मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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ग़ज़ल
"सिसक रहे शहनाई में"
हनुमान जी की जाति क्या है ?
हनुमान ब्राह्मण जाति से हैं - रामायण में कई स्थान पर उनके प्रगाढ़ पाण्डित्य पर प्रकाश डाला गया है । जब वे अशोक वाटिका पहुंचते हैं तो उनका वक्तव्य है - यदि वाचं प्रदास्यामि द्विजातिरिव संस्कृताम् । रावण मन्यमाना मां सीता भीता भविष्यति ॥ अर्थात् यदि मैं संस्कृत भाषा का प्रयोग करता हूं तो सीता मां मुझे रावण समझकर भयभीत हो सकती हैं । ( संस्कृत प्रायः उच्च वर्गों की खास तौर पर ब्राह्मणों की भाषा थी)
हनुमान क्षत्रिय जाति से हैं - क्षत्रिय कौन होता है जो शौर्य प्रदर्शन करे । आपद्काल में शत्रुओं से रक्षा करे । हनुमान जब राक्षसों के विरूद्ध लड़ रहे हैं तो अपने क्षत्रियत्व गुण का ही प्रतिनिधित्व कर रहे हैं । हनुमान चालीसा में उक्त है -महावीर विक्रम बजरंगी । आगे वहीं पर कथित है कि उनके हाथ में वज्र और ध्वजा विद्यमान है और वे जनेउ भी धारण किए हैं ( हाथ वज्र और ध्वजा विराजे, कांधे मूंज जनेउ साजै)
हनुमान वैश्य जाति से हैं - अर्थ की दृष्टि से इस शब्द की उत्पत्ति संस्कृत से हुई है जिसका मूल अर्थ "बसना" होता है। कर्म सिद्धांत वर्गीकरण मे पोषण के कार्यों से जुड़े गतिविधियों को वैश्य जाति के लोग अंजाम देते हैं । इस लिहाज से हनुमान सबसे बड़े वैश्य हैं क्योंकि वे स्वयं तो बसे ही लक्ष्मण को भी बसा दिया ।( संजीवनी लाकर उन्होंने लक्ष्मण को पुनर्जीवित किया था।)
हनुमान शूद्र जाति से हैं - गीता के १८वें अध्याय में कहा गया है कि परिचर्यात्मकं कर्म शूद्रस्यपि स्वभावजम् अर्थात् सेवा व सुश्रुषा करना शूद्र का कर्तव्य है । हनुमान से बड़ा भक्त खोज पाना नामुमकिन है । वे अनवरत अपने अराध्य प्रभु राम की सेवा में निरत रहते थे ।
गौरतलब है कि वर्ण का वर्गीकरण कर्म का वर्गीकरण है, न कि मनुष्य का वर्गीकरण। प्रत्येक मनुष्य कहीं न कहीं ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र स्वयं है क्योंकि इन चारों के गुण उसमें समबेत हैं । पहले समय मनुष्य जाति का एक ही वर्ण था, चार वर्ण अथवा भिन्न-भिन्न जातियों की स्थापना बाद में हुई है
एक वर्ण मिदं पूर्वं विश्वमासीद् युधिष्ठिर।
कर्म क्रिया विभेदेन चातुर्वर्ण्यम् प्रतिष्ठितम्॥
न विशेषोऽस्ति वर्णानाम् सर्व ब्राह्ममिदं जगत्। ( महाभारत )
आज के परिप्रेक्ष्य में हमें यह जरूर ध्यान रखना चाहिए कि वार्ता का प्रस्थान बिन्दु क्या है? क्या हनुमान को हम वर्ग विशेष के नाते पूजते हैं या उनके कर्म व गुणों के आधार पर । यदि वे नीच कुल के भी होते तो क्या हम उनके गुणों के आधार पर उन्हें समादृत नहीं करते ?
एम के पाण्डेय
रिसर्च स्कॉलर
रिसर्च स्कॉलर
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बस्तर से घिरे जीजाजी
जीजाजी ने मुझे जोर का धक्का दिया, बहुत धीरे से। प्रेमपूर्वक। आनन्ददायक। जीजाजी याने विनायकजी पोतनीस। सुभेदार परिवार के दामाद। हमारी नीलम ताई के जीवन संगी। कोई तीस-पैंतीस बरस से उनसे मिलना और बतियाना बना हुआ है...
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सूजी
आटे-मैदे की मंझली बहन है
यह मैदा और सूजी किस चीज से बनते हैं भई SS ? नई पीढ़ी को तो शायद ही पता होना था, बीच वाली भी सोच में पड़ी दिखी ! कुछ देर के बाद जवाब आया ! मैदा तोआटे से बनता है: सूजी का...पता नहीं ! घूम-फिर कर करीब एक दर्जन निगाहें मेरी तरफ ! आप ही बताओ ! सवाल ने ''बूमरैंग'' हो मेरे को ही आ घेरा था ! सच्चाई यह थी कि मैदे का प्रोसेस तो कुछ-कुछ मुझे मालुम था, पर सूजी के बारे में यहां भी निल बटे सन्नाटा ही था.....
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
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सुप्रभात | मेरी रचना लिंक शामिल करने के लिए धन्यवाद सर
जवाब देंहटाएं|
उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
शुभ प्रभात..
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर..
बेहतरीन चर्चामंच , मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय श्री
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार मेरे लेख को जोड़ने के लिए और शीर्षक देने के लिए ।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत चर्चा
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