मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
--
--
--
--
ब्लॉगिंग का एक साल
लेख
मय निरंतर प्रवाहमान होते अपने अनेक पड़ावों से गुजरता - जीवन में अनेक खट्टी - मीठी यनमे से कई पल यादगार बन जाते हैं | पिछले साल मेरे जीवन में भी शब्दनगरी से जुड़ना एक यादगार लम्हा बन कर रह गया | जनवरी --2017 में गूगल पर पढने की सामग्री ढूढ़ते हुए मेरा परिचय शब्द नगरी से हुआ | इस पर मैंने कई दन बहुत सी चींजे पढ़ीं तो जाना कि इस पर समय निरंतर प्रवाहमान होते हुए अपने अनेक पड़ावों से गुजरता हुआ - जीवन में अनेक खट्टी मीठी यादों का साक्षी बनता है जिनमे से कई पल अविस्मरनीय बन जाते हैं| पिछले साल शब्द नगरी से जुड़ना भी मेरे लिए एक यादगार लम्हा बन कर रह गया,,,
--
----- ॥ दोहा-पद १७ ॥ -----
साँझ सैँदूरि जोहती पिया मिलन की रैन |
हरिदय प्रीति बिबस भयो भयो पलक बस नैन ||
स्वजन सोँहि बैनत गए नैन पिया के पास |
लखत लजावत पियहि मुख बिथुरी अधर सुहास...
हरिदय प्रीति बिबस भयो भयो पलक बस नैन ||
स्वजन सोँहि बैनत गए नैन पिया के पास |
लखत लजावत पियहि मुख बिथुरी अधर सुहास...
NEET-NEET पर
Neetu Singhal
--
सुनहरे ख्वाब से दिन
सुबह सुबह कांच का गिलास टूटा
पर उसने अपने नर्म ऊंगलियों से उठाई
टूटे कांच के टुकडो को
सुबह ही था
जब उसने मां से बात किया
बताया कि जीने के लिये
पैसो से ज्यादा
भरोसे की जरुरत होती है ना मां
यह तुमसे ज्यादा और कौन जानता है...
हमसफ़र शब्द पर
संध्या आर्य
--
--
--
--
--
--
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया और आभार आपका ! सुन्दर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएं