मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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आयी राम की
अवध में होली ,
छायी कान्हा की
बृज में रंगोली।
पक गयी सरसों
बौराये हैं आम,
मनचलों को अब
सूझी है ठिठोली...
गूँगी गुड़िया पर Anita saini
कहते हैं,
खरबूजे को देखकर
खरबूजा रंग बदलता है।
लेकिन पत्नी पर भैया, भला
किसका वश चलता है...
खरबूजे को देखकर
खरबूजा रंग बदलता है।
लेकिन पत्नी पर भैया, भला
किसका वश चलता है...
अंतर्मंथन पर डॉ टी एस दराल
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देहात पर राजीव कुमार झा
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लघुकथा कलश’ के पांचवें अंक
(जनवरी-जून 2020) की सूचना
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लघुकथा दुनिया
(Laghukatha Duniya) पर Chandresh
वो एक होकर भी अनेक लगती है,
ऐश्वर्या है मगर अभिषेक लगती है।
ये दौर-ए-इक्कीसवीं सदी है प्यारे,
कामकाजी पत्नी तो चैक लगती है।
मेरी दुनिया पर विमल कुमार शुक्ल 'विमल'
ऐश्वर्या है मगर अभिषेक लगती है।
ये दौर-ए-इक्कीसवीं सदी है प्यारे,
कामकाजी पत्नी तो चैक लगती है।
मेरी दुनिया पर विमल कुमार शुक्ल 'विमल'
बेटी की किलकारी
कन्या भ्रूण अगर मारोगे
मां दुुरगा का शाप लगेगा।
बेटी की किलकारी के बिन
आंगन-आंगन नहीं रहेगा।
जिस घर बेटी जन्म न लेती
वह घर सभ्य नहीं होता है।
बेटी के आरतिए के बिन
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बेटी की किलकारी के बिन
जवाब देंहटाएंआंगन-आंगन नहीं रहेगा।
जिस घर बेटी जन्म न लेती
वह घर सभ्य नहीं होता है।
प्राचीनकाल में भी कन्यादान के धार्मिक महत्व का उल्लेख है। यह हर मनुष्य का नैतिक कर्तव्य था । जिनके पास कन्या नहीं थी , वह अपने परिजनों की किसी बच्ची का विवाह संपन्न कराते थे। वैसे कन्यादान में दान शब्द पर आपत्ति व्यक्त की जाती है।
यह मंच हमेशा विविध विषयों का संगम रहा है। सभी लिंक्स अलग-अलग होते हैं , पर सभी को नमन मैं एक साथ कर रहा हूँँ।
बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय.
जवाब देंहटाएंशानदार रचनाएँ,मेरी रचना को स्थान देने हेतु बहुत बहुत शुक्रिया.
सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएँ.
सादर
धन्यवाद, मेरी रचना को स्थान देने के लिए।
जवाब देंहटाएंसाथ ही सभी रचनाकारों को बधाई।
सुन्दर प्रस्तुति। आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स सराहनीय और बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा मंच के लिंक्स.मुझे भी शामिल करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
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