स्नेहिल अभिवादन
शनिवार की चर्चा में आप का हार्दिक स्वागत है|
शनिवार की चर्चा में आप का हार्दिक स्वागत है|
देखिये मेरी पसन्द की कुछ रचनाओं के लिंक |
- अनीता सैनी
-------
------

मधुर गुँजन
--------
--------
------
था कौन मेरा? क्या अपना था?

-------
लोग बोले है बुरा लगता है
Rohitas Ghorela
------
मुक्तक : 927 - डोली

-------
जल्दी आना ओ चाँद गगन के .....
-----
आभारी हूँ अनिता बहन , इतने प्रतिष्ठित मंच पर मेरे संस्मरणों को स्थान देने के लिये । आदरणीय शास्त्री जी के मंच पर वैसे तो मुझे पहले से भी स्नेह एवं सम्मान मिलता रहा , परंतु आज इसका शीर्षक व्याकुल पथिक के नाम से है, तो हर्ष होना स्वभाविक है । आपसभी को नमन।
जवाब देंहटाएंहाँ, एक बात पुनः स्पष्ट करना चाहूँगा कि मैं साहित्यकार नहीं हूँ, बस मन के भाव को अनुभूतियों के आधार पर व्यक्त किया करता हूँ।
>
हटाएंआप तो बहुत कुछ कह जाते हैं
हम दो शब्द कहने वहा आते हैं
टिप्पणी पर ताला देख लौट आते हैं :) :)
जी भाई साहब , क्षमा चाहता हूँ।
हटाएंलेकिन , पिछले दिनों एक वरिष्ठ चर्चाकार के ब्लॉग पर जो कुछ देखने को मिला, ऐसी प्रतिक्रिया से मेरा भी मन खट्टा हो गया है और विवशता में मैंने ऐसा किया।
हम सभी स्नेह के दो शब्द के लिये ही इस आभासीय संसार से जुड़े हैं न ?
#व्याकुल पथिक... बस अभी आपके ब्लॉग से आपको पढ़कर वापस आई हूं बहुत ही शानदार संस्मरण आपने लिखा है बेहद खूबसूरत एहसास होता है जब हम अपनी पुरानी बीते हुए यादों में जाकर कुछ अपने लिए खींच लाते हैं.... कलिंगपोंग की खूबसूरत घाटियां और कोलकाता की गलियां इन सब के साथ दीपावली पर्व की खूबसूरत यादें सब कुछ समेट दिया आपने अपने इस संस्मरण में परंतु, आपसे एक ही शिकायत है कि आपके ब्लॉग में कमेंट करने का ऑप्शन मुझे नहीं मिला इसलिए मैंने अपने विचार यहां रखें ऐसे ही अपने जीवन के हर संस्मरण से हम सबों का परिचय करवाते रहिएगा इतनी शानदार लेखनी के लिए आपको बधाई...!!
हटाएंजी आभार, आपने पढ़ा यह कम हर्ष का विषय नहीं है। टिप्पणी के संदर्भ में ऊपर मैंने उल्लेख्य किया है। आपसे भी क्षमा चाहता हूँ।
हटाएंसुन्दर और सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार अनीता सैनी जी।
विविधापूर्ण सुंदर रचनाओं से सराहनीय प्रस्तुति अनु।
जवाब देंहटाएंमुझे शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार।
सस्नेह।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार संकलन तैयार किया है आपने #अनीता जी ....#venus जोया जी की #चांद की सहेली पढ़कर में अचंभित हो गई बेहद खूबसूरत तरीके से लिखी गई रचना.. चांद संग वार्तालाप कितने खूबसूरत और कोमल एहसास है.. अन्य चयनित रचनाएं भी अपने आप में महत्वपूर्ण है इस मंच में नए नए लोगों से साक्षात्कार करना अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है एक और बार आपको इतनी अच्छी संकलन तैयार करने हेतु मेरी ओर से धन्यवाद...!!👍
जवाब देंहटाएंअनीता जी
हटाएं:)
शब्द नहीं हैं मेरे पास।
हम्म्म। .थोड़ा खुद को संभाल के फिर से आयी हूँ कहने। .. over सेंटीमेंटल हूँ ज़रा हम्म्म। .हृदय की गहराइयों से आभार आपका। बहुत सकूं सा मिला आपके शब्द पढ़ कर।
हटाएंसच में बहुत बहुत धन्यवाद
वाह!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति।
बेहतरीन रचनाओं का कौशलपूर्ण संकलन।
व्याकुल पथिक जी की आत्मकथा रोचक एवं मार्मिक है।
ऐसे संस्मरण चर्चा में आते रहने चाहिए।
सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
जी धन्यवाद रवीन्द्र भाई साहब,
हटाएंआपके इस उत्साहवर्धन पर आभार व्यक्त करने के लिये मेरे पास शब्द नहीं है। अतः प्रणाम से अधिक कुछ भी कहने में असमर्थ हूँ।
शानदार प्रस्तुतिकरण के साथ लाजवाब चर्चामंच...
जवाब देंहटाएंसभी उम्दा रचनाओं के साथ मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार एवं धन्यवाद अनीता जी !
सुंदर रचनाओं से सराहनीय प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअनीता जी
सच में आपकी कर्मठता सराहनीय हैं बहुत अच्छे लिंक्स आप लिखने वालों की हौसलाअफजाई करती हैं जिससे आगे लिखने की ऊर्जा मिलता है बहुत बहुत आभार
बहुत सुंदर चर्चा अंक सभी रचनाएं उच्चस्तरिय पठनीय।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
सभी रचनाकारों को बधाई।