मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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पूरे साल का खाता बही
फिर से याद आ रहा है
देश तो सागर है
‘उलूक’ के कोटर
एक नाली की बातें हैं
रहने दीजिये
काहे परेशान होना है
मत झाँकिये
उलूक टाइम्स पर
सुशील कुमार जोशी
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शिशिर धूप जब आती है
जब बुझते हैं सारे तारे
ऊषा अपनी पंख पसारे
कोमल-कोमल कुसुम-कली पर
ओस की बूंदें लगते प्यारे....
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कुटिल व्यक्ति का धर्मोपदेश ही हैं
विचाराधीन कैदियों पर कोर्ट की चिंता
अब छोड़ो भी पर
Alaknanda Singh
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हाँ तेरा साथ निभाने की सज़ा पाएँगे
लोग तो आते हैं जाते हैं चले राज़ी ख़ुशी
हम हैं जो तेरे सू आने की सज़ा पाएँगे
इल्म तो है ही के हो और भी कुछ या के न हो
हाँ तेरा साथ निभाने की सज़ा पाएँगे ...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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प्रलयो न बाधते...
भारत की सात पुराण प्रसिद्ध नगरियों में प्रमुख स्थान रखती उज्जयिनी सभी कल्पों तथा युगों में अस्तित्वमान रहने के कारण अपनी 'प्रतिकल्पा' संज्ञा को चरितार्थ करती है. प्राचीन मान्यता के अनुसार, महाकाल स्वयं प्रलय के देवता हैं, " प्रलयो न बाधते तत्र महाकालपुरी". पुराणों का संकेत यहाँ स्पष्ट है....
लालित्यम् पर
प्रतिभा सक्सेना
थमा गई थी वो ख़त हाथ में मेरे फट से ...
कहाँ से आई कहाँ चूम के गई झट से
शरारती सी थी तितली निकल गई ख़ट से
हसीन शोख़ निगाहों में कुछ इशारा था
न जाने कौन से पल आँख दब गई पट से...
Digamber Naswa
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लघु कथा
युवा सन्यासी के गौर वर्ण और आकर्षक देह यष्टि से प्रभावित होकर रूप गर्विता स्त्री ने उनसे प्रवचन के पश्चात एकान्त में मिलने की इच्छा प्रकट की। उसने स्वामीजी से एकान्त में कहा कि वह उन जैसे तेजस्वी पुत्र की माँ बनना चाहती है। स्वामीजी ने एक क्षण सोचा और मुस्कराते हुए कहा कि इसमें कोई हानि नहीं है परंतु उसको भी उनकी एक शर्त माननी होगी...
मन के वातायन पर
Jayanti Prasad Sharma
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राजनीति के ये 'केतु' हैं ,
'राहु' अपने राहुल भइया ,
अपभाषा में माहिर हैं ,
दोनों ही ये मरदूदे।
Virendra Kumar Sharma
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अलभ्य और अखण्ड ..
हर शब्द ...
जब हो जाता है निस्शब्द
तो ढल जाता है
एक -एक करके सांचे में
बस वक्त के अदृश्य ढांचे में
और लेखनी को कर देता है बेजार
और रचनाकार हो उठता है बेक़रार...
Mera avyakta पर
मेरा अव्यक्त --
राम किशोर उपाध्याय
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इतिहासिक सत्य है ये जिस पायस से राम -लक्षमण -भरत-शत्रुघ्न पैदा हुए थे उसी से हनुमान पैदा हुए थे। पुत्रेष्ठि यज्ञ जब श्रृंगी ने ऋषि वशिष्ठ के अनुग्रह पर करवाया। ऋषि ने यज्ञ सम्प्पन करवाने के बाद राजा दशरथ को पायस दिया तब सबसे पहले उन्होंने आधा भाग कौशल्या को दिया। शेष आधे के दो भाग किये गए। जब सुमित्रा की बारी आई तब उस आधे के आधे भाग को एक चील ले उड़ी जिसने वह अंजना के पास जा गिराया उसी से अंजनी पुत्र हनुमान पैदा हुए थे। हनुमान सबसे पहले एक ब्रह्म ज्ञानी हैं। जिनका सारा व्यक्तित्व ज्ञान ही है। ज्ञान ही हनुमान हैं।
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Is Hanuman a Brahmin or a Dalit?
