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रविवार, जुलाई 22, 2018

"गीत-छन्द लिखने का फैशन हुआ पुराना" (चर्चा अंक-3040)

मित्रों! 
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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सुनाती हूँ गज़ल  

( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ) 

उठाती हूँ मैं हाथों को
 दुआओं के लिए जब जब

 तेरी तस्वीर आंखों में
 सदा मेरे उतरती है... 
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सुंदरता के मापदंड 

सुंदरता के मापदंड क्या हैं ?   
ये मुझे कभी समझ नहीं आया  
पर जितना समझा उससे लगा  
सूरत तो है ही पर सीरत सबसे अहम है... 
प्यार पर Rewa tibrewal  
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धूप 

Sunehra Ehsaas पर 
Nivedita Dinkar 
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सो जा नन्हे-मुन्हे सो जा 

नमस्कार, स्वागत है आप सभी का यूट्यूब चैनल "मेरे मन की" पर| "मेरे मन की" में हम आपके लिए लाये हैं कवितायेँ , ग़ज़लें, कहानियां और शायरी| आज हम लेकर आये है कवि आनंद शिवहरे जी की सुन्दर कविता "सो जा नन्हे-मुन्हे सो जा"| आप अपनी रचनाओं का यहाँ प्रसारण करा सकते हैं और रचनाओं का आनंद ले सकते हैं... 
Mere Man Kee पर 
Rishabh Shukla  

मातृभूमि ! 

मातृभूमि ! ज्यादातर या सरल भाषा में कहा जाए तो जो इंसान जहां जन्म लेता है, वही उसकी मातृभूमि कहलाती है। पर आज दुनिया सिमट सी गयी है। रोजी-रोटी, काम-धंधे या बेहतर भविष्य की चाहत में लोग विदेश आने-जाने लगे हैं। तो ऐसे लोगों की संतान का जन्म यदि दूसरे देश में होता है तो उसकी मातृभूमि कौन सी कहलाएगी ? उसकी वफादारी किस देश के साथ होगी ? जहां उसने जन्म लिया है या फिर उस देश के प्रति जिसको उसने देखा ही नहीं है..... 
कुछ अलग  सा परगगन शर्मा 
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कविता:  

"बदरा की आत्मकथा" 

सारांश:
सभी     इस       बात    का,               ध्यान         रखना,     ज़्यादा। जब      भी    बरसे   बदरा,            इसके   पानी   का,            तब    हो  सरंक्षण            इसी में हम सबका,    फायदा।
बदरा   की   आत्मकथा   से  शुरू  होतीऔर अंत में इस शिक्षा को देतीमेरी ये कविता: ...
Rajendra Prasad Gupta  
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नीरज जी को नमन 

*गीत उन्मन है, ग़ज़ल चुप है, रूबाई है दुखी*
*ऐसे माहौल में ‘नीरज’ को बुलाया जाए*
इस गीत ने नीरज जी का दीवाना बना दिया मुझे । मित्रो नीरज जी का जबलपुर आना जाना उस दौर में लगा रहता था जब हम भी स्कूल और कॉलेज के दौर में थे । दरअस्ल उस दौर का युवा कान्वेन्ट वाला न था । उसे सुकोमल भावना को पल्लवित पुष्पित करने हिंदी कविता के इर्दगिर्द होना पसंद था । *नीरज जी के सुरों पर सवार शब्दों के शहज़ादे शाहज़ादियाँ जब उन्मुक्त होकर वातावरण में छाते तो प्रकृति संगीत देती नीरज जी का सृजन दिलो-दिमाग और छा जाता .* आज भी वे मंज़र आ जाते हैं सामने ।
नीरज जी जैसे लोग आज के मंचीय वातावरण के लिए चुनौती थे । उस दौर में सियासी नज़रिए से कम ही लिखा पढ़ा जाता था न ही मंच पर टोटके होते है । दौर अदभुत था कविवर सिरमौर थे दिल दिमाग में जिंदा हैं और रहेंगे नीरज जी
विनत श्रद्धा सुमन अर्पित हैं
अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए।
जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए... 
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दोहे  

"आज विदा नीरज हुए " 

( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )  

आते सब संसार में, लेकर अपना रूप।
जाते सब संसार से, क्या निर्धन क्या भूप।।

बालीवुड में आपने, लिखे सलोने गीत।
आज विदा नीरज हुए, छोड़ सभी से प्रीत।। 

राधे का संसार 


4 टिप्‍पणियां:

  1. नमन नीरज जी के लिये। सुन्दर रविवारीय प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  2. एक युग समाप्त हो गया,नीरजजी के जाने के साथ.
    कोई अपना चला गया,खालीपन छोड़ गया.
    गीत बने स्मृति चिन्ह.

    हार्दिक आभार शास्त्रीजी.

    जवाब देंहटाएं

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