सुधि पाठकों!
सोमवार की चर्चा में
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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ग़ज़ल
" भूखा पेट "
( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
एक नन्हा सा दिया तम को मिटाने आ गया। एक भूखा पेट अब कूड़ा उठाने आ गया ।।
भूख से बेहाल काया दिख रही उसकी यहाँ। हाल अपनी मुफलिसी का वो दिखाने आ गया...
भूख से बेहाल काया दिख रही उसकी यहाँ। हाल अपनी मुफलिसी का वो दिखाने आ गया...
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घोड़ा ऐनक या होर्स ब्लाइंडर
किस किस को समझ आ जाता है?
उलूक टाइम्स पर
सुशील कुमार जोशी
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रावण के पुतला दहन में
पटाखे छोड़ने की कहाँ मनाही है?
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कितनी कमज़ोर हो गई है बीनाई इनकी ,
शब्दों के अर्थ भी भूल गए
आज के 'नवजीवन' जैसे रिसाले ,अखबार ,समाचार।
अभिधा ,लक्षणा व्यंजना
क्या होती है ये क्या जाने
Virendra Kumar Sharma
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पुस्तक समीक्षा:
कंगाल होता जनतंत्र–
एम.एम.चन्द्रा
कमला कृति पर
subodh srivastava
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ग़ज़ल :
हमें मालूम है संसद में फिर ---
हमें मालूम है संसद में कल फिर क्या हुआ होगा
कि हर मुद्दा सियासी ’वोट’ पर तौला गया होगा...
आपका ब्लॉग पर
आनन्द पाठक
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क्यों मचा फिर से मंदिर का शोर?
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३३०.
सुन्दर लड़की
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क्यों इन तारों को उलझाते.....
महादेवी वर्मा
मेरी धरोहर पर
sweta sinha
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जग दुख का आगार है
(कुंडलियाँ)
जग दुख का आगार है नहीं रोइये रोज।
रोना धोना छोड़ कर सुख के कारक खोज।।
सुख के कारक खोज लगा लत नेक काम की।
कर दुखियों की मदद फिकर नहीं कर इनाम की...
मन के वातायन पर
Jayanti Prasad Sharma
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MeToo अभियान:
जाके पैर न फटी बिवाई,
वो क्या जाने पीर पराई!
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पथ के आकर्षण
purushottam kumar sinha
सुन्दर और सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार राधा बहन जी।
सारगर्भित लिंकों से सजा आज का अंक बेहद आकर्षक है।
जवाब देंहटाएंसादर आभार राधा जी।
बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति। आभार राधा जी 'उलूक' के घोड़ा ऐनक को भी जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सोमवारीय चर्चा।बहुत बहुत धन्यवाद रचना शामिल करने के लिये।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, राधा दी।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स। आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
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