मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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अश्रु नीर.....दीपा जोशी
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एक ग़ज़ल :
इधर आना नहीं ज़ाहिद--
इधर आना नहीं ज़ाहिद , इधर रिन्दों की बस्ती है
तुम्हारी कौन सुनता है ,यहाँ अपनी ही मस्ती है
भले हैं या बुरे हैं हम ,कि जो भी हैं ,या जैसे भी
हमारी अपनी दुनिया है हमारी अपनी हस्ती है...
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सुप्रभात sir ,बहुत शानदार रचनाये। मेरी रचना को भी स्थान देने के लिए धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंसुन्दर अंक।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज का संकलन ! मेरी रचना को इसमें स्थान मिला यह आज देख कर ही पता चला ! ब्लॉग पर इस बार सूचना नहीं मिली ! आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा , बेहतरीन लिंक
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