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मंगलवार, अक्टूबर 08, 2019

"झूठ रहा है हार?" (चर्चा अंक- 3482)

मित्रों!
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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दोहे  
"गयी बुराई हार?"  

गूँगी गुड़िया  
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बादल  
आवारा बादल हूँ मैं  
अपने झुंड से बिछड़ गया हूँ मैं  
भटकन निरुद्देश्य न हो  
इस उलझन में सिमट गया हूँ मैं… 
हिन्दी-आभा*भारत 
Ravindra Singh Yadav 
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दशहरा की 15 शुभकामनाएं  
(Dussehra wishes, quotes, wishes in hindi) 

कविता "जीवन कलश" पर 
पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
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"तब के गीत और अब के गीत"
मित्रों का सहमत होना जरूरी नहीं है किंतु मेरा मानना यह है कि
श्वेत-श्याम फिल्मों के दौर में जिंदगी के रंगों को सिनेमा के पर्दे पर सजीव करने के लिए गायक, गीतकार, संगीतकार, निर्देशक और कलाकार बेहद परिश्रम करते थे। परिश्रम का यह रंग ही श्वेत-श्याम फिल्मों को सिनेमा के पर्दे पर ऐसे उतारता था कि दर्शकों को उनमें जीवन के सभी रंग दिखाई देते थे। इन्हीं रंगों के बीच वह अपनी जिंदगी को भी देख लेता था। इसीलिए श्वेत-श्याम फिल्मों का दौर अमर हो गया… 
अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ) 

नमस्ते namaste पर noopuram  
सींचकर आंख की नमी से
रखती है तरोताजा
अपने रंगीन फूल 

संवारती है
टूटे आईने में देखकर
कई कई आंखों से
खरोंचा गया चेहरा
जानती है
सुंदर फूल
खिले ही अच्छे लगते हैं... 

जिज्ञासा पर Pramod Joshi  

iwillrocknow:nitish tiwary's blog. पर Nitish Tiwary  


शरारती बचपन पर sunil kumar 
ये, सच है। ख़ुदा की क़ायनात में सब कुछ बहुत - बहुत खूबसूरत है। लेकिन फूलों की बात बिलकुल अलहदा। इंसान कितना भी थका हो परेशान हो फूलों की संगत में आते ही फूलों की रंगत फूलों की खुशबू फूलों की नज़ाकत इंसान को ताज़ा दम कर देती है… एक बोर आदमी का रोजनामचा 

समालोचन पर arun dev 
रामलीला का यह किस्सा मेरे गृहनगर मनासा का ही है। गाँधी चौक में बने छोटे से मंच को, लकड़ी के तख्तों से विस्तारित किया गया था। उस रात लक्ष्मण-मूर्छा और हनुमान द्वारा संजीवनी बूटी लाने का प्रसंग मंचित होना था। मंच के सामने, बाँयी ओर, कोई तीस-पैंतीस फीट दूरी पर स्थित हरिवल्लभजी झँवर की दुकान के बाहर नीम का ऊँचा, घना पेड़ था। (आश करता हूँ कि अब भी हो।) उत्साही कार्यकर्ताओं ने तय किया कि संजीवनी बूटी लेकर हनुमानजी को इस पेड़ से सीधे मंच पर उतारा जाए। योजना पर बारीकी से विचार किया गया। कलाकार की सुरक्षा सुनिश्चित की गई... एकोऽहम् पर विष्णु बैरागी 

मेरी धरोहर पर Digvijay Agrawal 

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीय शास्त्री जी.
    बेहतरीन रचनाओं का समागम. सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ.
    मेरी रचना को इस पटल पर स्थान देने के लिये सादर आभार आदरणीय शास्त्री जी.
    विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर चर्चा ! शुभ विजयादशमी !

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात सर 🙏)
    बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति 👌, शानदार रचनाएँ, मुझे स्थान देने के लिए सहृदय आभार आप का |
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
    चर्चा मंच की सम्पादकीय टीम और पाठकों को विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर चर्चा


    विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  6. दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं
    बहुत सुंदर संयोजन
    सभी रचनाकारों को बधाई
    मुझे सम्मिलित करने का आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  7. विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
    बहुत सुंदर चर्चा अंक सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर संकलन । विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहद दिलचस्प चर्चा.
    विजयादशमी पर हम सबका आत्मबल जीते. शुभकमनाएं.
    धन्यवाद शास्त्रीजी.

    जवाब देंहटाएं
  10. बेहद दिलचस्प चर्चा.
    विजयादशमी पर हम सबका आत्मबल जीते. शुभकमनाएं.
    धन्यवाद शास्त्रीजी.

    जवाब देंहटाएं
  11. झूठ तो हारता ही है.
    ये और बात है,
    हम ना समझ पाएं.

    जवाब देंहटाएं

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