मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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दोहे
"परमपिता का दूत"
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महादेव की विडम्बना
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सुन युधिष्ठर
फैंक दे अपने ये पासे
प्रेम के सब गीत अब लगते हैं बासे
दूर जब से हो गया हूँ प्रियतमा से
मुड़ के देखा तो है मुमकिन रोक ना लें
नम सी आँखें और कुछ चेहरे उदासे...
Digamber Naswa
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एक और काल --
'पापा, खाना खाने आइये.' बच्चे ने आवाज़ लगाई . 'नहाय रहे हैंगे' उत्तर देता वयोवृद्ध नारी स्वर . मैं वहीं खड़ी थी ,सुन रही थी बस. व्याकरण के पाठ में हमने पढ़ा था - क्रिया के तीन रूप होते हैं - 1 .जो हो चुका है - भूत काल, 2.जो घटित हो रहा है- वर्तमान काल और 3 .जो आगे(भविष्यमें) होगा वह भविष्य काल...
लालित्यम् पर
प्रतिभा सक्सेना
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समस्त रचनाकारों, पाठको सुधीजनों व हलचल को समर्पित नमन। शुभकामनाएं शुभप्रभात।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी ग़ज़ल को जगह देने में लिए
सुप्रभात |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंक्रिसमस के अवसर पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
बेहतरीन अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बेहतरीन प्रस्तुति आज की ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार आपका शास्त्री जी ! आपको व सभी पाठकों को क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन आज का चर्चा अंक 👌
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद आपका।