मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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"क्षणिका को भी जानिए"
साहित्य की विधा"क्षणिका" क्षणिका को जानने पहले यह जानना आवश्यक है कि क्षणिका क्या होती है? मेरे विचार से “क्षण की अनुभूति को चुटीले शब्दों में पिरोकर परोसना ही क्षणिका होती है। अर्थात् मन में उपजे गहन विचार को थोड़े से शब्दों में इस प्रकार बाँधना कि कलम से निकले हुए शब्द सीधे पाठक के हृदय में उतर जाये।” मगर शब्द धारदार होने चाहिएँ। तभी क्षणिका सार्थक होगी अन्यथा नहीं...
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मैं अश्वत्थामा बोल रहा हूँ -
पुरातन परिवेश लपेटे ,लोगों से अपनी पहचान छिपाता इस गतिशील संसार में एकाकी भटक रहा हूँ .चिरजीवी हूँ न मैं ,हाँ मैंअश्वत्थामा ! सहस्राब्दियाँ बीत गईं जन्म-मरण का चक्र घूमता रहा , स्थितियाँ परिवर्तित होती गईं,नाम,रूप बदल गये - बस एक मैं निरंतर विद्यमान हूँ उसी रूप में ,वही पीड़ा अपने साथ लिये. जो घट रहा है उसका साक्षी होना मेरी नियति है .सांसारिकता से मोह-भंग हो गया है .दृष्टा बनने का यत्न करता हूँ ,पर प्रायः तटस्थ नहीं रह पाता....
लालित्यम् पर
प्रतिभा सक्सेना
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शुभ प्रभात...
ReplyDeleteआभार...
सादर...
शुभ प्रभात आदरणीय
ReplyDeleteबेहतरीन संकलन, बहुत सुन्दर रचनाएँ ,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें
मेरी रचना को स्थान देने के लिए सह्रदय आभार आदरणीय
सादर
खूबसूरत शनिवारीय चर्चा अंक।
ReplyDeleteसुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज की चर्चा ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
ReplyDeletehiiiii
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