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शनिवार, अगस्त 01, 2020

'बड़े काम की खबर'(चर्चा अंक-3780)

शीर्षक पंक्ति : डॉ. सुशील कुमार जोशी जी 
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सादर अभिवादन। 
शनिवारीय प्रस्तुति में आपका अभिनंदन है। 
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ख़बर बहुत प्रभावशाली शब्द है। हम सुनते या पढ़ते रहते हैं-
उदासी भाव में-
उसकी कोई ख़बर नहीं आई,
ग़ुस्से में कहें तो-
आज मैं उसकी ख़बर लेता हूँ!
चुहलबाज़ी के हल्के-फुल्के अंदाज़ में-
और क्या ख़बर है?
उसकी क्या ख़बर है?
समाज, देश-दुनिया की ख़बर वह ख़बर होती है जो छिपाई जाती है। महिमागान के पीछे धन या कुछ न कुछ पाने का स्वार्थ छिपा रहता है। कुछ माहिर लोग ख़बरों की ख़बर तलाशते रहते हैं। 
-अनीता सैनी

आइए पढ़ते हैं मेरी पसंद की कुछ रचनाएँ-
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मुशी प्रेमचन्द के जन्म दिन पर 
 "गबन और गोदान" 
 (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

निर्धनता के जो रहे,जीवनभर पर्याय।
लमही में पैदा हुए,लेखक धनपत राय।।
आम आदमी की व्यथा,लिखते थे जो नित्य।
प्रेमचन्द ने रच दिया,सरल-तरल साहित्य।।
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कच्ची जमीन ढूँढ कर कहीं भी 
सस्ते दाम वाली दिखने में कामवाली 
ढक ढका कर 
हरी पीली चमकीली सोच से ऐसी 
जो धोखा दे सकें समय पर 
उड़ा कर हवा में 
चोरी किये कहीं से 
दो चार चलते फिरते 
जमाने के दौड़ लगाते सुविचार 
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रक्षाबंधन -" कमजोर धागे का मजबूत बंधन "

   राखी पर्व का नाम लेते ही शायद ही ऐसा कोई हो जिसे अपने बचपन की याद ना आती हो। वैसे तो हर त्यौहार का असली मजा तो बचपन में ही आता है लेकिन राखी की तो बात ही अलग होती है। भाई-बहन का असली प्यार झलकता है, कोई दिखावा नहीं, कोई लालच नहीं, कोई मन पे बोझ नहीं। जितना ज्यादा बचपन में इस त्यौहार का आनंद होता है उतना ही बड़े होने के बाद इस त्यौहार का रंग-रूप बिगड़ जाता है। मैं ये नहीं कहूँगी कि भाई-बहन के बीच का प्यार कम हो जाता है बस उस प्यार पर औपचारिकता भारी पड़ जाती है और प्यार धूमिल हो जाता है। मुझे इस राखी में बनाये गए एक रिवाज़ से सबसे ज्यादा शिकायत है -"वो है, तोहफों का आदान-प्रदान " और मेरे बिचार से इसी रिवाज़ ने ही बड़े होने पर इस त्यौहार को बोझ बना दिया। 
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1019-कविताएँ
सहज साहित्य
उसने अपना दुःख गीतों में ढाला
हवाओं को सुनाया
लताओं को सुनाया
अकेली बैठी चिड़िया को सुनाया
बीच चौराहे गाँव को सुनाया
नदीसमुद्रजंगल को सुनाए गीत 
सारा आसमान गीतों से भर गया
औरत पर दुःख ही बरसा
उसके आँसू सूखे नहीं।
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दो ध्रुवों पर मित्रता के रंग

मैंतो इसको…….इस प्रकार करना उचित समझूँगी |”
सही कहा तुने इस प्रकार से तो अर्थ गहरा हो जाएगा |”
"हाँ जी इसीलिए कहा |"अपने मित्र के काम आकर हमेशा सुजाता फूली न समाती |
हेलो सुजाता क्या मैं अभी बात कर सकती हूँ !”दो -तीन घंटे बाद रितु ने फिर फोन लगा दिया |
हाँ जी बोल रितु |”
सुजातामेरे मन में अगले चित्र ले लिए एक थीम है सुनेगी ?”
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कोई किसी का ना हुआकोई सबका हो गया
Sad dard shayari
खुशियों की आस थी,
गम दरवाजे पर दस्तक दे गया।
हमने किसी का बुरा ना चाहा,
फिर भी हमारे साथ बुरा हो गया।
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थोड़ा सा प्यार

थोड़ा सा प्यार घोल लेना ,सब आसान लगेगा
दुख क्या चीज है ,तूफान भी मेहमान लगेगा
अजब हकीकत है ज़िन्दगी की
कभी जोग , कभी जँग , कहीं टूटन-बिखरन
तू भी कोई रँग घोल दे ,
दूर नहीं अरमान लगेगा
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एक दिन किनारा मिल ही जायेगा --

जिंदगी के सागर में,
उम्र की पनडुब्बी पर खड़े ,
हम देख रहे हैं, दूर क्षितिज में ,
भीषण तूफ़ान के काले बादलों तले ,
समुद्र में उठती ऊँची लहरों में ,
गोता लगाते, डूबते उभरते एक जहाज को।
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सूर्य की अटखेलियाँ

 सात घोड़ों के रथ पर हो सवार 
प्रातः से सांध्य बेला तक
आदित्य तुम्हारे रूप अनूप
सुबह तुम्हारी रश्मियाँ अटखेलियाँ करतीं
हरी भरी वादियों में |
--
समय

मैंने जाने कब से इस कमरे की चारदीवारी में ख़ुद को संभाल कर रखा हुआ है। मेरी रफ़्तार, मेरी दिनचर्या, मेरा जीवन सब मानों थम सा गया है। बस एक वक़्त है जो थमने का नाम नही ले रहा। सेकंड, मिनट, घंटा और फ़िर दिन। ये वक़्त ही है जिसने अपने कई नाम रखे हुए हैं और ये सभी बिना रुके बस चलते जा रहे हैं।
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मछली बाजार की औरतें
एक मछली वाली है इन्हीं में 
सूनी है जिसकी कलाई
मांग भी सूना है 
गांव की तिरस्कृत पगडंडी की तरह 
चेहरा थोड़ा काला
कुरूप सा लेकिन मेहनत के  रंग से  दीप्त 
उसके  श्रम को सलाम है मेरा
जिसका  पुरूष समंदर से लड़ते हुए 
उच्चारण 
--
आज का सफ़र यहीं तक 
फिर मिलेंगे 
आगामी अंक में🙏
--
-अनीता सैनी 

12 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    उम्दा संकलन आज का |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद अनीता जी |

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  2. बहुत सुन्दर सुगढ़ प्रस्तुति अनीता जी । सभी लिंक्स अत्यंत सुन्दर
    हैं और बेहतरीन हैं । सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर चर्चा। मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति प्रिय अनीता जी,मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर संकलन है अनीता जी... धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर संकलन। मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌👌

    जवाब देंहटाएं
  9. सार्थक लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
    आपका आभार अनीता सैनी जी।

    जवाब देंहटाएं

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