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बुधवार, सितंबर 04, 2019

"दो घूँट हाला" (चर्चा अंक- 3448)

मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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मेरा गीत  

"जय विजय"  

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मंदी 

मन के पाखी पर Sweta sinha  
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झक्क उजाले सा 


रेशमी धूप सा जो सहलाता है अंतर 

वही सूरज पांव मरुथलों में जलाता है
मीठी सुवास सा बहलाता है जो मन को 

नुकीले पथ सा वही प्रेम चुभे जाता है... 
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ख्वाब 


पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
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अग्निपरीक्षा 

व्यर्थ बहाता क्यों है मानव  
आँसू भी एक मोती है  
जीवन पथ पर  
अग्निपरीक्षा सबको देनी होती है ... 
Amit Mishra 'मौन'  
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बारिश थम गयी 

बारिश थम गयी  
सड़कों का पानी सूख गया  
घर का आंगन अभी तक गीला है  
मां के आंसू बहे हैं ... 
Jyoti khare 
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मिला नहीं वो मीत 

झूमर, कजरी लिख दिया, कुछ सावन के गीत।  
गाऊँ जिसके साथ मैं, मिला नहीं वो मीत... 
मनोरमा पर श्यामल सुमन 
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9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। आभार आदरणीय।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |


    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति, मेरी रचना को शामिल करने के लिए धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  4. शानदार प्रस्तुति बेहतरीन लिंक

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर सामयिक रचनाओं से सजी प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत अच्छी चर्चा विविधापूर्ण लिंकों में मेरी रचनाओं को शामिल करने के लिए हृदयतल से बहुत आभारी हूँ।

    जवाब देंहटाएं
  7. सुन्दर प्रस्तुति। विविध विषयों को समेटती लिंक चयन प्रक्रिया।
    शिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ

    जवाब देंहटाएं

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