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सोमवार, दिसंबर 31, 2018

"जाने वाला साल" (चर्चा अंक-3202)

मित्रों! 
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।  
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।  
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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हमराही 

Akanksha पर 
Asha Saxena 
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नववर्ष की मंगलकामना 

गूँथ कर माला प्रेम कीले हाथ में रोली चन्दन । 
नववर्ष के अवसर परप्रिय आपका अभिनंदन।।... 
Lovely life पर 
lovely edu 
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हम में, तुम में फर्क बहुत है 

यूँ तो अपना फर्ज बहुत है  
पर छुपने को तर्क बहुत है  
तुम इस रस्ते, हम उस रस्ते  
हम में, तुम में फर्क बहुत है... 
मनोरमा पर श्यामल सुमन 
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आसमानी ऊनी शाल 

सम्हाल कर रखा है  
तुम्हारे वादों का दिया हुआ  
ब्राउन रंग का मफलर  
बांध लेता हूँ जब कभी कान में  
फुसफुसाकर कहती है ठंड कि,  
आज बहुत ठंड है... 
Jyoti Khare  
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6 टिप्‍पणियां:

  1. हमेशा की तरह सुंदर चर्चा अंक।

    जवाब देंहटाएं
  2. उम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय शास्त्री जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. Very Nice.....
    बहुत प्रशंसनीय प्रस्तुति.....
    मेरे ब्लाॅग की नई प्रस्तुति पर आपके विचारों का स्वागत

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर और प्रभावी प्रस्तुति
    जाते साल का बेहरीन संकलन
    साधुवाद आपको
    मुझे सम्मलित करने का आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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