मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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फूल से नाराज़ होकर तितली सो गयी है
फूल से नाराज़ होकर
तितली सो गयी है,
बंद कमरों की अब ऐसी हालत हो गयी है।.........(1 ) हो चला सयाना फूल ज़माने के साथ-साथ , मुरझाई हैं पाँखें महक भी रो गयी है। बंद कमरों की अब ऐसी हालत हो गयी है।.........(2 )… ज़माने के साथ-साथ , मुरझाई हैं पाँखें महक भी रो गयी है। बंद कमरों की अब ऐसी हालत हो गयी है।.........(2 )… हिन्दी-आभा*भारत
पर Ravindra Singh Yadav
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वसुंधरा फाउंडेशन के तत्वाधान में
"सुराज,स्वदेशी और महात्मा गांधी''
पर विचार गोष्ठी ------ विजय राजबली माथुर
वसुंधरा फाउंडेशन के तत्वाधान में
"सुराज,स्वदेशी और महात्मा गांधी''
पर विचार गोष्ठी ------ विजय राजबली माथुर
एक हाथ में लाठी ठक-ठक,और एक में,सत्य, अहिंसा तथा धर्म का,टूटा-फूटा, लिए कटोरा.धोती फटी सी, लटी दुपटी,अरु पायं उपानहिं की, नहिं सामा,राजा की नगरी फिर आया,बिना बुलाए एक सुदामा
तिरछी नज़र पर गोपेश मोहन जैसवाल
तिरछी नज़र पर गोपेश मोहन जैसवाल
बीती रात महात्मा गाँधी मेरे घर आए । मैंने उनका स्वागत करते हुए कहा - हे राष्ट्रपिता !मेरा सौभाग्य है कि आपकी चरण धूलि से मेरा घर पवित्र हुआ । आप इसी तरह बीच -बीच में कुछ समय निकाल कर भारत भ्रमण पर आ जाया करें । मुझे आशीर्वाद देते हुए उन्होंने कहा - " कृपा करके मुझे राष्ट्रपिता कहकर शर्मिंदा मत करो । राष्ट्र के बेटे -बेटियों को अब मेरी परवाह कहाँ ? आज़ादी मिलते ही इस धरती की संतानों ने एक -दूजे के ख़ून के प्यासे बनकर और अपने ही राष्ट्र को बेरहमी से दो टुकड़ों में काटकर अखण्ड भारत के सपने को धूल में मिला दिया ! "... मेरे दिल की बात पर Swarajya karun
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साहित्य संगम संस्थान की
'संगम सवेरा' (मासिक ई पत्रिका) के
वर्ष 3 अंक 3 | अक्टूबर 2019 अंक में मेरी दो लघुकथाएं
साहित्य संगम संस्थान की
'संगम सवेरा' (मासिक ई पत्रिका) के
वर्ष 3 अंक 3 | अक्टूबर 2019 अंक में मेरी दो लघुकथाएं
सीखने और सुधरने की कोई उम्र नहीं होती। यह बात कल, 02 अक्टूबर 2019 को मुझ पर लागू हो गई। 02 अक्टूबर जलजजी (डॉक्टर जयकुमारजी जलज) की जन्म तारीख है। कल वे 85 वर्ष के हो गए। उनके प्रति अपनी शुभ-कामनाएँ, सद्भावनाएँ प्रकट कर उन्हें बधाइयाँ देने, उनका अभिनन्दन करने के लिए हम कुछ लोग उनके निवास पर पहुँचे। जलजजी का कमरा, उनके मन जैसा बड़ा नहीं है। फलस्वरूप, उनका कमरा छोटा पड़ गया… एकोऽहम् पर विष्णु बैरागी
वाह ! रसों का सरस रसायन आज चर्चा मंच की शानदार प्रस्तुति में।
जवाब देंहटाएंजहाँ एक ओर शृंगारपरक रचनाओं की मौजूदगी है वहीं दूसरी ओर अनेक गंभीर विषयों पर विचारोत्तेजक बहस की गुंजाइश का दायरा बनाती सुगढ़ रचनाएँ।
सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
मेरी पुस्तक 'प्रिज़्म से निकले रंग' की रचना 'फूल से नाराज़ होकर तितली सो गयी है' को इस प्रतिष्ठित मंच पर सजाने के लिये हार्दिक आभार आदरणीय शास्त्रीजी।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को 'चर्चा मंच' में शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआज के इंद्रधनुषी संकलन में एक नन्ही बूँद की तरह मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार आपका ...
जवाब देंहटाएंसुंदर सार्थक लिंक्स का संकलन आज के चर्चामंच में ! मेरे यात्रा संस्मरण को शामिल करने के लिये आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवम आभार शास्त्री जी ! सादर वंदे !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय
जवाब देंहटाएंशानदार रचनाएँ, मुझे स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार आप का
सादर