मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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हिमालय की भी नहीं कोई हस्ती
धड़क रही हो ज्वाला जब दिलों में
आतुर उतनी तब होती जीतने की प्रवृति...
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मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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दोहे
"सिर पर खड़ा बसन्त"
वो आकर्षण.......
संजय भास्कर
मेरी धरोहर पर
yashoda Agrawal
--मैं लिखूँगी उनका नाम
रश्मि प्रभा...
--मेरी सद्य प्रकाशित ग़ज़ल संग्रह------
पीर ज़माने की -----
डा श्याम गुप्त ---
कैसे ना तारीफ करें
पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
--इच्छा शक्ति
प्रबल हो अगर इच्छा शक्तिहिमालय की भी नहीं कोई हस्ती
धड़क रही हो ज्वाला जब दिलों में
आतुर उतनी तब होती जीतने की प्रवृति...
RAAGDEVRAN पर
MANOJ KAYAL
--मकरसंक्रांति की बधाई...
Lovely life परl
ovely edu
--शीत ऋतु-----
डा श्याम गुप्त
बसपा-सपा ने क्यों की
कांग्रेस से किनाराकशी?
जिज्ञासा पर
pramod joshi
--भूमंडलोत्तर कहानी – २३ :
चयनित अकेलेपन का अनिवार्य उपोत्पाद
(समापन)
समालोचनपरarun dev
शुभ प्रभात🍃🍃🍃💦💦💦
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति हेतु साधुवाद ।
आप सभी को मकर संक्रान्ति महापर्व की
अनन्त शुभकामनाएं !
सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना ‘मकर-संक्रान्ति’ कहलाता है | इसी दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं |
शास्त्रों में उत्तरायण की अवधि को देवताओं का दिन और दक्षिणायन की अवधि को देवताओं की रात्रि कहा गया है |
इस तरह से मकर संक्रान्ति एक प्रकार से देवताओं का प्रभातकाल है !
मकर संक्रान्ति की मंगलकामनाएं। सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएं