फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, जनवरी 28, 2019

"सिलसिला नहीं होता" (चर्चा अंक-3230)

मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
--

ग़ज़ल  

"सिलसिला नहीं होता"  


बात का ग़र ग़िला नहीं होता
रार का सिलसिला नहीं होता

ग़र न ज़ज़्बात होते सीने में
दिल किसी से मिला नहीं होता

आम में ज़ायका नहीं आता
 वो अगर पिलपिला नहीं होता... 
--
--

क्या तुम मेरी वो गलती हो? 

 हाँ क्या? हो अगर तो और होगी,  
अब ये गलती!! दुनिया के ये पैमाने,  
जो मापे मुझको कदम कदम वेदना में  
जब टूटे ये मन कौन भरे सब हरे जख्म।  
क्या तुम मेरी वो गलती हो... 
Swaying Hearts पर 
Rajshree Sharma  
--

अवसाद 

छा जाताअंधेरा, चांद पर।  
रुक जाती किरणें, सूरज की।  
पीठ पर थामे भारी, बोझिल रश्मिपुंज।  
पसर जाता अवसाद, धरती का।  
बन कर चन्द्र ग्रहण, अंतरिक्ष में.    

जरा तलाश करना! इन्हें  

आप्टे साहब मिले? 

फेस बुक पर अचानक ही यह तस्वीर नजर आई। कुछ दिन पुरानी है। फिल्मी दुनिया के कुछ लोग प्रधान मन्त्री मोदी से मिलने गए थे। उसी समय की तस्वीर है यह। चित्र में प्रधान मन्त्री मोदी, अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा से हाथ मिलाने के लिए अपना हाथ बढ़ाए नजर आ रहे हैं। जवाब में परिणीति हाथ मिलाने के बजाय हाथ जोड़ कर नमस्कार करती दिखाई दे रही हैं। इस चित्र ने फेस बुक की ‘चाय की प्याली में तूफान’ ला दिया। अधिकांश लोगों ने परिणीति के इस व्यवहार को प्रधान मन्त्री मोदी का अपमान माना और खिन्नता जताते हुए परिणीति को अनेक परामर्श दिए... 
विष्णु बैरागी 

602.  

प्रजातंत्र 

मुझपर इल्जाम है उनकी ही तरह   
जो कहते हैं कि   
देश के माहौल से डर लगता है   
हाँ ! मैं मानती हूँ मुझे भी अब डर लगता है   
सिर्फ अपने लिए नहीं   
अपनों के लिए डर लगता है... 
डॉ. जेन्नी शबनम 
--
--

तिरंगे का पाँचवां रंग 

आँखों से बहते हुए आँसुओं ने जैसे उसके दिल में बसेरा कर लिया हो । अभी विज्ञापन देखा था जिसमें बच्चे ने शहीद हुए फौजी के रक्त को झंडे के पाँचवे रंग के रूप में गिनाया था ।
सच जब तक फौजी साँसें भरता है पराक्रम करता है तिरंगे की आन को बनाये रखता है ... पर जब उसकी साँसें थमती हैं तो जैसे उस झंडे में ही समाहित हो एक अनोखा सा रंग बन उभरता है । इस रंग के उभरने से राष्ट्र की चमक तो नहीं फीकी पड़ती पर उस फौजी के परिवार का क्या कहें ... कुछ समय बाद सब उसको भूल जाते हैं । कभी कुछ अनुकम्पा राशि या किसी दुकान की एजेंसी दे देते हैं ।उसके बाद .... उसके बाद कुछ खास नहीं बस 15 अगस्त या 26 जनवरी पर यादकर लेते हैं और कुछ फूल या माला अर्पित कर कर्तव्यमुक्त हो जाते हैं... 
झरोख़ा पर 
निवेदिता श्रीवास्तव 
--

बाई पुराण 

Akanksha पर 
Asha Saxena 

दिल की बात 

चिनारों की दरख़तों से 
फ़िज़ा लौट आयी इबादत की  
मीनारों से रूह लौट आयी  
सलवटें पड़ गयी रिश्तों की 
गलियारों में  
भूल जो मेरे वजूद का क़िरदार  
ढूँढती फिरी आसमां में... 
RAAGDEVRAN पर 
MANOJ KAYAL  
--

7 टिप्‍पणियां:

  1. विभिन्न विषयों पर सुंदर चिंतन ।
    मंच पर पथिक को स्थान देने के लिये शास्त्री सर आपका हृदय से आभार।

    जवाब देंहटाएं
  2. खूबसूरत लिंक्स का बेहतरीन समागम. मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
    https://iwillrocknow.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर और सार्थक रचनाओं का संकलन। सभी रचनाएँ भिन्न है।
    "निले पंखों वाली मैं हूँ" व "अवसाद" मुझे बहुत पसंद आयी ये दोनो रचनाएँ। इसके साथ अन्य सभी रचनाएँ भी बेहतरीन है।
    सभी रचनाकारों को ढेर सारी शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति,
    सभी रचनाकारों को बधाई |
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर चर्चा। मेरी रचना शामिल की.आभार

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।