मित्रों!
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
--
--
कृपा कहाँ अटकी है, कौन जाने?
यूँ तो हर त्यौहारों पर घर की सफाई की परम्परा रही है किन्तु दीवाली पर इस साफ सफाई का जोश कई गुणित रहता है. कहते हैं कि लक्ष्मी जी आती हैं और अगर घर में गंदगी देखती हैं तो बिना कृपा बरसाये लौट जाती हैं. ऐसे में भला कौन रिस्क ले कि सिर्फ गंदगी के कारण धन दौलत मिलने का मौका हाथ से जाता रहे...
Udan Tashtari
--
प्रेम-किस्से ...
यूं ही हवा में नहीं बनते प्रेम-किस्से
शहर की रंग-बिरंगी इमारतों से ये नहीं निकलते
न ही शराबी मद-मस्त आँखों से छलकते हैं
ज़ीने पे चड़ते थके क़दमों की आहट से ये नहीं जागते
बनावटी चेहरों की तेज रफ़्तार के पीछे छिपी फाइलों के बीच
दम तोड़ देते हैं ये किस्से...
Digamber Naswa
--
--
--
--
--
--
--
विपरीत विचारों में होता आकर्षण
विपरीत विचारों में
होता आकर्षण
वही हाल हमारा है
कहने को तो मन नहीं मिलते
पर जितनी भी दूरी बनाओगे
हम उतने नजदीक होते जाएंगे
तुम्हारी बेवफाई का सिला
हम दम वफा से देंगे |
होता आकर्षण
वही हाल हमारा है
कहने को तो मन नहीं मिलते
पर जितनी भी दूरी बनाओगे
हम उतने नजदीक होते जाएंगे
तुम्हारी बेवफाई का सिला
हम दम वफा से देंगे |
Akanksha पर Asha Saxena
--
--
बैताल को ढोता विक्रमादित्य
मेरे अन्दर मेरी अनूभूति को समेटने का छोटा सा स्थान है, वह शीघ्र ही भर जाता है और मुझे बेचैन कर देता है कि इसे रिक्त करो। दूध की भगोनी जैसा ही है शायद यह स्थान, जैसे ही मन की आंच पाता है, उफन जाता है और बाहर निकलकर बिखर जाता है। मैं कोशिश करती हूँ कि यह बिखरे नहीं और यथा समय मैं इसे खाली कर दूँ। मेरे सामने पाँच-सात चेहरे हैं जो राजनीति के फलक पर स्थापित होना चाहते हैं, लगातार कोशिश में हैं, लेकिन कोशिश सफल नहीं होती...
--
बहु उपयोगी है लक्ष्मण फल
( Incredible Health Benefits Of Guabana
Or Soursop fruit now in Hindi )
Virendra Kumar Sharma
--
589.
अनुभूतियाँ
कुछ अनुभूतियाँ
आकाश के माथे का चुम्बन है
कुछ अनुभूतियाँ
सूरज की ऊर्जा का आलिंगन है
हर चाहना हर कामना
अद्भूत अनोखा अँसुवन है
न क्षीण न स्थाई कुछ
मगर ये भाव
सहज अनोखा बन्धन है।
डॉ. जेन्नी शबनम
--
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर सुरुचिपूर्ण संकलन। आभार।
जवाब देंहटाएंविस्तृत सुन्दर चर्चा हमेशा की तरह ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी रचना को जगह देने के लिए ...
बहुत ही सुन्दर रचनाओं का समायोजन
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह मन मनभावन प्रस्तुति
आभार आदरणीय चर्चा मंच पर मेरी रचना को स्थान दिया
सादर
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंअभ्यागत को देखकर, होना नहीं उदास।
करो प्रेम से आरती, रक्खो व्रत-उपवास।।
शुद्ध बनाने के लिए, आते हैं नवरात्र।
ज्ञानी बनने के लिए, पढ़ो नियम से शास्त्र।।
सुन्दर अर्थगर्भित मौज़ू दोहे शास्त्री जी के :
हर मौके की दोहावली लेकर आते आप ,
ज्ञान यज्ञ में आप ही हो जाता है जाप।
वाचिक ग्यानी मत बनो कहते हैं नवरात्र ,
मन कर्म वचन एक हों तभी बनोगे पात्र।
veerujidhuni.blogspot.com