स्नेहिल अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
आप सभी को "श्रीकृष्ण जन्माष्टमी" की हार्दिक शुभकामनाएं
हर साल की तरह इस साल भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी दो दिन मनाया जा रहा है 11 और 12 अगस्त को।
वैसे तो "कोरोना" ने इस उत्सव के रंग को भंग कर दिया है...
मगर, कृष्ण के दीवाने कहाँ मानने वाले है जश्न तो होगा ही मगर पूरी सतर्कता के साथ...
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को भारत में ही नहीं,
बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं।
श्रीकृष्ण युगों-युगों से हमारी आस्था के केंद्र रहे हैं।
चाहे हम उनकी पूजा नटखट
बाल-गोपाल के रूप में करे या राधा के मनमोहन के रूप में....
कृष्ण तो हर दिल में बसें हैं ...
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कृष्ण तुम पर क्या लिखूं! कितना लिखूं
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आप सभी को "श्रीकृष्ण जन्माष्टमी" की हार्दिक शुभकामनाएं
हर साल की तरह इस साल भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी दो दिन मनाया जा रहा है 11 और 12 अगस्त को।
वैसे तो "कोरोना" ने इस उत्सव के रंग को भंग कर दिया है...
मगर, कृष्ण के दीवाने कहाँ मानने वाले है जश्न तो होगा ही मगर पूरी सतर्कता के साथ...
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं।
श्रीकृष्ण युगों-युगों से हमारी आस्था के केंद्र रहे हैं।
चाहे हम उनकी पूजा नटखट
बाल-गोपाल के रूप में करे या राधा के मनमोहन के रूप में....
कृष्ण तो हर दिल में बसें हैं ...
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कृष्ण तुम पर क्या लिखूं! कितना लिखूं
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कृष्ण तुम पर क्या लिखूं! कितना लिखूं!
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं!
प्रेम का सागर लिखूं! या चेतना का चिंतन लिखूं!
प्रीति की गागर लिखूं या आत्मा का मंथन लिखूं!
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं!
ज्ञानियों का गुंथन लिखूं या गाय का ग्वाला लिखूं!
कंस के लिए विष लिखूं या भक्तों का अमृत प्याला लिखूं।
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं!
पृथ्वी का मानव लिखूं या निर्लिप्त योगेश्वर लिखूं।
चेतना चिंतक लिखूं या संतृप्त देवेश्वर लिखूं।
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं!
जेल में जन्मा लिखूं या गोकुल का पलना लिखूं।
देवकी की गोदी लिखूं या यशोदा का ललना लिखूं।
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं!
गोपियों का प्रिय लिखूं या राधा का प्रियतम लिखूं।
रुक्मणि का श्री लिखूं या सत्यभामा का श्रीतम लिखूं।
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं!
देवकी का नंदन लिखूं या यशोदा का लाल लिखूं।
वासुदेव का तनय लिखूं या नंद का गोपाल लिखूं।
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं!
नदियों-सा बहता लिखूं या सागर-सा गहरा लिखूं।
झरनों-सा झरता लिखूं या प्रकृति का चेहरा लिखूं।
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं!
आत्मतत्व चिंतन लिखूं या प्राणेश्वर परमात्मा लिखूं।
स्थिर चित्त योगी लिखूं या यताति सर्वात्मा लिखूं।
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं!
कृष्ण तुम पर क्या लिखूं! कितना लिखूं!
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं!
(आदरणीय सुशील कुमार शर्मा जी की रचना)
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कृष्ण की चेतावनी
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कृष्ण की चेतावनी
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‘दृग हों तो दृश्य अकाण्ड देख,
मुझमें सारा ब्रह्माण्ड देख,
चर-अचर जीव, जग, क्षर-अक्षर,
नश्वर मनुष्य सुरजाति अमर।
शत कोटि सूर्य, शत कोटि चन्द्र,
शत कोटि सरित, सर, सिन्धु मन्द्र।
‘शत कोटि विष्णु, ब्रह्मा, महेश,
शत कोटि जिष्णु, जलपति, धनेश,
शत कोटि रुद्र, शत कोटि काल,
शत कोटि दण्डधर लोकपाल।
जञ्जीर बढ़ाकर साध इन्हें,
हाँ-हाँ दुर्योधन! बाँध इन्हें।
(आदरणीय श्री रामधारी सिंह "दिनकर"जी की कविता के कुछ अंश )
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नश्वर मनुष्य सुरजाति अमर।
‘शत कोटि विष्णु, ब्रह्मा, महेश,
शत कोटि जिष्णु, जलपति, धनेश,
शत कोटि रुद्र, शत कोटि काल,
शत कोटि दण्डधर लोकपाल।
जञ्जीर बढ़ाकर साध इन्हें,
हाँ-हाँ दुर्योधन! बाँध इन्हें।
श्री कृष्ण को नमन करते हुए चलते है मेरी पसंद की कुछ रचनाओं की ओर.........
