मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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आज की चर्चा में देखिए
कुछ अद्यतन लिंक और नियमित प्रविष्टियाँ
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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आज की चर्चा में देखिए
कुछ अद्यतन लिंक और नियमित प्रविष्टियाँ
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सबसे पहले देखिए मेरी यह ग़ज़ल
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सभी विधाओं में अपनी कलम चलाने वाली
पेशे से अंग्रेजी अध्यापिका श्रीमती राधा तिवारी ने
हरियाली पर कुछ दोहे प्रस्तुत किये हैं।
देखिए-
दोहे,
हरियाली "
( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
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आज देखिए हिन्दी-आभा*भारत पर
Ravindra Singh Yadav द्वारा रची गयी
14 फरवरी प्रें दिवस पर पिरामिड संरचना में
एक रचना-
आज देखिए हिन्दी-आभा*भारत पर
Ravindra Singh Yadav द्वारा रची गयी
14 फरवरी प्रें दिवस पर पिरामिड संरचना में
एक रचना-
बसंत
(वर्ण पिरामिड)
मन भर हुलास
आया मधुमास
कूकी कोकिला
कूजे पंछी
बसंत
छाया
है...
आया मधुमास
कूकी कोकिला
कूजे पंछी
बसंत
छाया
है...
Ravindra Singh Yadav
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आज देखिए-
शशि गुप्त शशि की चार जनवरी, 2019 की
यह प्रविष्टी
जिसमें उन्होंने आवोदाना और आशियाना की तलाश की है
आब-ओ-दाना ढूँढता है, आशियाना ढूँढता है
शशि गुप्त शशि की चार जनवरी, 2019 की
यह प्रविष्टी
जिसमें उन्होंने आवोदाना और आशियाना की तलाश की है
आब-ओ-दाना ढूँढता है, आशियाना ढूँढता है
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आशियाना कभी किसी का नहीं होता है। जिन्होंने महल बनवाये आज उसमें उनकी पहचान धुंधली पड़ चुकी है। फिर भी आशियाना है, तो जीवन है। ब्रह्माण्ड है , पृथ्वी है, तभी प्राणियों की उत्पत्ति है। हर प्राणी को ठिकाना चाहिए ।
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गली के मोड़ पे, सूना सा कोई दरवाज़ा
तरसती आँखों से रस्ता किसी का देखेगा
निगाह दूर तलक जा के लौट आएगी
करोगे याद तो, हर बात याद आयेगी
गुज़रते वक़्त की, हर मौज ठहर जायेगी ...
व्याकुल पथिक ******************************
गली के मोड़ पे, सूना सा कोई दरवाज़ा
तरसती आँखों से रस्ता किसी का देखेगा
निगाह दूर तलक जा के लौट आएगी
करोगे याद तो, हर बात याद आयेगी
गुज़रते वक़्त की, हर मौज ठहर जायेगी ...
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एक खुशखबरी यहाँ भी दी है
लघु कथाकार चन्द्रेश छतलानी जी ने-
लघु कथाकार चन्द्रेश छतलानी जी ने-
जैमिनी अकादमी द्वारा आयोजित
अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता-2019 का परिणाम
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Chandresh
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सामाजिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक हलचलों के साथ
विजय गौड़ ने लिखो यहां वहां
पर पाठकों के समक्ष अपनी बात रखी है-
विजय गौड़ ने लिखो यहां वहां
पर पाठकों के समक्ष अपनी बात रखी है-
व्हाईट ब्लैंक पेप
कथा संग्रह ‘’पोंचू’’ प्रकाशित हो गया है। संग्रह में कुल 12 कहानियां है। यह कहानी 2013/14 में पूरी हुई थी और उसके बाद 2015 में वर्तमान साहित्यक के एक अंक में प्रकाशित हुई। संग्रह में यह भी शामिल है...
लिखो यहां वहां पर विजय गौड़
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डॉ. के.के यादव जी ने एक जानकारी साझा की है।
डाकिया डाक लाया व्लॉग में-
डाकिया डाक लाया व्लॉग में-
National Postal Week-Banking Day :
भारत में हर चौथा व्यक्ति डाकघर का खाताधारक-
डाक निदेशक केके यादव
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सुशील बाकलीवाल ने अपने ब्लॉग स्वास्थ्य-सुख में
नीम्बू के महत्व को बताया है
पढ़इे यह पोस्ट और लाभान्वित हों
नीम्बू के महत्व को बताया है
पढ़इे यह पोस्ट और लाभान्वित हों
नींबू एक - लाभ अनेक.
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स्वास्थ्य-सुख पर Sushil Bakliwal
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श्रीमती मीना भारद्वाज का ब्लॉग है मंथन
जिसमें पिरामिड बनाकर शब्दों को
करीने से सजाया गया है
जिसमें पिरामिड बनाकर शब्दों को
करीने से सजाया गया है
"वर्ण पिरामिड"
है
द्वैत
अद्वैत
मतान्तर
निर्गुण ब्रह्म
घट घट व्याप्त
प्रसून सुवासित...
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बाल सजग बच्चों का ब्लॉग है
जिसमें बालकों के द्वारा ही रचित
रचनाओं को प्रस्तुत किया जाता है।
आज देखिए कक्षा आठ के
विक्रम कुमार की यह रचना-
जिसमें बालकों के द्वारा ही रचित
रचनाओं को प्रस्तुत किया जाता है।
आज देखिए कक्षा आठ के
विक्रम कुमार की यह रचना-
खिलता हुआ फूल
खिलता हुआ फूल चहकता हुआ लगता है,
हर रंग को बदलकर संवरना अच्छा लगता है |
खुशबू की महक से मोहित करने वह खाश अंदाज,
और सजकर गले हर बनना उसे सुहाना लगता है |
खिलता हुआ फूल चहकता हुआ लगता है,
हर रंग को बदलकर संवरना अच्छा लगता है |
खुशबू की महक से मोहित करने वह खाश अंदाज,
और सजकर गले हर बनना उसे सुहाना लगता है |
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देखिए समीक्षा की परिभाषा
एक छन्द के द्वारा प्रस्तुत की है
डॉ. हरिमोहन गुप्त ने अपने ब्लॉग में-
समीक्षा
पढ़ कर,गुन कर, गुण दोषों की करें समीक्षा,
समय पड़े पर आवश्यक उत्तीर्ण परीक्षा,
लेकिन इतना धीरज रक्खें शांत भाव से,
फल पाने को करना पड़ती सदा प्रतीक्षा l
एक छन्द के द्वारा प्रस्तुत की है
डॉ. हरिमोहन गुप्त ने अपने ब्लॉग में-
समीक्षा
पढ़ कर,गुन कर, गुण दोषों की करें समीक्षा,
समय पड़े पर आवश्यक उत्तीर्ण परीक्षा,
लेकिन इतना धीरज रक्खें शांत भाव से,
फल पाने को करना पड़ती सदा प्रतीक्षा l
Dr. Hari Mohan Gupt
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व्यंजनों की रेसिपी में सिद्धहस्त
श्रीमती ज्योति देहलीवाल ने
आज एक कहानी अपने ब्लॉग पर प्रस्तुत की है-
कहानी-
राज की बात
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आदरणीय सुबोध सिन्हा अनवरतरूप से
अपने ब्लॉग बंजारा बस्ती के बाशिंदे पर
अपनी अभिव्यक्तियों को पोस्ट करते हैं।
आज देखिए उनकी यह पोस्ट-
आदरणीय सुबोध सिन्हा अनवरतरूप से
अपने ब्लॉग बंजारा बस्ती के बाशिंदे पर
अपनी अभिव्यक्तियों को पोस्ट करते हैं।
आज देखिए उनकी यह पोस्ट-
पाई(π)-सा ...
180° कोण पर
अनवरत फैली
बेताब तुम्हारी
बाँहों का व्यास
मुझे अंकवारी
भरने की लिए
एक अनबुझी प्यास ...
