मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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अत्यावश्यक सूचना-
अनुरोध
ब्लाॅग के पाठकों से अनुरोध.. शायद आपको मालूम हो कि अब G+ खत्म होने वाला है। अतः G+ Platform से किए गए सारे comments स्वतः ही समाप्त हो जाएंगे। परन्तु जो टिप्पणी सीधे ब्लॉग पर जाकर की जाएगी, वे आगे भी बने रहेंगे। बाद मे जब G+ profile खुद ब खुद deactivate हो जाएंगे तो G+ से किए गए सारे कमेंट्स जो अभी तो दिख रहे हैं, बाद में दिखने भी बंद हो जाएंगे। आवश्यक यह है कि अपने ब्लॉग के comments setting में G+ से आनेवाले comments की सेटिंग No कर ली जाय ताकि पाठक की टिप्पणी सीधे रूप से ब्लॉग पर ही अंकित की जा सके...
purushottam kumar sinha
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एक व्यंग्य :
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे---
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सव:
मामका: पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय ...
आपका ब्लॉग पर
आनन्द पाठक
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दीदी के भाई जी
'बड़े मामा' चले गए. 'दीदी (हम माँ को दीदी ही कहते थे) के भाई जी' चले गए. रात उतर चुकी थी. चतुर्दशी का चाँद पूरनमासी की चौखट पर पहुँच रहा था. तभी इस खबर ने मानों इस धवल धरती को टहकार कजरौटे से लीप दिया और और हमारी आँखे अतीत के सुदूर अन्धकार में भटकने लगी. सोचने लगा कि यदि दीदी होती तो कैसे सहती यह वज्रपात!...
शुभप्रभात ...
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह उम्दा प्रस्तुति । ब्लॉगर समुदाय हेतु नितान्त आवश्यक जानकारी पटल पर रखना बेहद जरूरी था। चर्चा मंच का आभार व शुभकामनाएं ।
सुप्रभात मेरी रचना शामिल करने के लिये धन्यवाद सर |
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंगूगल प्लस संबंधित जानकारी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंइस दिन के नेग में बहुत कुछ मिला.
झोला भर गया.
पुनः पुनः आभार शास्त्रीजी.
रचनाओं की विविधता बड़ी दिलचस्प है.
सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सभी सूत्र बहुत ही ज्ञानवर्धक एवं उपयोगी !
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउम्दा संकलन
सभी रचनाएँ बेहद उत्क्रष्ट
मेरी रचना को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार
सादर नमन सुप्रभात