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पापा बदल गए
पर्वत जल रहे थे, पत्थर पिघल रहे थे
नदी का बहता पानी ठहर-सा गया था पेड़-पौधे दौड़ रहे थे,पक्षियों के पंख नहीं थे जंगली-जानवरों के पैर नहीं थे पुकार रहे थे वे मुझे परंतु आवाज़ नहीं आ रही थी...
अवदत् अनीता पर अनीता सैनी
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मित्रता से भला कौन परिचित नहीं ? बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक मित्रता कभी भी किसी से भी हो सकती है। मित्रता या दोस्ती दो या अधिक व्यक्तियों के बीच पारस्परिक लगाव का संबंध है। जब दो दिल एक-दूसरे के प्रति सच्ची आत्मीयता से भरे होते हैं, तब उस सम्बन्ध को मित्रता कहते हैं। यह संगठन की तुलना में अधिक सशक्त अंतर्वैयक्तिक बंधन है। मित्रता के अनेक उदाहरण हमारे ग्रंथों में उपलब्ध हैं। यथा - कृष्ण-सुदामा की मित्रता, कृष्ण-द्रौपदी की मित्रता, राम-सुग्रीव की मित्रता, दुर्योधन-कर्ण की मित्रता छत्रपति शिवाजी-महाबली छत्रसाल. की मित्रता आदि।
कवियों ने समय-समय पर मित्रता पर काव्यसृजन किया है। आज यहां मैं चर्चा करूंगी मित्रता संदर्भित कुछ नये- पुराने चर्चित दोहों की।
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मेरी छत की मुंडेर पर
हर रोज़ सैकड़ों परिंदे आते हैं
मैं उनके लिए बड़े प्यार से
खूब सारा बाजरा डाल देती हूँ
मिट्टी के पात्र में मुंडेर पर
कई जगह पानी रख देती हूँ...
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जो सक्षम हो कर भी असमर्थ हों
उन तथाकथित अपनों से
दूर होने की गर आ जाए सामर्थ्य
तो धन्य हो कर कूच कर जाऊँ
एक नयी दुनिया की ओर।
जो मेरा मन कहे पर यशवन्त माथुर
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ऐ जिंदगी, मुझको अब इतना भी मत तराश कि
बदन की दरारें, नींद मे खलल का सबब बन जांए।
'परचेत' पर पी.सी.गोदियाल "परचेत
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व्यवस्था के खिलाफ विद्रोह की पुरज़ोर आवाज़: "अस्थिफूल" लिखो यहां वहां पर विजय गौड़ |
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मरहम का भरम
मरहम के भरम में सीने के ज़ख्म
भरता है आम आदमी, नई सुबह की आस में हर एक पल कड़ुए घूँट निगलता है आम आदमी ।
SHANTANU SANYAL शांतनु सान्याल
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शुभ की इच्छा ...जगे भीतर
वह परम से मिलाती है !
मुक्ति का स्वाद चखाती है
निर्द्वन्द्व होकर गगन में
चेतना को उड़ना सिखाती है
शुभेच्छा ही देवी माँ है
जो शिव की प्रिया है !
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मुझे हमेशा से ही बादलों ने रिझाया।
छुटपन में बादलों को देखते ही छत पर चली जाती।
नीले आकाश में बादलों की आँख-मिचौनी देखा करती।
बादलों के झुंड मुझे रेशम से चमकीले,रुई से मुलायम लगते।
उन्हें देखते-देखते कल्पना की निराली दुनिया में खो जाती...
बालकुंज पर सुधाकल्प
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● मस्तिष्क की शक्तियां सूर्य की किरणों के समान हैं. जब वो केन्द्रित होती हैं, चमक उठती हैं.
● एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ
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बह ऑफिस जाते हुए रास्ते का नज़ारा
ये श्वेत सा जब बिखर गया
हरित सी इन फ़िज़ाओं में
झूम उठा माटी का कण कण
भादो की मदमस्त फुहारों में !!
सु-मन (Suman Kapoor)
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खोल कर यूँ न ज़ुल्फ़ें चलो बाग़ में
प्यार से है भरा दिल,छलक जाएगा ये लचकती महकती हुई डालियाँ झुक के करती नमन हैं तुम्हें राह में हाथ बाँधे हुए सब खड़े फ़ूल हैं बस तुम्हारे ही दीदार की चाह में यूँ न लिपटा करो , शाख से पेड़ से मूक हैं भी तो क्या ? दिल धड़क जायेगा
आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक
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भोजपुरी गाना--गाँव जवार हमरा भूलल ना भुलावे ला।
गाँव जवार हमरा भूलल ना भुलावे ला,
गऊवें के हावा पानी शहर तक आवे ला,- 2
सभे लोगन कहत बाड़े लौट के आ जा,
गाँव के साँझ और भोर बुलावे ला। - 2
Nitish Tiwary
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अनोखी प्रीत-11
इतना लंबा टाइम..?