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तुम गोकुल में मत आना
मेरे आराध्य,
मेरे श्याम साँवरे,
अब तुम गोकुल कभी न आना !
गोकुल में अब कुछ भी वैसा नहीं रहा है
जैसा तुम कभी इसको छोड़ गये थे
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वो है निर्लिप्त निरंकार वो प्रीत क्या जाने
ना राधा ना मीरा बस " रमा " रंग है राचे,
आया था धरा को असुरो से देने मुक्ति,
आया था आते कलियुग की देने चेतावनी,
आया था देने कृष्ण बन गीता का वो ज्ञान,
ना राधा ना मीरा बस " रमा " रंग है राचे,
आया था धरा को असुरो से देने मुक्ति,
आया था आते कलियुग की देने चेतावनी,
आया था देने कृष्ण बन गीता का वो ज्ञान,
जसोदा हरि पालनैं झुलावै।
हलरावै दुलरावै मल्हावै जोइ सोइ कछु गावै॥
मेरे लाल को आउ निंदरिया काहें न आनि सुवावै।
तू काहै नहिं बेगहिं आवै तोकौं कान्ह बुलावै॥
कबहुं पलक हरि मूंदि लेत हैं कबहुं अधर फरकावैं।
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शुभ जन्माष्टमी
माखनचोर
माखन चोर भया नंदलाला।
यशोमती तेरा लाल गोपाला।।
बाल- सखा की पीठ चढ़कर,
छीके में से मटकी निकाला।
यशोमती तेरा लाल गोपाला।।
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प्रभू क्यों आंखें मूंदे हो
इस युग के लोगों से
प्रभू कैसी तेरी दूरी है
क्यों फेर ली आंखें हमसे
ऐसी क्या मजबूरी है
कभी द्रोपदी की एक पुकार पर
प्रभू तुम दौड़े दौड़े आए थे
आज कई द्रोपदी सिसक रहीं
प्रभू क्यों आंखें मूंदे हो
इस युग के लोगों से
प्रभू कैसी तेरी दूरी है
क्यों फेर ली आंखें हमसे
ऐसी क्या मजबूरी है
कभी द्रोपदी की एक पुकार पर
प्रभू तुम दौड़े दौड़े आए थे
आज कई द्रोपदी सिसक रहीं
प्रभू क्यों आंखें मूंदे हो
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ये महीना त्योहारों का महीना है आज जन्माष्टमी है और बस तीन दिन बाद...
भारत की आजादी का पावन दिन है....इस पर्व से बड़ा कोई पर्व नहीं है...
स्वतंत्रता दिवस पर मेरी पसंद की कुछ विशेष रचनाएँ...
