मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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रावण ने सीताहरण को
मुक्ति का मार्ग बनाया
मुझे बचपन से ही रामलीला देखने का बड़ा शौक रहा है। आज भी आस-पास जहाँ भी रामलीला का मंचन होता है तो उसे देखने जरूर पहुंचती हूँ। बचपन में तो केवल एक स्वस्थ मनोरंजन के अलावा मन में बहुत कुछ समझ में आता न था, लेकिन आज रामलीला देखते हुए कई पात्रों पर मन विचार मग्न होने लगता है। रामलीला देखकर यह बात सुस्पष्ट है कि इस मृत्युलोक में जिस भी प्राणी ने जन्म लिया है, उसकी मृत्यु सुनिश्चित है, चाहे वह भगवान ही क्यों न हो। एक निश्चित आयु उपरांत सबको इस लोक से गमन करना ही पड़ता है। रावण भी मृत्युलोक का वासी था, इसलिए उसने भी ब्रह्मा जी की तपस्या करके अभय रहने का वरदान तो मांगा ही साथ ही अप्रत्यक्ष रूप से अपनी मुक्ति का कारण भी बता दिया...
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MeToo का हासिल क्या है,
इसका जवाब कुछ इस तरह दिया जा सकता है:
मोदी सरकार में इस्तीफ़ा
Virendra Kumar Sharma
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दशहरे में हम तुम्हारा पुतला फिर जलाएंगे
किन्तु जरा भी भयभीत न होना तुम
पुतला ही तो जलेगा न
मौन ठीक नहीं पर
jagdish kumud
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राम और रावण की आपबीती,
रामलीला के बाद
अब छोड़ो भी पर
Alaknanda Singh
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मंदिर-दर-मंदिर
एक वही तो है
जो बदलता नही
मिलने की लाख कोशिश करने पर भी
शिकवा नही करता
जमाने से
हमसफ़र शब्द पर
संध्या आर्य
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जरूरत और फर्ज का धर्म
.... वह दिन और आज का दिन। सूत के कच्चे धागे ने दोनों परिवारों को ऐसा बाँधा कि 2002 की नफरत और नृशसंता शर्मिन्दा होकर उल्टे पाँवों लौट गई। सारे त्यौहार दोनों परिवार मिल कर मनाते हैं। ईद की सिवैयों के लिए केवड़े का सत् कोकिला बेन लाती हैं। होली की पापड़ियाँ महबूब भाई के यहाँ से बन कर आती हैं और मुहर्रम का सोग राणा परिवार मनाता है....
एकोऽहम् पर विष्णु बैरागी
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मैं तो प्रयागराज नाम के साथ हूं
को कहि सकहि प्रयाग प्रभाउ।
कलुष पुंज कुंजर मृग राउ।।
भरद्वाज मुनि अबहूं बसहिं प्रयागा।
किन्ही राम पद अति अनुरागा।।
याज्ञवल्क्य मुनि परम विवेकी।
भरद्वाज मुनि रखहि पद टेकी।।
'देव दनुज किन्नर नर श्रेनी।
सागर मंज्जई सकल त्रिवेनी...
कलुष पुंज कुंजर मृग राउ।।
भरद्वाज मुनि अबहूं बसहिं प्रयागा।
किन्ही राम पद अति अनुरागा।।
याज्ञवल्क्य मुनि परम विवेकी।
भरद्वाज मुनि रखहि पद टेकी।।
'देव दनुज किन्नर नर श्रेनी।
सागर मंज्जई सकल त्रिवेनी...
सरोकारनामा पर
Dayanand Pandey
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
शुभ प्रभात आदरणीय
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
मेरी रचना को स्थान देने के लिये सह्रदय आभार आदरणीय
सादर
सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंshukriyaa aur aabhaar aapkaa !
जवाब देंहटाएंमैं तो प्रयागराज नाम के साथ हूं
जवाब देंहटाएंदयानन्द पांडेय जी एक गुनगुनाहर पैदा कर दी आपके इस संस्कृति पोषक लघु कलेवर आलेख ने।
प्रयाग राज जिन तनिक न भाया ,
कलुष भरा उनके मन काया।
bironta05.blogspot.com
hariomtatsat05.blogspot.com
bironta05.blogspot.com
जवाब देंहटाएंhariomtatsat05.blogspot.com
आलोकित हो चमन हमारा।
हो सारे जग में उजियारा।।
चहके प्यारे सोन चिरैया कोमल सुकुमार भावनाओं का भाव गीत शास्त्री जी की कलम से बाँचकर मन आनंदित हुआ।
सुन्दर चर्चा। मेरी कविता शामिल की. आभार।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा हमें शामिल करने हेतु हृदय से आभार
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट चर्चा में शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंठग्स ऑफ हिंदोस्तान दुनियाभर में इतनी स्क्रींस पर होगी रिलीज़, बन जाएगा नया रिकॉर्ड
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