मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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मुस्कान अश्कों की
Anita Saini
--मुस्कान
Sudhinama पर sadhana vaid
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कहानी ययाति की --
डा श्याम गुप्त
ययाति चन्द्रवंशी थे जो अपने आदि पुरुष के रूप में चन्द्रमा को मानते थे। पुराणों के अनुसार ब्रह्माजी से अत्रि,अत्रि से चन्द्रमा, चन्द्रमा से बुध और बुध से इलानंदन पुरुरवा का जन्म हुआ। पुरुरवा से आयु, आयु से राजा नहुष और नहुष से ययाति उत्पन्न हुए...
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गैर राजनैतिक लोग
राजनीति में आयेंगे तो
बंटाधार होगा ही
तुकाराम वर्मा
क्रांति स्वर पर
विजय राज बली माथुर
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घाट पर धुलने गयी है व्यवस्था
समर्थक परजीवी हो रहें हैं
सड़क पर कोलाहल बो रहें हैं
शिकायतें द्वार पर टंगी हैं
अफसर सलीके से रो रहें हैं...
Jyoti Khare
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दोहे
"फूलों की बरसात"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
"जनता जपती मन्त्र" सात दशक में भी नहीं, आया कुछ बदलाव। खाते माल हराम का, अब भी ऊदबिलाव।।
चाहे धरती पर रहें, कैसे भी हालात। होती इनके शीश पर, फूलों की बरसात।।
आजादी के यज्ञ में, प्राण किये बलिदान। लेकिन अमर शहीद का, नहीं मिला सम्मान।।
आये कोई भी भले, भारत में सरकार। नहीं प्रशासक ने किया, कोई कभी विचार।।
हर-हर हो या हाथ हो, सब हैं एक समान। जनता को उल्लू बना, चला रहे दूकान।।
मत पाने तक के लिए, जनता है भगवान। फिर तो मनमानी करें, पाँच साल सुलतान।।
लोकतन्त्र के नाम का, जनता जपती मन्त्र। राजतन्त्र जैसा लगे, जनता को जनतन्त्र।।
फाँसी खा कर मर रहे, धरती के भगवान। लेकिन शासक देश के, सोये चादर तान।।
चाहे धरती पर रहें, कैसे भी हालात। होती इनके शीश पर, फूलों की बरसात।।
आजादी के यज्ञ में, प्राण किये बलिदान। लेकिन अमर शहीद का, नहीं मिला सम्मान।।
आये कोई भी भले, भारत में सरकार। नहीं प्रशासक ने किया, कोई कभी विचार।।
हर-हर हो या हाथ हो, सब हैं एक समान। जनता को उल्लू बना, चला रहे दूकान।।
मत पाने तक के लिए, जनता है भगवान। फिर तो मनमानी करें, पाँच साल सुलतान।।
लोकतन्त्र के नाम का, जनता जपती मन्त्र। राजतन्त्र जैसा लगे, जनता को जनतन्त्र।।
फाँसी खा कर मर रहे, धरती के भगवान। लेकिन शासक देश के, सोये चादर तान।।
शुभ प्रभात आदरणीय
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा अंक 👌
शानदार रचनाएँ, सभी रचनाकारों को शुभकामनायें,
मेरी रचना को स्थान देने के लिए सह्रदय आभार आदरणीय
सादर
शुभ प्रभात..
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर....
धन्यवाद मेरी रचना शामिल करने के लिए |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्रों से सजी संक्षिप्त चर्चा ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्र
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