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मंगलवार, अप्रैल 28, 2020

" साधना भी होगी पूरी "(चर्चा अंक-3684)

स्नेहिल अभिवादन। 
 आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।

हार कर चुप बैठ जाना
काम मानव का नहीं है
संकटों से पार पाना
लक्ष्य जीवन का यही है
साँस सरगम फिर बजेगी
रह गई थी जो अधूरी।

(आदरणीय अभिलाषा चौहान जी की रचना से )
हमारी एकांतवास की साधना भी अवश्य पूरी होगी 
और बहुत जल्द पूरी होगी 
इसी कामना के साथ चलते हैं  
आज की रचनाओं की ओर..... 
*******

बालवन्दना  

"जय-जय जय वरदानी माता" 

 (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

जय-जय जय कल्याणी माता। 
जय-जय जय वरदानी माता।। 

मन है माता मेरा चंचल, 
माँग रहा हूँ अविचल सम्बल, 
******

स्मृति दिवस : पुस्तक! 

समय के आरम्भ में,
विवस्वत ने सुना था।
शब्दों का नाद !
गूँजता रहा अनंत काल तक,
आकाश के विस्तार में।

*******

दुनिया तब भी रंगीन होती है 
जब हसीन लम्हों के द्रख्त 
जड़ बनाने लगते हैं दिल की कोरी ज़मीन पर 
क्योंकि उसके साए में उगे रंगीन सपने 
जगमगाते हैं उम्र भर 
******
मेरी फ़ोटो
महानगर ~
वैश्विक महामारी
सूनी डगर ।

 भोर व सांझ ~
 खिड़कियों से आती
 काढ़े की गन्ध ।
******
 कमल खिल नहीं सकता बिना कीचड़ के 
हाँ, उससे ऊपर उठता है जो 
वह यह राज देख पाता है 
धर्म-अधर्म दोनों के परे जाकर ही 
कोई उस एक से जुड़ पाता है !
******
खिड़की में से चाँद ,आजकल 
कितना सुंदर दिखता है 
और सितारे इत्ते सारे .. 
 यहाँ कहाँ से आ गए ? 
  पहले तो कभी ना देखे .. 
    इतने चमकीले से तारे  
    नन्ही गुडिया पूछ रही थी  
      प्रश्न थे मन में ढेर सारे।   
******
कभी, चुन कर, मन के भावों को, 
कभी, सह कर, दर्द से टीसते घावों को, 
कभी, गिन कर, पाँवों के छालों को, 
या पोंछ कर, रिश्तों के जालों को, 
या सुन कर, अनुभव, खट्ठे-मीठे,  
कुछ, लिखता हूँ हर बार! 
******

बंगाल में शतरंज के खेल में घटी थी  

एक अप्रत्याशित घटना 

उन दिनों कलकत्ता (आज का कोलकाता) और उपनगरीय इलाकों के
 तक़रीबन हर ''पाड़े'' में एक क्लब हुआ करता था,
 जिसमें कैरम, ताश, शतरंज जैसे अंतरदरवाजीय खेलों के साथ ही
 हर प्रकार की बहस-मुसाहिबी का भी इंतजाम रहता था
******

आकाशगंगा 

मेरी फ़ोटो
मेरे मन की आकाशगंगा में 
ऐसे हजारों तारें 
टिमटिमाते है 
जिनका पता किसी को नहीं 
मैं पहचानती हूँ 
एक एक तारें को 
*******

साधना भी होगी पूरी 


जल उठेगा दीप फिर से 
तम का मिटना है जरूरी। 
हृदय में संकल्प हो तो 
साधना भी होगी पूरी। 
******
इस माह की मेरी आखिरी प्रस्तुति , 
पूरा महीना चिन्ता और डर के साये में गुजरा... 
परमात्मा से यही प्रार्थना हैं,  
मेरी अगली प्रस्तुति तक  
देश दुनिया के हालात समान्य हो जाये... 
आज का सफर यही तक, अब आज्ञा दें  
आपका दिन मंगलमय हो 
कामिनी सिन्हा 
--

27 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर प्रस्तुति।

    सार्थक काव्यांश से प्रस्तुति का आग़ाज़।

    समसामयिक चिंतन की रसमय रचनाओं का ख़ूबसूरत चयन।

    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।


    जवाब देंहटाएं
  2. अद्यतन लिंकों के साथ उपयोगी चर्चा।
    आपका आभार कामिनी सिन्हा जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति आदरणीया कामिनी दीदी जी. सभी रचनाएँ बेहतरीन. सुंदर संकलन हेतु बधाई आप को
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर और सम्मोहक प्रस्तुति, हमेशा की भांति, कामिनी जी। साधुवाद और आभार।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद विश्वमोहन जी ,सादर नमस्कार

      हटाएं
  5. सकारात्मक भूमिका के साथ बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति ।
    मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु सादर आभार कामिनी जी !

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह!शानदार भूमिका !सभी रचनाएँ बहुत खूबसूरत है ..। मेरी रचना को शामिल करनें हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  7. सुंदर संकलन... मेरी रचना को स्थान देने का शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  8. मुझे भी सम्मिलित करने हेतु आपका और चर्चा मंच का हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  9. आशा से भरी भूमिका के साथ सुंदर लिंक्स का चयन, आभार मुझे भी आज की चर्चा में स्थान देने के लिए

    जवाब देंहटाएं
  10. सुंदर प्रस्तुति ...
    आभार मेरी रचना को जगह देने के लिए ...

    जवाब देंहटाएं
  11. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति ,सभी रचनाएं उत्तम , रचनाकारों को हार्दिक बधाई।एक साधना में आज अखिल विश्व लीन हैं। शीघ्रातिशीघ्र यह साधना पूर्ण हो और सकारात्मक परिणाम सामने आए।साँसों की सरगम पुनः बज उठे।भय का वातावरण समाप्त हो।मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए सहृदय आभार सखी 🌹🌹🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत सुन्दर सूत्रों से सजी हुई सार्थक पोस्ट चर्चा | जो पोस्टें बची हुई हैं उन्हें भी बांचते हैं अब लगे हाथों . पोस्ट को मान और स्थान देने के लिए आपका आभार

    जवाब देंहटाएं

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