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रविवार, सितंबर 29, 2019

"नाज़ुक कलाई मोड़ ना" (चर्चा अंक- 3473)

स्नेहिल अभिवादन   
रविवार की चर्चा में आप का हार्दिक स्वागत है|  
देखिये मेरी पसन्द की कुछ रचनाओं के लिंक |  
 - अनीता सैनी
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गीत 
"नाज़ुक कलाई मोड़ ना" 
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

 उच्चारण 
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शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह 
My Photo
हिन्दी-आभा*भारत  
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तेरे जाने के बाद कितना काम आए आसूँ… 
 
tHe Missed Beat 
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कहना ये था 
My Photo
 अनकहे किस्से  
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मुक्तक : 922 -  
नच रहा हूँ 

 डॉ. हीरालाल प्रजापति का "कविता विश्व"  
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प्यासी धरती 

मन के वातायन 
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सकून 

अडिग शब्दों का पहरा 
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बेटी का अस्तित्व 

मेरे मन के भाव 
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बुझती आकांक्षा

चाँद की सहेली****
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३८२. सोने दो उसे 

7 टिप्‍पणियां:

  1. पठनीय लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा।
    आपका आभार आदरणीया अनीता सैनी जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर चर्चा. मेरी कविता शामिल की. शुक्रिया.

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार सखी।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। बेहतरीन रचनाओं का चयन। सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
    मेरी रचना को चर्चा मंच के पटल पर प्रदर्शित करने के लिये सादर आभार अनीता जी।

    जवाब देंहटाएं

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