मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
--
ग़ज़ल
"सिलसिला नहीं होता"
रार का सिलसिला नहीं होता
ग़र न ज़ज़्बात होते सीने में
दिल किसी से मिला नहीं होता
आम में ज़ायका नहीं आता
वो अगर पिलपिला नहीं होता...
--
--
क्या तुम मेरी वो गलती हो?
हाँ क्या? हो अगर तो और होगी,
अब ये गलती!! दुनिया के ये पैमाने,
जो मापे मुझको कदम कदम वेदना में
जब टूटे ये मन कौन भरे सब हरे जख्म।
क्या तुम मेरी वो गलती हो...
Rajshree Sharma
--
अवसाद
छा जाताअंधेरा, चांद पर।
रुक जाती किरणें, सूरज की।
पीठ पर थामे भारी, बोझिल रश्मिपुंज।
पसर जाता अवसाद, धरती का।
बन कर चन्द्र ग्रहण, अंतरिक्ष में.
--
जौनपुर में है
सिखों के नौवें धर्मगुरू
गुरू तेग बहादुर सिंह की तपस्थली
S.M.Masum पर
Hamara Jaunpur Tourism
--
जरा तलाश करना! इन्हें
आप्टे साहब मिले?
फेस बुक पर अचानक ही यह तस्वीर नजर आई। कुछ दिन पुरानी है। फिल्मी दुनिया के कुछ लोग प्रधान मन्त्री मोदी से मिलने गए थे। उसी समय की तस्वीर है यह। चित्र में प्रधान मन्त्री मोदी, अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा से हाथ मिलाने के लिए अपना हाथ बढ़ाए नजर आ रहे हैं। जवाब में परिणीति हाथ मिलाने के बजाय हाथ जोड़ कर नमस्कार करती दिखाई दे रही हैं। इस चित्र ने फेस बुक की ‘चाय की प्याली में तूफान’ ला दिया। अधिकांश लोगों ने परिणीति के इस व्यवहार को प्रधान मन्त्री मोदी का अपमान माना और खिन्नता जताते हुए परिणीति को अनेक परामर्श दिए...
एकोऽहम् पर
विष्णु बैरागी
602.
प्रजातंत्र
मुझपर इल्जाम है उनकी ही तरह
जो कहते हैं कि
देश के माहौल से डर लगता है
हाँ ! मैं मानती हूँ मुझे भी अब डर लगता है
सिर्फ अपने लिए नहीं
अपनों के लिए डर लगता है...
डॉ. जेन्नी शबनम
--
--
तिरंगे का पाँचवां रंग
आँखों से बहते हुए आँसुओं ने जैसे उसके दिल में बसेरा कर लिया हो । अभी विज्ञापन देखा था जिसमें बच्चे ने शहीद हुए फौजी के रक्त को झंडे के पाँचवे रंग के रूप में गिनाया था ।
सच जब तक फौजी साँसें भरता है पराक्रम करता है तिरंगे की आन को बनाये रखता है ... पर जब उसकी साँसें थमती हैं तो जैसे उस झंडे में ही समाहित हो एक अनोखा सा रंग बन उभरता है । इस रंग के उभरने से राष्ट्र की चमक तो नहीं फीकी पड़ती पर उस फौजी के परिवार का क्या कहें ... कुछ समय बाद सब उसको भूल जाते हैं । कभी कुछ अनुकम्पा राशि या किसी दुकान की एजेंसी दे देते हैं ।उसके बाद .... उसके बाद कुछ खास नहीं बस 15 अगस्त या 26 जनवरी पर यादकर लेते हैं और कुछ फूल या माला अर्पित कर कर्तव्यमुक्त हो जाते हैं...
झरोख़ा पर
निवेदिता श्रीवास्तव
--
--
--
दिल की बात
चिनारों की दरख़तों से
फ़िज़ा लौट आयी इबादत की
मीनारों से रूह लौट आयी
सलवटें पड़ गयी रिश्तों की
गलियारों में
भूल जो मेरे वजूद का क़िरदार
ढूँढती फिरी आसमां में...
RAAGDEVRAN पर
MANOJ KAYAL
--
विभिन्न विषयों पर सुंदर चिंतन ।
जवाब देंहटाएंमंच पर पथिक को स्थान देने के लिये शास्त्री सर आपका हृदय से आभार।
खूबसूरत लिंक्स का बेहतरीन समागम. मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
जवाब देंहटाएंhttps://iwillrocknow.blogspot.com/
सुन्दर और सार्थक रचनाओं का संकलन। सभी रचनाएँ भिन्न है।
जवाब देंहटाएं"निले पंखों वाली मैं हूँ" व "अवसाद" मुझे बहुत पसंद आयी ये दोनो रचनाएँ। इसके साथ अन्य सभी रचनाएँ भी बेहतरीन है।
सभी रचनाकारों को ढेर सारी शुभकामनाएँ।
अत्यंत सार्थक, सरस और सुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई |
सादर
सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा। मेरी रचना शामिल की.आभार
जवाब देंहटाएं