मित्रों!
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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दोहे
"गयी बुराई हार?"
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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दोहे
"गयी बुराई हार?"
गूँगी गुड़िया
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बादल
आवारा बादल हूँ मैं
अपने झुंड से बिछड़ गया हूँ मैं
भटकन निरुद्देश्य न हो
इस उलझन में सिमट गया हूँ मैं…
हिन्दी-आभा*भारत
Ravindra Singh Yadav
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दशहरा की 15 शुभकामनाएं
(Dussehra wishes, quotes, wishes in hindi)
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"तब के गीत और अब के गीत"
मित्रों का सहमत होना जरूरी नहीं है किंतु मेरा मानना यह है कि
श्वेत-श्याम फिल्मों के दौर में जिंदगी के रंगों को सिनेमा के पर्दे पर सजीव करने के लिए गायक, गीतकार, संगीतकार, निर्देशक और कलाकार बेहद परिश्रम करते थे। परिश्रम का यह रंग ही श्वेत-श्याम फिल्मों को सिनेमा के पर्दे पर ऐसे उतारता था कि दर्शकों को उनमें जीवन के सभी रंग दिखाई देते थे। इन्हीं रंगों के बीच वह अपनी जिंदगी को भी देख लेता था। इसीलिए श्वेत-श्याम फिल्मों का दौर अमर हो गया…
अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)
"तब के गीत और अब के गीत"
मित्रों का सहमत होना जरूरी नहीं है किंतु मेरा मानना यह है कि
श्वेत-श्याम फिल्मों के दौर में जिंदगी के रंगों को सिनेमा के पर्दे पर सजीव करने के लिए गायक, गीतकार, संगीतकार, निर्देशक और कलाकार बेहद परिश्रम करते थे। परिश्रम का यह रंग ही श्वेत-श्याम फिल्मों को सिनेमा के पर्दे पर ऐसे उतारता था कि दर्शकों को उनमें जीवन के सभी रंग दिखाई देते थे। इन्हीं रंगों के बीच वह अपनी जिंदगी को भी देख लेता था। इसीलिए श्वेत-श्याम फिल्मों का दौर अमर हो गया…
अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)
सींचकर आंख की नमी से
रखती है तरोताजा
अपने रंगीन फूल
संवारती है
टूटे आईने में देखकर
कई कई आंखों से
खरोंचा गया चेहरा
जानती है
सुंदर फूल
खिले ही अच्छे लगते हैं...
शरारती बचपन पर sunil kumar
ये, सच है। ख़ुदा की क़ायनात में सब कुछ बहुत - बहुत खूबसूरत है। लेकिन फूलों की बात बिलकुल अलहदा। इंसान कितना भी थका हो परेशान हो फूलों की संगत में आते ही फूलों की रंगत फूलों की खुशबू फूलों की नज़ाकत इंसान को ताज़ा दम कर देती है… एक बोर आदमी का रोजनामचा
समालोचन पर arun dev
रामलीला का यह किस्सा मेरे गृहनगर मनासा का ही है। गाँधी चौक में बने छोटे से मंच को, लकड़ी के तख्तों से विस्तारित किया गया था। उस रात लक्ष्मण-मूर्छा और हनुमान द्वारा संजीवनी बूटी लाने का प्रसंग मंचित होना था। मंच के सामने, बाँयी ओर, कोई तीस-पैंतीस फीट दूरी पर स्थित हरिवल्लभजी झँवर की दुकान के बाहर नीम का ऊँचा, घना पेड़ था। (आश करता हूँ कि अब भी हो।) उत्साही कार्यकर्ताओं ने तय किया कि संजीवनी बूटी लेकर हनुमानजी को इस पेड़ से सीधे मंच पर उतारा जाए। योजना पर बारीकी से विचार किया गया। कलाकार की सुरक्षा सुनिश्चित की गई... एकोऽहम् पर विष्णु बैरागी
मेरी धरोहर पर Digvijay Agrawal
बहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीय शास्त्री जी.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाओं का समागम. सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ.
मेरी रचना को इस पटल पर स्थान देने के लिये सादर आभार आदरणीय शास्त्री जी.
विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.
सुंदर चर्चा ! शुभ विजयादशमी !
जवाब देंहटाएंसुन्दर अंक।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात सर 🙏)
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा प्रस्तुति 👌, शानदार रचनाएँ, मुझे स्थान देने के लिए सहृदय आभार आप का |
सादर
मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच की सम्पादकीय टीम और पाठकों को विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
बहुत सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंविजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं
दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संयोजन
सभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मिलित करने का आभार
सादर
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा अंक सभी रचनाकारों को बधाई।
बहुत सुन्दर संकलन । विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंबेहद दिलचस्प चर्चा.
जवाब देंहटाएंविजयादशमी पर हम सबका आत्मबल जीते. शुभकमनाएं.
धन्यवाद शास्त्रीजी.
बेहद दिलचस्प चर्चा.
जवाब देंहटाएंविजयादशमी पर हम सबका आत्मबल जीते. शुभकमनाएं.
धन्यवाद शास्त्रीजी.
झूठ तो हारता ही है.
जवाब देंहटाएंये और बात है,
हम ना समझ पाएं.