आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है
आओ मोहन प्यारे
तुम्हें अवतरित फिर से होना पड़ेगा
कंधे
कहानी
मुरझाया फूल
संक्षिप्त
जन्मे कन्हाई
हरि कब आओगे
जीवन होगा टिका पुनःअमिट मुस्कानों पर
एक ख़ुद्दार शायर
आज भी क्यों जरूरी हैं कृष्ण
शर शय्या पर समय विराजे
धन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंउपयोगी लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय दिलबाग सर।
शुभ प्रभात व सादर आभार।
जवाब देंहटाएंदिलबागसिंह विर्क जी, बहुत सुंदर संयोजन के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग साहित्य वर्षा पर भी पधारें 🙏
लिंक दे रही हूं -
https://sahityavarsha.blogspot.com/2020/08/blog-post_12.html?m=1
जवाब देंहटाएंउपयोगी लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
कृष्ण रंग में रँगी सुंदर रचनाओं के सूत्र देता चर्चा मंच, आभार !
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को उपयुक्त स्थान देने के लिये, विर्क जी, शास्त्री जी एवं चर्चा मंच के सभी व्यवस्थापकों का हृदय से आभार...
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर, सार्थक, सारगर्भित सूत्रों का समायोजन आज की चर्चा में ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार दिलबाग जी ! सादर वन्दे !
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