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बुधवार, अक्टूबर 17, 2018

"विद्वानों के वाक्य" (चर्चा अंक-3127)

मित्रों! 
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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नींद 


purushottam kumar sinha 
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रविकर के दोहे  

(16 Oct 2018)  

अच्छी बातें कह चुका, जग तो लाखों बार।  
किन्तु करेगा कब अमल, कब होगा उद्धार।।  
अच्छी आदत वक्त की, करता नहीं प्रलाप।  
अच्छा हो चाहे बुरा, गुजर जाय चुपचाप... 
रविकर  
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दशहरा 

Akanksha पर 
Asha Saxena  
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हमसफ़र 

प्यार पर Rewa tibrewal  
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10 टिप्‍पणियां:

  1. चला रहे जो माँग कर, अब तक अपना काम।
    दुनिया में होता नहीं, भिखारियों का नाम।।

    बढ़िया दोहावली शास्त्रीजी की :

    परिभाषित करती छंद मुक्तछंद ,
    शास्त्र बद्ध या स्वच्छंद।
    भाषण अब तक पढ़ रहे लिखवा कर श्री मान ,
    इनमें अपना कछु नहीं न कोई पहचान।
    veersa.blogspot.com
    veerujan.blogspot.com
    veerujibraj.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात आदरणीय
    सुन्दर सकलं
    मेरी रचना को स्थान देने हेतु आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं

  3. दोहों में करता रहा रविकर अपनी बात ,
    बात बात में बात से निकले है हर बात।
    खूबसूरत मैराथन दोहावली रविकर जी की :
    veersa.blogspot.com
    veerujan.blogspot.com
    veerujibraj.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  4. उम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,आदरणीय शास्त्री जी।

    जवाब देंहटाएं

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