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Monday, December 10, 2018

"उभरेगी नई तस्वीर " (चर्चा अंक-3181)

सुधि पाठकों!
सोमवार की चर्चा में 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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बोहरा सा’ब नहीं मिलते तो..... 

मैं सचमुच में बड़भागी हूँ  
जो मुझे बोहरा सा’ब मिल गए। 
वे क्या मिले, मुझे जीवन-पाथेय मिल गया। 
वे नहीं मिलते तो पता नहीं कि  
मैं ‘हाथ का साफ’ रह पाता या नहीं।  
बोहरा सा’ब जैसे लोग 
आत्मा को निर्मल कर देते हैं... 
विष्णु बैरागी 
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अक्षर 

प्यार पर 
Rewa tibrewal  
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परिहास 

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा  
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शीर्षकहीन 

आनन्द वर्धन ओझा 
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हाइकू 

 १-मौसम ठंडा  
कांपता है बदन  
कम्पित मन  
२-सहज भाव  
चहरे पर दीखते  
आइना वही... 
Akanksha पर 
Asha Saxena 
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"जीवंतता" 


vibha rani Shrivastava  at  
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खाई को कम करिये 

लो जी चुनाव निपट गये, एक्जिट पोल भी आने लगे हैं। भाजपा के कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवीयों की नाराजगी फिर से उभरने लगी है। लोग कहने लगे हैं कि इतना काम करने के बाद भी चुनाव में हार क्यों हो जाती है? चुनाव में हार या जीत जनता से अधिक कार्यकर्ता या दल के समर्थक दिलाते हैं। इस मामले में कांग्रेस की प्रशंसा करूंगी कि उन्होंने ऐसी व्यवस्था खड़ी की कि कार्यकर्ता-समर्थक और नेता के बीच में खाई ना बने... 
smt. Ajit Gupta 

12 comments:

  1. शुभ प्रभात...
    आभार..
    सादर..

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  2. शुभ प्रभात आदरणीया
    बहुत ही सुन्दर सोमवारीय चर्चा प्रस्तुति 👌
    बेहतरीन रचनाएँ, सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए सह्रदय आभार
    सादर

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  3. शुभ प्रभात |मेरी रचना को स्थान दिया धन्यवाद |

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  4. सुन्दर और उपयोगी लिंक।
    आपका आभार राधा बहन जी।

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  5. बहुत सुंदर लिंको के साथ सुंदर चर्चा प्रस्तुति।

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  6. बहुत सुन्दर सोमवारीय चर्चा अंक।

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  7. सुन्दर चर्चा। मेरी कविता शामिल की। आभार।

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  8. देश के शौर्य बने ये लोग अपना सब कुछ देश को दे देते हैं मोहब्बत भी मोहब्बत के पैगाम भी।
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  9. बेहद संजीदा सच्चा सीधा रोज़नामचा एक फौजी की ज़िंदगी का देश के शौर्य बने ये लोग अपना सब कुछ देश को दे देते हैं मोहब्बत भी मोहब्बत के पैगाम भी।
    बहुत सशक्त भावपूर्ण भावचित्र फौज की ज़िंदगी का
    देश के शौर्य बने ये लोग अपना सब कुछ देश को दे देते हैं मोहब्बत भी मोहब्बत के पैगाम भी।
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  10. माटी से है खेलतीं , दोनों बहनें साथ।
    पानी मिट्टी से मिला, लेतीं अपने हाथ।।

    रूप कटोरी का दिया, मन में वह मुस्काय।
    रखती उनको धूप में ,पात्र तभी बन जाय।।

    तभी पिताजी आ गए, हुए बहुत प्रसन्न।
    देते हैं वो ये दुआ, रहे न कोई विपन्न ।।

    धन-दौलत सबको मिले, रहें सभी खुशहाल।

    भारत की जय जय करे, सब भारत के लाल।।
    सरल सहज सुन्दर मनोहर रचना ,रचनाकार
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  11. उम्दा प्रस्तुतीकरण

    हार्दिक आभार

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