इतने दिनों तक तो रिया को अकेले नहीं छोड़ सकता।
अंकल आप रिया की चिंता मत करो,यहाँ मैं हूँ ना उसकी बड़ी बहन कृति बोली,आप निश्चित होकर जाइए मैं उसका पूरा ध्यान रखूँगी। और फिर मम्मा-पापा हैं,रोहित हैं। |
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बातचीत बहाल कर
दिल में कोई ग़लतफ़हमी है तो सवाल कर
तेरी महफ़िल में आया हूँ, कुछ तो ख़्याल कर।
मिल बैठकर सुलझाएगा तो सुलझ जाएँगे मुद्दे
न लगा चुप का ताला, बातचीत बहाल कर।
साहित्य सुरभि पर दिलबाग सिंह विर्क |
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लापरवाही
कोरोनावायरस जैसी वैश्विक महामारी से आज एक ओर पूरा विश्व जूझ रहा है।सरकार भी हर जगह लॉकडाउन करके कोरोनावायरस की चैन तोड़ने की कोशिशों में जुटी हुई थी।
कुछ लोग लॉकडाउन के नियमों की अनदेखी कर रहे थे। मोहनलाल भी इन्हीं में से एक थे...
Anuradha chauhan
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दो क्षणिकाऐं
इबादत-गाहों में
रहते कैसे-कैसे
परमेश्वर के
सेवादार,
शराफ़त का हैं
ओढ़े लबादा
पतित अधर्मी
धर्म के ठेकेदार।
हिन्दी-आभा*भारत पर Ravindra Singh Yadav |
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कोरोना काल में गणेशोत्सव
हर वर्ष ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि के प्रथम पूज्य देव गणपति जी के जन्मोत्सव का सभी को प्रतीक्षा रहती है।
बच्चों को गणेश जी की अलग-अलग प्रकार की विभिन्न आकृति कलाएं बहुत लुभाती हैं। मैं बचपन से ही शिवजी की उपासक रही हूँ तो मेरा बेटा शिवा गणेश जी का...
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ये स्मृतियाँ आपकी
स्मृतियाँ जब भी तर्क करती पापा मैं आपको सोचती,
और फिर आपकी हथेली में होती मेरी उँगली,
जिया हुआ,बेहद सुखद क्षण सजीव हो उठता,
या फिर … जब मेरे दोनों बाजू थाम मुझे आप,
हवा में उछालते मैं चहक कर कहती और ऊपर …
लगता था वक़्त बस यहीं थम जाये...
SADA...सदा
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आज के लिए बस इतना ही...!
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सुन्दर प्रस्तुति. मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी प्रस्तुतियां, हमारे सुविचार शामिल करने के लिए सादर आभार..!!
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के सभी सदस्यों को, मनीषियों को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🌺🙏
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह सुंदर संयोजनयुक्त चर्चा हेतु साधुवाद 💐
मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए हार्दिक आभार 🙏🌹🙏
सुन्दर सार्थक सूत्रों से सजी आज की सारगर्भित चर्चा ! मेरी रचना 'मुंडेर' को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति, सुंदर चर्चा में मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएं🙏 शास्त्री जी। आप सब भी गणेश चतुर्थी की मंगलमय कामनाएं।
जवाब देंहटाएंगणेशोत्सव की सभी रचनाकारों व पाठकों को शुभकामनायें ! सुंदर चर्चा, आभार !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय सर,आप सभी को गणेश-उत्सव की हार्दिक शुभकामनाये,विघ्नहर्ता हम सभी पर आई ये "कोरोना' नामक बिपदा हर ले, बस यही कामना है.
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट रचनाओं से सजा लाजवाब चर्चा मंच।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं ।
और आप सभी को गणेशोत्सव की अनंत शुभकामनाएं।
बहुत खूबसूरत चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति । सभी को गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद सर!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति । ब्लॉगर साथियों की सुरुचिपूर्ण और ज्ञानवर्धक रचनाओं के लिंक्स साझा करने के लिए आभार । आपको और सभी ब्लॉगर साथियों को श्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाई और बहुत -बहुत शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स एवं प्रस्तुति, आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति, सुन्दर चर्चा ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति।मुझे स्थान देने के लिए सादर आभार आदरणीय सर।देरी के लिए माफ़ी चाहती हूँ।
जवाब देंहटाएं