मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सरकारी दस्तावेज़ों में थर्ड जेंडर हूँ....
अपर्णा बाजपेई
न औरत हूँ न मर्द हूँ
अपने जन्मदाता का अनवरत दर्द हूँ।
सुन्दर नहीं हूँ, असुंदर भी नहीं
हुस्न और इश्क़ का सिकंदर भी नहीं।
मखौल हूँ समाज का, हँसी का लिबास हूँ,
ग़लत ही सही ईश्वर का हिसाब हूँ...
मेरी धरोहर पर
yashoda Agrawal
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३३७.
हँसो
बंद खिड़की की झिर्री से
झाँक रही है तुम्हारी सहमी-सहमी सी हँसी।
तुम्हारी हँसी, हँसी कम
रुलाई ज़्यादा लगती है,
इससे तो बेहतर था,
तुम थोड़ा रो ही लेती...
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अखबार का संसार:
सईंया भये कोतवाल
बचपन में हमसे बीबीसी रेडिओ और अखबार पढ़ने को कहा जाता था खासकर संपादकीय ताकि भाषा का ज्ञान समृद्ध हो. वाकई बड़ी सधी हुई वाणी रेडिओ पर और जबरदस्त संपादकीय और समाचार होते थे अखबारों में. अखबारों में वर्तनी की त्रुटियाँ कभी देखने में न आतीं. कभी किसी शब्द में संशय हो तो अखबार में छपी वाली वर्तनी को सही मानकर लिख लेते थे और हमेशा सही ही पाये गये. वक्त बदल गया. समाचार पत्र खबरों के बदले सनसनी परोसने लगे...
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सुप्रभात |
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स
मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
सुन्दर सोमवारीय चर्चा अंक। आभार आदरणीय 'उलूक' की काँव काँव को जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबढ़िया अँक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बहुत ही सुन्दर चर्चा प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाएँ,
सादर
सुन्दर चर्चा। आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति ... सभी रचनाएँ लाजवाब
जवाब देंहटाएं