मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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दोहे
"दोनों बहने साथ"
राधा तिवारी "राधेगोपाल "

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दिसम्बर ने दौड़ना शुरु कर दिया तेजी से
बस जल्दी ही साल की बरसी मनायी जायेगी

उलूक टाइम्स पर
सुशील कुमार जोशी -
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झर उठते तुम अश्रु-सुमन क्यूँ हर बार .....

अल्प विराम पर
deepshikha70
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कलकल नदिया है बही,
छमछम चली बयार -
कुंडलिया
मधुर गुंजन पर
ऋता शेखर 'मधु'
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गूँज शहनाई की...

Anita Saini
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मंटो :
पूरे हीरो की अधूरी कहानी
Manto movie review

parwaz परवाज़.....पर kanu..
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पहले मिलन का एहसास

प्यार पर
Rewa tibrewal
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कुदरत और इंसान :
एक करिश्मा
( विडीओ देखे )

AAWAZ पर SACCHAI
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अभिव्यक्ति की तृष्णा अतृप्त है
तुम्हारे बिना.
घर आँगन में चहकते,
माटी की गंध सँजोये
वे महकते शब्द,
कहाँ खो गये !
सिर-चढ़े विदेशियों की भड़कीली भीड़ में ,
अपने जन कहाँ ग़ायब हो गये...
प्रतिभा सक्सेना
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चेहरे पर दिखाई देते भाव
चेहरे पर भाव विषाद के
किसी को क्या दिखाना
साथ में हंसता खिलखिलाते
चहरे की झंडी
हाथ में लिए घूमते
कोई नहीं जानता किस लिए ?
दो भाव एक साथ क्यूँ ...
Akanksha पर Asha Saxen
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FOOD AND DIET
Why is pizza so addictive?
(HINDI )
अव्वल दर्ज़े का स्वाद का
गुलाम बनाने वाला
संसाधित खाद्य है पिज़्ज़ा।

Virendra Kumar Sharma
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धीरे धीरे मरना
ब्राजील की प्रसिद्द कवयित्री
मार्था मेडिएरोस की एक कविता -
धीरे धीरे मरना
सरोकार पर
Arun Roy
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पुरखों का इतिहास
बिछुड़ गया हूं खुद से।
तभी से, जब डाला गया था, इस झुंड में।
चरने को, विचरने को, धंसने को,
फंसने को, रोने को, हंसने को...
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कार्टून :-
एक नेता की मौत

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सार्थक....
सरोज दहिया

मेरी धरोहर पर yashoda Agrawal
शुभ प्रभात आदरणीय
ReplyDeleteबेहतरीन चर्चा प्रस्तुति👌
शानदार रचनाएँ, सभी रचनकारों को हार्दिक शुभकामनायें,
मेरी रचना को स्थान देने के लिए सह्रदय आभार
सादर
सुप्रभात उम्दा प्रस्तुति |मेरी रचना शामिल करने के लिए धनुवाद |
ReplyDeleteसुन्दर रविवारीय चर्चा प्रस्तुति। आभार आदरणीय 'उलूक' के पन्ने को भी चर्चा में स्थान देने के लिये।
ReplyDeleteसुंदर चर्चा बेहतरीन लिंको के साथ
ReplyDeleteसुन्दर रविवारीय चर्चा ,ये तो अजूबा है पोस्ट को स्थान देने के लीये आभार आदरणीय
ReplyDeleteसुंदर चर्चा, बेहतरीन लिंक। बधाई और आभार।
ReplyDeleteसार्थक सूत्रों के साथ व्यवस्थित चर्चा|
ReplyDeleteआभार आदरणीय मधुर गुंजन को स्थान देने के लिए|
तमाम अशआर अपना वजन और अर्थ मुखरित कर रहें हैं बे -पर्दा हो :
ReplyDeleteतरुवर पत्ते को समझाए
अभी है आना, अभी है जाना ,
अभी नया है अभी पुराना।
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माटी से है खेलतीं , दोनों बहनें साथ।
ReplyDeleteपानी मिट्टी से मिला, लेतीं अपने हाथ।।
रूप कटोरी का दिया, मन में वह मुस्काय।
रखती उनको धूप में ,पात्र तभी बन जाय।।
तभी पिताजी आ गए, हुए बहुत प्रसन्न।
देते हैं वो ये दुआ, रहे न कोई विपन्न ।।
धन-दौलत सबको मिले, रहें सभी खुशहाल।
भारत की जय जय करे, सब भारत के लाल।।
सरल सहज सुन्दर मनोहर रचना ,रचनाकार
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