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सोमवार, अक्टूबर 29, 2018

"मन में हजारों चाह हैं" (चर्चा अंक-3139)

सुधि पाठकों!
सोमवार की चर्चा में 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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ग़ज़ल  

" भूखा पेट "  

( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ) 

एक नन्हा सा दिया तम को मिटाने  गया। एक भूखा पेट अब कूड़ा उठाने  गया ।।
भूख से बेहाल काया दिख रही उसकी यहाँ। हाल अपनी मुफलिसी का वो दिखाने  गया... 
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घोड़ा ऐनक या होर्स ब्लाइंडर  

किस किस को समझ आ जाता है? 

सुशील कुमार जोशी  
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रावण के पुतला दहन में  

पटाखे छोड़ने की कहाँ मनाही है? 

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कितनी कमज़ोर हो गई है बीनाई इनकी , 

शब्दों के अर्थ भी भूल गए  

आज के 'नवजीवन' जैसे रिसाले ,अखबार ,समाचार।  

अभिधा ,लक्षणा व्यंजना  

क्या होती है ये क्या जाने 

Virendra Kumar Sharma  
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पुस्तक समीक्षा:  

कंगाल होता जनतंत्र–  

एम.एम.चन्द्रा 

subodh srivastava 
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ग़ज़ल :  

हमें मालूम है संसद में फिर ---  

हमें मालूम है संसद में कल फिर क्या हुआ होगा  
कि हर मुद्दा सियासी ’वोट’ पर तौला गया होगा... 
आनन्द पाठक  
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क्यों मचा फिर से मंदिर का शोर? 

जिज्ञासा पर pramod joshi  
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३३०.  

सुन्दर लड़की 

कविताएँ पर Onkar  
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अनकहे दो द्वार ..... 

झरोख़ा पर 
निवेदिता श्रीवास्तव 
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क्यों इन तारों को उलझाते..... 

महादेवी वर्मा 

sweta sinha  
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जग दुख का आगार है 

(कुंडलियाँ) 

जग दुख का आगार है नहीं रोइये रोज।  
रोना धोना छोड़ कर सुख के कारक खोज।।  
सुख के कारक खोज लगा लत नेक काम की।  
कर दुखियों की मदद फिकर नहीं कर इनाम की... 
Jayanti Prasad Sharma  
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MeToo अभियान:  

जाके पैर न फटी बिवाई,  

वो क्या जाने पीर पराई! 

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पथ के आकर्षण 

purushottam kumar sinha 

8 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर और सार्थक चर्चा।
    आपका आभार राधा बहन जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. सारगर्भित लिंकों से सजा आज का अंक बेहद आकर्षक है।
    सादर आभार राधा जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति। आभार राधा जी 'उलूक' के घोड़ा ऐनक को भी जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर सोमवारीय चर्चा।बहुत बहुत धन्यवाद रचना शामिल करने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  5. उम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, राधा दी।

    जवाब देंहटाएं

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