जवाब देंहटाएंNeither. He was a Sudra. In those days (even until 1000 years ago), only Sudras addressed themselves as ‘das’ of xyz. Vaisyas would refer to themselves as either ‘Shresti’ or ‘Gupta’ (occupational). Kshatriyas would refer to themselves as ‘raja’ or ‘verma’. Hanuman constantly referred to himself as das of Sri Rama in Valmiki Ramayana. When Sri Rama approaches him with his hands on one occassion, he also backs away sort of refusing to be touched by Sri Rama as Sri Rama was of a higher caste than him (in those days Sudras hesitated so due to varna respects). There are other examples in Valmiki Ramayana. What? so we have been worshipping a sudra all along?
His achievements defined him and they are the reason why all 4 castes held him to a godly status since then, not his caste. We, Brahmin purohits and all, even worship him even today, because of what he did, not because of his caste. Oh no, but pandits/purohits are supposed to be casteist and casteism perpetrators, how could they be worshiping Hanuman?
Poor pandits/purohits, all of who they worship are born in other caste households, Kshatriya (Sri Rama) or Sudra (Hanuman, Matangi, Sri Krishna, Balaji) or Dalit i.e. not fit into any caste (Shiva). Heck, even the three main scriptures/Puranas they hold most sacred and read and preach to masses, Mahabharata, Bhagavatam and Ramayana, are written by an ST (Vyasa) and an OBC (Valmiki) in today’s caste hierarchy. But let’s blame pandits/purohits for “writing history of winners only in our puranas” & other such nonsensical fabrications about “evil brahmins” and their imagined “caste-ism”, because it feels good to blame someone else when we are lazy & don’t bother to know the truth.
इतिहासिक सत्य है ये जिस पायस से राम -लक्षमण -भरत-शत्रुघ्न पैदा हुए थे उसी से हनुमान पैदा हुए थे।
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अंदाज़े बयाँ अब इससे आगे और क्या होगा ,
जवाब देंहटाएंवो शै क्या थी उसको ही पता होगा। सुंदर बिम्ब रचे हैं नासवा साहब ने।
थमा गई थी वो ख़त हाथ में मेरे फट से ...
कहाँ से आई कहाँ चूम के गई झट से
शरारती सी थी तितली निकल गई ख़ट से
हसीन शोख़ निगाहों में कुछ इशारा था
न जाने कौन से पल आँख दब गई पट से
ज़मीं पे आग के झरने दिखाई देते हैं
गिरी है बूँद सुलगती हुयी तेरी लट से
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परिंदों लौट आओ खुद, रचनाकार _श्रीमती राजेश कुमारी राज, संगीत -बिमला भण...
जवाब देंहटाएंस्वर ताल बद्ध अर्थ पूर्ण भावप्रदाहणा रचना।
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परिंदों लौट आओ खुद, रचनाकार _श्रीमती राजेश कुमारी राज, संगीत -बिमला भण...
जवाब देंहटाएंस्वर ताल बद्ध अर्थ पूर्ण भाव प्रधान माधुरी रचना।
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खूबसूरत मंगलवारीय चर्चा प्रस्तुति में 'उलूक' के साल के बही खाते को जगह देने के लिये आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
धन्यवाद शास्त्री जी , मेरी ब्लॉगपोस्ट को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएं"लघु कथा" शामिल करने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद आपका शास्त्री जी
बहुत खूबसूरत चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चर्चा प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाएँ
सादर