मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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रूमाल ढूंढना सीख लो
न जाने कितनी फिल्मों में, सीरियल्स में, पड़ोस की ताकाझांकी में और अपने घर में तो रोज ही सुन रही हूँ, सुबह का राग! पतियों को रूमाल नहीं मिलता, चश्मा नहीं मिलता, घड़ी नहीं मिलती, बनियान भी नहीं मिलता, बस आँखों को भी इधर-उधर घुमाया तक नहीं कि आवाज लगा दी कि मेरा रूमाल कहाँ है, मोजा कहा है? 50 के दशक में पैदा हुए न जाने कितने पुरुषों की यही कहानी है। पत्नी हाथ में चमचा लिये रसोई में बनते नाश्ते को हिला रही है और उधर पति घर को हिलाने लगता है। पत्नी दौड़कर जाती है और सामने रखे रूमाल को हाथ पर धर देती है, सामने ही रखा है, दिखता नहीं है...
smt. Ajit Gupta
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सुप्रभात मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात आदरणीय
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा संकलन 👌
उम्दा रचनाएँ ,मेरी रचना को स्थान देने के लिए सह्रदय आभार आदरणीय
सादर
सुन्दर चर्चा.मेरी रचना शामिल की. शुक्रिया।
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