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सोमवार, अक्टूबर 08, 2018

"कुछ तो बात जरूरी होगी" (चर्चा अंक-3118)

मित्रों! 
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 
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10 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात,
    सुबह की पावन बेला के साथ ये रंगभरी चर्चा अछि लगी।रचनाये बहुत अच्छी हैं।मुझे भी स्थान देने के लिए शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
  2. “रूप”-रंग पर गर्व न करना,
    नश्वर काया, नश्वर माया।
    बूढ़ा बरगद क्लान्त पथिक को,
    देता हरदम शीतल छाया।
    वाह ! लाज़वाब मरबे -हवा क्या कहने है तर्ज़े बयाँ के :
    झूठे रिश्ते झूठी काया ,
    सबको माया ने भरमाया
    रोवे तरह दिन तक तिरिया
    फ़िर एक नया बटेऊ आया ,
    तिरिया को उसने बहकाया ,
    माया को कोई समझ न पाया।
    blog.scientificworld.in
    vaahgurujio.blogspot.com
    nanakjio.blogspot.com
    veerujianand.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह ! बहुत ही सुन्दर सूत्रों से सजी आज की चर्चा ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे ! वैसे आज ब्लॉग पर सूचना नहीं थी ! कदाचित स्पैम में चली गयी होगी ! पुन: आभार आपका !

    जवाब देंहटाएं
  4. उम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।

    जवाब देंहटाएं

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