मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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बात का ग़र ग़िला नहीं होता
रार का सिलसिला नहीं होता
ग़र न ज़ज़्बात होते सीने में
दिल किसी से मिला नहीं होता
आम में ज़ायका नहीं आता
वो अगर पिलपिला नहीं होता...
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हाँ क्या? हो अगर तो और होगी,
अब ये गलती!! दुनिया के ये पैमाने,
जो मापे मुझको कदम कदम वेदना में
जब टूटे ये मन कौन भरे सब हरे जख्म।
क्या तुम मेरी वो गलती हो...
Rajshree Sharma
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छा जाताअंधेरा, चांद पर।
रुक जाती किरणें, सूरज की।
पीठ पर थामे भारी, बोझिल रश्मिपुंज।
पसर जाता अवसाद, धरती का।
बन कर चन्द्र ग्रहण, अंतरिक्ष में.
फेस बुक पर अचानक ही यह तस्वीर नजर आई। कुछ दिन पुरानी है। फिल्मी दुनिया के कुछ लोग प्रधान मन्त्री मोदी से मिलने गए थे। उसी समय की तस्वीर है यह। चित्र में प्रधान मन्त्री मोदी, अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा से हाथ मिलाने के लिए अपना हाथ बढ़ाए नजर आ रहे हैं। जवाब में परिणीति हाथ मिलाने के बजाय हाथ जोड़ कर नमस्कार करती दिखाई दे रही हैं। इस चित्र ने फेस बुक की ‘चाय की प्याली में तूफान’ ला दिया। अधिकांश लोगों ने परिणीति के इस व्यवहार को प्रधान मन्त्री मोदी का अपमान माना और खिन्नता जताते हुए परिणीति को अनेक परामर्श दिए...
विष्णु बैरागी
मुझपर इल्जाम है उनकी ही तरह
जो कहते हैं कि
देश के माहौल से डर लगता है
हाँ ! मैं मानती हूँ मुझे भी अब डर लगता है
सिर्फ अपने लिए नहीं
अपनों के लिए डर लगता है...
डॉ. जेन्नी शबनम
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आँखों से बहते हुए आँसुओं ने जैसे उसके दिल में बसेरा कर लिया हो । अभी विज्ञापन देखा था जिसमें बच्चे ने शहीद हुए फौजी के रक्त को झंडे के पाँचवे रंग के रूप में गिनाया था ।
सच जब तक फौजी साँसें भरता है पराक्रम करता है तिरंगे की आन को बनाये रखता है ... पर जब उसकी साँसें थमती हैं तो जैसे उस झंडे में ही समाहित हो एक अनोखा सा रंग बन उभरता है । इस रंग के उभरने से राष्ट्र की चमक तो नहीं फीकी पड़ती पर उस फौजी के परिवार का क्या कहें ... कुछ समय बाद सब उसको भूल जाते हैं । कभी कुछ अनुकम्पा राशि या किसी दुकान की एजेंसी दे देते हैं ।उसके बाद .... उसके बाद कुछ खास नहीं बस 15 अगस्त या 26 जनवरी पर यादकर लेते हैं और कुछ फूल या माला अर्पित कर कर्तव्यमुक्त हो जाते हैं...
निवेदिता श्रीवास्तव
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चिनारों की दरख़तों से
फ़िज़ा लौट आयी इबादत की
मीनारों से रूह लौट आयी
सलवटें पड़ गयी रिश्तों की
गलियारों में
भूल जो मेरे वजूद का क़िरदार
ढूँढती फिरी आसमां में...
MANOJ KAYAL