अनवरत फैली
बेताब तुम्हारी
बाँहों का व्यास
मुझे अंकवारी
भरने की लिए
एक अनबुझी प्यास ...
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Subodh Sinha
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अन्त में देखिए
हीरालाल प्रजापति का एक मुक्तक
दीर्घ मुक्तक : 931 -
शिकंजा
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चर्चा मंच के आज के अंक का शीर्ष -
जवाब देंहटाएं"रोज दीवाली मनाओ, तो कोई बात बने" , बेजोड़ एवं विचारणीय है। सच भी यही है कि यदि हमारा हृदय निर्मल है, वह मानवीय संवेदनाओं से लबरेज़ है, तो हमें दीपावली जैसी खुशी तलाशने के लिये किसी विशेष पर्व- उत्सव की आवश्यकता नहीं है।
मेरे गुरुदेव भी यही ज्ञान हम सबकों देते थे-
" सदा दिवाली संत की, आठों पहर आनंद।"
मंच पर प्रस्तुत रचनाओं को पढ़ने के लिये उनपर लिखी गयी आपकी टिप्पणी और इनके मध्य मेरे भी लेख को स्थान दिये जाने की सराहना मैं किन शब्दों में करूँ, अतः बस यही दुआ करता हूँ कि इस मंच की ख्याति दिन-प्रतिदिन बढ़ती रहे।
सभी को सादर प्रणाम
बहुत अच्छी प्रस्तुति दैनिक रचनाओं के सिलसिलेवार चुनिन्दा लेखों का ।
जवाब देंहटाएंमेरेे ब्लॉग लेख की मौजूदगी, सोने पे सुहागा । आभार सहित...
जवाब देंहटाएंआज के अंक की शुरुआत में साझा की गई आपकी गज़ल में दो-चार पंक्तियाँ जोड़ने की गुस्ताख़ी कर रहा हूँ ...
जवाब देंहटाएंक्यों करते हो मुस्काते फूलों का रोज क़त्लेआम
लहू निज का भी कभी बहाओ तो कोई बात बने
चन्द ख़ास दिनों का भला करते हो क्यों शाकाहार
उम्र सारी शाकाहार किया करो तो कोई बात बने
बहरहाल ... मेरी रचना को नियमित रूप से निष्पक्ष इस स्थापित मंच पर साझा करने के लिए और आज तो मेरे लिए भी रचना से पहले दो पंक्तियाँ लिखने के लिए सादर नमन आपको और मन से आभार आपका ...
सुन्दर अंक
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति । इस प्रस्तुति में मेरे सृजन को स्थान देने के लिए सादर आभार ।
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन, रोज दिवाली मनाओ तो कोई बात है.. उत्तम बात कही आपने पर्व त्यौहार का साल में एक बार आना अच्छा होता है इस 1 दिन के लिए हम कई दिनों पूर्व से मेहनत करते हैं कपड़े लेते हैं खाने-पीने की तैयारियां करते हैं मेहमानों को आमंत्रित करते हैं सब कुछ बहुत ही रोचक होता है उन दिनों क्योंकि उन दिनों को हम सभी मिलकर खास बनाते हैं पर क्यों न बड़ी-बड़ी खुशियां ना सही पर छोटी खुशियों को हम रोज सहेज सकते हैं रोज मना सकते हैं..!
जवाब देंहटाएं.. सुबोध सिन्हा जी की बंजारा बस्ती के को पढ़ना बहुत ही रोचक लगा.. ज्योति देहलीवाल जी की राज की बात बहुत अच्छी कहानी लगी... नई पुरानी रचनाओं के समागम के साथ आपने एक बहुत ही अच्छी प्रस्तुति दी आपको बधाई..!!
हार्दिक धन्यवाद अन्नू ...!!
हटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा पढ़ने को प्राप्त हुई। हार्दिक आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंसराहनीय संकलन
जवाब देंहटाएं