मित्रों!
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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दोहे
"लाल बहादुर शास्त्री "
( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
सदा सादगी से रहे ,पूरे जीवनकाल।
लाल बहादुर का रहा, जीवन बड़ा कमाल...
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जिनके बिगड़े रहते हैं बोल
जिनके बिगड़े रहते हैं बोल,
बातों में विष देते घोल।
वे सोच समझ कर नहीं बोलते,
नहीं जानते शब्दों का मोल...
मन के वातायन पर
Jayanti Prasad Sharma
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भूख -भूख कूकर मर गयो ,
काज न एक सियार से भयो।
कूकर (वाचिक ग्यानी ,
कपिल सिब्बल ,मनीष तिवारी ,
दिग्विजय सिंह जैसे कथित ग्यानी )
Virendra Kumar Sharma
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एक ग़ज़ल :
जड़ों तक साज़िशें---
जड़ों तक साज़िशें गहरी ,सतह पे हादसे थे
जहाँ बारूद की ढेरी , वहीं पर घर बने थे
हवा में मुठ्ठियाँ ताने जो सीना ठोकते थे...
आपका ब्लॉग पर
आनन्द पाठक
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संवेदनाएं
विलख-विलख कर जब कोई रोता है,
क्यूँ मेरा उर विचलित होता है?
ग़ैरों की मन के संताप में,
क्यूँ मेरा मन विलाप करता है?
औरों के विरह अश्रुपात में,
बरबस यूँ ही क्यूँ....
द्रवित हो जाती हैं ये मेरी आँखें.....
क्यूँ मेरा उर विचलित होता है?
ग़ैरों की मन के संताप में,
क्यूँ मेरा मन विलाप करता है?
औरों के विरह अश्रुपात में,
बरबस यूँ ही क्यूँ....
द्रवित हो जाती हैं ये मेरी आँखें.....
purushottam kumar sinha
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत शुक्रिया और शुभकामनाएं ।
बढिया बढिया लिंक्स से सजा है आज का चर्चा मंच
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात आदरणीय
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
मेरी रचना को स्थान दिया आपका अति आभार आदरणीय
सभी रचना कारों को हार्दिक बधाई
सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रविवारीय चर्चा। मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसदर के नाम पर होेती, हुकूमत में हजामत है
जवाब देंहटाएंबहुत सशक्त प्रासंगिक अभिव्यक्ति अर्थगर्भित व्यंजना संसिक्त।
gyanvigyan2018.blogspot.com
veerujibulandshahri.blogspot.com
बहुत ही सुन्दर चर्चा है. दिल को छू लेने वाला
जवाब देंहटाएंFacebook Account Delete Kaise Kare
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