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राम कृष्ण की जननी हो
बस एक आज़ाद दे दो ,
ना दे पावो तो
एक भगतसिंह फिर से दे दो,
कमाल नहीं दे सकती
एक बार फिर गांधी दे दो ,
गांधी भी ना दे पांवों
तो कम से कम पटेल दे दो,
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माँ भारती ,माँ भारती ,माँ भारती ।
स्वर्ग भी करता तुम्हारी आरती ।।
शुभ्र ज्योत्सना सृदश अंचल है तुम्हारा
बह रही जिसमें युगों से पुण्य धारा
जोड़ कर रवि शशी प्रगति के अश्व को
चल रहे अस्तित्व के बन सारथी ।
माँ भारती ,माँ भारती ,माँ भारती
स्वर्ग भी करता तुम्हारी आरती।
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बस एक आज़ाद दे दो ,
ना दे पावो तो
एक भगतसिंह फिर से दे दो,
कमाल नहीं दे सकती
एक बार फिर गांधी दे दो ,
गांधी भी ना दे पांवों
तो कम से कम पटेल दे दो,
स्वर्ग भी करता तुम्हारी आरती ।।
शुभ्र ज्योत्सना सृदश अंचल है तुम्हारा
बह रही जिसमें युगों से पुण्य धारा
जोड़ कर रवि शशी प्रगति के अश्व को
चल रहे अस्तित्व के बन सारथी ।
माँ भारती ,माँ भारती ,माँ भारती
स्वर्ग भी करता तुम्हारी आरती।
स्वतंत्रता दिवस, पावन पर्व आज़ादी का
कह दो क़ुदरत क़ायनात से कुछ ऐसा,
कश्मीर-सा सुन्दर उपहार सजा दे,
करूँ नमन प्रतिपल वीर शहीदों को,
हृदय को उनका द्वार दिखा दे |
लिया भार,भारत माँ का कंधों पर ,
उन वीर शहीदों की, चौखट के दीदार करा दे,
पहन केसरिया किया जीवन अपना क़ुर्बान,
जनमानस को वीरों के रक्त से लिखा संदेश दिखा दे |
कश्मीर-सा सुन्दर उपहार सजा दे,
करूँ नमन प्रतिपल वीर शहीदों को,
हृदय को उनका द्वार दिखा दे |
लिया भार,भारत माँ का कंधों पर ,
उन वीर शहीदों की, चौखट के दीदार करा दे,
पहन केसरिया किया जीवन अपना क़ुर्बान,
जनमानस को वीरों के रक्त से लिखा संदेश दिखा दे |
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इस वास्ते पंद्रह अगस्त है हमें प्यारा
इस दिन के लिए खून शहीदों ने दिया था
बापू ने भी इस दिन के लिए ज़हर पिया था
इस दिन के लिए नींद जवाहर ने तजी थी
नेताजी ने पोशाख सिपाही की सजी थी
गूंजा था आज देश में जय हिंद का नारा
आज़ाद हुआ आज के दिन देश हमारा
बापू ने भी इस दिन के लिए ज़हर पिया था
इस दिन के लिए नींद जवाहर ने तजी थी
नेताजी ने पोशाख सिपाही की सजी थी
गूंजा था आज देश में जय हिंद का नारा
आज़ाद हुआ आज के दिन देश हमारा
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आप सभी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
परमात्मा इस बिपदा से हमारी रक्षा करें...
इसी कामना के साथ...
सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंश्री कृष्ण जन्माष्मटमी की बधाई हो।
सहृदय धन्यवाद सर,सादर नमस्कार
हटाएंसुंदर चर्चा...
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएं
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति और भूमिका, नमन।
कृष्ण की मोहक बाल-लीला देखनेके लिए हमें मन की आँख खोलने की जरूरत है। तभी नारायण का दर्शन संभव है। बाहरी आँखों से तो सिर्फ़ यह नश्वर जगत दिखता है। और मानव हृदय को भ्रमित करने वाली उसकी रासलीला।
सहृदय धन्यवाद शशि जी,सादर नमस्कार
हटाएंसुंदर चर्चा।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद विश्वमोहन जी,सादर नमस्कार
हटाएंबहुत सुन्दर चर्चा आज की ! आप सभी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ! श्याम साँवरे के जन्मदिवस की इस विशिष्ट प्रस्तुति में मेरी विनती भी उन तक पहुँचाने के लिए आपका हृदय से आभार सखी ! बहुत बहुत धन्यवाद एवं सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद दी,आपके माध्यम से हम अपनी भी आवाज़ उन तक पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि सभी की दुआएं उन तक पहुंचे और विश्व में शांति कायम हो,सादर नमस्कार दी
हटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌👌
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद सखी,सादर नमस्कार
हटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति।मेरे सृजन को स्थान देने हेतु सादर आभार आदरणीय कामिनी दीदी।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद अनीता जी
हटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार सखी।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद सखी,सादर नमस्कार
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति कामिनी जी । सभी गुणीजनों को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद सखी,सादर नमस्कार
हटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद कविता जी,सादर नमस्कार
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति सखी | मेरी रचना को भी आज की चर्चा में लाने के लिए आभारी हूँ | सभी को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई |
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबधाई
कृपया मेरे ब्लॉग साहित्य वर्षा पर भी पधारें 🙏
लिंक दे रही हूं -
https://sahityavarsha.blogspot.com/2020/08/blog-post_12.html?m=1