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शनिवार, अक्टूबर 06, 2018

"सुनाे-सुनो! पेट्रोल सस्‍ता हो गया" (चर्चा अंक-3116)

मित्रों! 
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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दोहे  

"लव कुश जिनके नाम" 

( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ) 

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 माता जिनकी जानकीऔर पिता है राम 
नमन करो उन देव कोलव कुश जिनके नाम... 
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सर्वोच्च राष्ट्रधर्म 

धर्म पर सियासत करना

शर्म की बात नहीं है तो और क्या

धर्म एक भावना है जो व्यक्तिगत

पर बार बार बहस बिना बात

क्या शोभा देती है ?शर्म आती है...
Akanksha पर 
Asha Saxena 
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मिथ्या 

हर मिथ्या भी एक सत्य हैं
जाने किसके पीछे क्या रहस्य हैं
हर तरफ फ़ैला हुआ एक भ्रम हैं
पिरोया हुआ जिसमें एक कटु सत्य हैं... 

RAAGDEVRAN पर 
MANOJ KAYAL 
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वह गुनाह की तरह  

पन्नों में दर्ज होती गई 

चाँद के दरवाजे पर
करवट बदलती रात
दाग चेहरे पर कैसे पडा उसके
ना उसे,ना अंधेरे को मालूम था
और ना ही चाँदनी को... 
संध्या आर्य 
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हल्दी राम , 

हल्दी चाय  

जित देखूं तित हल्दी 

जन्म से लेकर मृत्यु परंत हल्दी से हमारा रिश्ता रहा है। पूजा की थाली हो या दुल्हन का गोरा बदन हल्दी चढ़े तो खिले। कहीं पर किसी बिल से चींटियों की कतार निकलके पूरे घर में कश्मीरी अलगाव -वादियों की तरह फैलने लगे ,हल्दी पूर दीजिए बिल के गिर्द चींटियां भाग खड़ी होंगी।इसीलिए शव के गिर्द शव के निपटान से पूर्व एक हल्दी की रेख पूर दी जाती है। 
आँवा हल्दी अनेक रोगों में काम आती है। बचपन में जब गुम चोट लग जाती थी ,हल्दी की पुल्टिस बनाके चोट पर आहिस्ता से बाँध दी जाती थी। इन्फ्लेमेशन गायब। सूजन गायब। 
आश्चर्य नहीं ग्रीन टी के बाद आप हल्दी चाय को भी आज़माएँ और पाएं अरे साहब इसके तो कहने ही क्या बहुगुणी है हल्दी चाय... 
Virendra Kumar Sharma 
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6 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात,
    हमेशा की तरह बहुत शानदार रचनाये हैं और चर्चा काफी रोचक हूं।जफ़र को भी शामिल करने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात
    हमेशा की तरह मन मनभावन और बहुत ही सुन्दर चर्चा
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं

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