मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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करवा-चौथ के चाँद को निहारती
गूँगी गुड़िया -अनीता सैनी
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गीत
"बिन आँखों के जग सूना है"
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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करवा-चौथ के चाँद को निहारती
गूँगी गुड़िया -अनीता सैनी
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गीत
"बिन आँखों के जग सूना है"
बीसवीं सदी में,
प्रेमचंद की निर्मला थी बेटी,
इक्कीसवीं सदी में,
नयना / गुड़िया या निर्भया,
बन चुकी है बेटी।
कुछ नाम याद होंगे आपको,
वैदिक साहित्य की बेटियों के-
सीता, सावित्री, अनुसुइया, उर्मिला ;
अहिल्या, शबरी, शकुंतला,
नमस्ते namaste पर noopuram
जो साथ उनके सदा रहती,ये उनका स्वाभिमान है..,ये केवल सफेद छड़ी नहीं,दृष्टिहीनों की पहचान है....पथ में क्या है,, उन्हे बताती,आत्म निरभरता का मंत्र सिखाती,चलते हुए उनह्े सुरक्षा देती,ये दृष्टिहीन है, चलने वालों को बताती…
मन का मंथन [man ka manthan] पर
kuldeep thakur
मन का मंथन [man ka manthan] पर
kuldeep thakur
अनघा पार्क में पेड़ों के झुरमुट में शिथिल सी बैठी थी । बहुत से बच्चे खेल में मग्न उसके आसपास से पंछियों सा कलरव करते एक झूले से दूसरे झूले पर , तो कभी स्लाइड से सी सॉ पर फुदक रहे थे । कभीकभार कुछ युवा भी दौड़ती सी गति से जॉगिंग करते दिख जाते थे ।पर वो दुनिया से वीतरागी सी पतझर जैसी ,अपने ही स्थान पर शिथिल बैठी थी । अन्विता बहुत देर से उनको निहार रही थी ,परन्तु उसको अनघा के इस रूप का कारण समझ ही नहीं आया…
झरोख़ा पर निवेदिता श्रीवास्तव
झरोख़ा पर निवेदिता श्रीवास्तव
बच्चे कितनी जल्दी समझदार हो जाते हैं,
अब लगता है सब समझने लगा है
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आज विश्व खाद्य दिवस है। किसी भी प्राणी को जीवित रहने के लिये भोजन चाहिए।
जवाब देंहटाएंकवियों ने भी भुखमरी पर खूब रचनाएँ लिखी हैं।
आज भी इस विषय को प्रमुखता देना उनका दायित्व है।
अपना देश भी कभी खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर नहीं रहा, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने " जय जवान जय किसान" का नारा दिया था। 60 के दशक में हरित क्रांति ने अपने देश में कृषि क्षेत्र में सुधार लाई । लेकिन, भुखमरी गयी नहीं है साथ ही युवावर्ग का रोजी-रोटी के लिये ग्रामीण क्षेत्रों से महानगर की ओर पलायन हो रहा है। अन्नदाता कर्ज में डूबकर आत्महत्या कर रहे हैं।
सरकार उनकी समस्या ठीक से नहीं समझ पा रही है और जुमलेबाजी से किसानों का विकास हो रहा है। अतः स्थिति ठीक नहीं है।
उल्लेखनीय है कि कांफ्रेस ऑफ द फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (एफएओ) ने वर्ष 1979 से विश्व खाद्य दिवस मनाने की घोषणा की थी। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य विश्व भर में फैली भुखमरी की समस्या के प्रति लोगों में जागरुकता बढ़ाना और भूख, कुपोषण और गरीबी के खिलाफ संघर्ष को मजबूती देना था। 1980 से 16 अक्टूबर को 'विश्व खाद्य दिवस' का आयोजन शुरू किया गया था।
मंच की प्रस्तुति और लिंक्स प्रभावशाली हैं। सभी को सादर प्रणाम।
बहुत अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद.
हटाएंसुन्दर सरस सुगढ़ सामयिक रचनाओं से सुसज्जित प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
मेरी रचना को प्रतिष्ठित चर्चा मंच में सम्मिलित करने के लिये सादर आभार आदरणीय शास्त्री जी।
सुन्दर प्रस्तुति। आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंजी प्रणाम सर,
जवाब देंहटाएंक्षमा चाहती हूँँ मेरी रचना एडिटिंग के दौरान मुझसे डिलीट हो गयी है और मैंने कहींं इसका ड्राफ्ट भी नहीं रखा है आपसे करबद्ध निवेदन है सर मंच से कृपया "अधूरी पाती"का लिंक हटा लीजिए। आपने मान दिया मन से बहुत आभारी हूँँ।
कष्ट के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।
सादर।
बेहतरीन प्रस्तुति ,सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा, विभिन्न विषय, सुंदर लिंक ।
बेहतरीन संयोजन।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने के लिये सहृदय आभार आदरणीय
सादर
आभार शास्त्रीजी.
जवाब देंहटाएंसबके जीवन की अभिलाषा पूर्ण हो.
एक ना एक दिन.
किसी ना किसी रूप में.
बहुत सुंदर प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएंसभी को खूब बधाई
सादर नमन