज की किरणें...
लम्हों का सफ़र पर डॉ. जेन्नी शबनम
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लगता है पानी बरसेगा...
लगता है पानी बरसेगा,
बदरी छाई है।
ठहर ठहर टपके है पानी
कभी भाप उठता उमस भरा मौसम है,
कौआ कांव-कांव करता
लगता है पानी बरसेगा,
बिल्ली आई है...
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नमक समंदर था
जीवन नदियों से चला
और समन्दर पर ठहर गया
बस और क्या था
नमक ही नमक...
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शाश्वत पथ
अग्निशिखा : पर
Shantanu Sanyal
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जहाँ होए अँधेरा
अनकहे बोल पर
anchal pandey
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"स्त्री ...."
एक नज़्म
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भौतिकवाद मानवतावाद को
रौंदता चला जा रहा है.
इंसानियत कराह रही है.…
कुँवर कुसुमेश
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ब्रेड को फ्रिज में क्यों नहीं रखना चाहिए?
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परख :
जो कहूँगी सच कहूँगी
(कमल कुमार) :
हरीश नवल
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I am in love
पहला प्यार! कितना खूबसूरत ख्वाब है! जैसे ही किसी ने कहा कि पहला प्यार, आँखे चमक उठती है, दिल धड़कने लगता है और मन कहता है कि इसे बाहों में भर लूँ। लेकिन प्यार की कसक भी अनोखी होती है, प्यार मिल जाए तो सबकुछ खत्म, लेकिन नहीं मिले तब जो घाव दे जाए वो कसक। प्यार पाना नहीं है अपितु खोना है, जो कसक दे जाए बस वही प्यार है। बचपन में जब होश सम्भाला तब प्यार का नाम ज्यादा मुखर नहीं था, चोरी-छिपे ही लिया जाता था और चोरी-छिपे ही किया जाता था। जिसने प्यार किया और कसक बनाकर मन में बसा लिया, उसके किस्से भी सुनाई देने लगे थे लेकिन जिसने प्यार किया और घर बसा लिया...
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पहली फुहार
टपकता पसीना
सूखे नदी नाले
सूखे सरोवर सारे
पिघलते हिम खंड
कराते अहसास गर्मीं का...
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काश पापा आज आप होते
काश मैंने आपके सामने लिखना शुरू किया होता
काश मैं अपनी पहली किताब आपको भेंट कर पाती
काश आप अख़बार में अचानक
मेरी लिखी कविता पढ़ते
और सबको पकड़ पकड़ कर बताते
मेरी हर उपलब्धि...
प्यार पर Rewa tibrewal
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्र सार्थक चर्चा ! आज के इस अंक में मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंbahut bahut shukriya aur aabhaar aapka !
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर क्षमा प्रार्थी हूँ कि देर से उपस्थित हो पाई | सार्थक अंक में मेरे रचना शमिल करने के लिए आभारी रहूंगी |सादर --
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