स्नेहिल अभिवादन !
चर्चा मंच पर आप सभी विद्वजन का हार्दिक
स्वागत एवं अभिनंदन । आज की चर्चा का आरम्भ स्मृति शेष महादेवी वर्मा जी की कृति "दीपगीत " की कविता 'बाँच ली मैंने व्यथा' के अंश से -
बाँच ली मैंने व्यथा की बिन लिखी पाती नयन में !
मिट गए पदचिह्न जिन पर हार छालों ने लिखी थी
खो गए संकल्प जिन पर राख सपनों की बिछी थी
आज जिस आलोक ने सबको मुखर चित्रित किया है
जल उठा वह कौन-सा दीपक बिना बाती नयन में !
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जलने को परवाना आतुर, आशा के दीप जलाओ तो।
कब से बैठा प्यासा चातक, गगरी से जल छलकाओ तो।।
मधुवन में महक समाई है, कलियों में यौवन सा छाया,
मस्ती में दीवाना होकर, भँवरा उपवन में मँडराया,
मन झूम रहा होकर व्याकुल, तुम पंखुरिया फैलाओ तो।
कब से बैठा प्यासा चातक, गगरी से जल छलकाओ तो।।
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छपाक ...छपाक ..छपाक ! रात एक बजे हॉस्टल के थर्ड फ्लोर में दक्षिणी कॉरिडोर के अंतिम छोर पर बने बाथरूम के भीतर से यह कैसी आवाज़ आ रही है ? पूरा कॉरिडोर गूँज रहा है ! मैं परीक्षाओं के उस मौसम में बीए फाइनल के तीसरे पर्चे की तैयारी के लिए अपने रूम पार्टनर महेन्द्र के साथ रतजगा कर रहा था ।
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सारी जिन्दगी निकल गयी
लेकिन लगने लगा है
थोड़ी सी भी आँख तो अभी खुली ही नहीं
अन्धा नहीं था लेकिन अब लग रहा है
थोड़ा सा भी पूरे का
अभी तो कहीं से भी दिखा ही नहीं
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उन्मुक्त है तू अब
खुला हुआ है
विस्तृत आसमान
तेरे सामने
भर ले अपने पंखों में जोश
छू ले हर ऊँचाई को
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आज के वक्त में जब सबके हाथ में स्मार्ट फोन है तब किसी भी वेबसाइट पर ज्यादातर पाठक अपने अपने स्मार्ट फोन के जरिये ही आते हैं। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि आपकी वेबसाइट मोबाइल के लिए ऑप्टिमाइज़ हो। अगर आप भी मेरी तरह गूगल के ब्लॉगर का इस्तेमाल करते हैं तो अपनी वेबसाइट को आसानी से मोबाइल के लिए ऑप्टिमाइज़ कर सकते हैं।
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धीर धरण कर बनती धरणी
भूकंपों से हिलता मन
पीर बढ़ी बन लावा बहती
झुलस रहा है जिसमें तन
जी का जब जंजाल बने
बास मारते नियम सड़े
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कोई व्यक्ति लाख अच्छे काम करें लेकिन उसके बावजूद व्यक्ति उसमें से कोई ना कोई कमियां जरूर निकालते हैं लेकिन इन कमियों से आप लोग घबराए नहीं . एक कहावत है जो आलोचक और जो कमियां निकालते हैं वही हमारे सच्चे मित्र होते हैं ।
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मनुष्य का भौतिकता में
जकड़ा जाना
वक़्त का सच है
बुज़ुर्गों की उपेक्षा
मासूमों पर
क्रूरतम अत्याचार
संस्कारविहीन स्वेच्छाचारिता
समाज का सच है।
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रजनीश यह जान कर स्तब्ध है कि रंगीन कपड़ों को बेचने वाले की ज़िंदगी कितनी बदरंग है।वह मोबाइल फोन निकाल फेरीवाले से उसका एक फ़ोटो लेने की इजाजत मांगता है। यह देख उत्सुकतावश सिब्ते उससे पूछता है- "आप जो छापोगे, क्या उसका कुछ लाभ मुझ जैसों को मिलेगा ?" यह सुन फिर से रजनीश का मन तड़प उठता है ।
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कोरोना संक्रमण ने भले ही लाख परेशानी खड़ी की हो लेकिन वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्गो के लिए ख़ुशी का अवसर ले आया रवि के घर में लॉक डाउन के बाद चहल पहल बढ़ गयी थी ऊपर छोटे भाई का परिवार और नीचे उसका परिवार। रसोई तो दोनों की अलग अलग थी मगर लॉक डाउन की मज़बूरी`राशन सब्जी स्टॉक नहीं कर पाए तो एक दूसरे के यहाँ से मांग के काम चल रहा था ।
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आप स्कूटी क्यों नहीं खरीदती हैं? घर के छोटे-मोटे काम रोज़ निकलते रहते हैं।"
रश्मि ने स्नेह के साथ संगीता से कहा।
संगीता ख़ामोश थी, विनम्रभाव से रश्मि को देखती रही; न जाने क्यों शब्दों का अभाव था उसके पास।
"ख़ुद का आत्मविश्वास भी बना रहता है,हम कम थोड़ी हैं किसी से; लाचारी क्यों जताएँ आँखों से ?"
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छुट्टी होने पर ऑफिस से घर लौटते हुए देखा, राह में किसी एक्सीडेंट के कारण भीड़ लगी हुई थी। बाइक एक ओर खड़ी कर मैं भी वहाँ का माज़रा देख रहा था कि अनायास ही पास में ही फुटपाथ पर पुराने कपड़े बेचने वाले दुकानदार के सामान पर नज़र पड़ गई। मुझे वहाँ पर अन्य कपड़ों के बीच ठीक वैसा ही स्वेटर नज़र आया जैसा मैंने सुबह घर की गली के बाहर बैठे भिखारी को दिया था।
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आपका दिन मंगलमय हो..
इन्हीं शुभकामनाओं के साथ अनुमति चाहती हूँ
फिर मिलेंगे...
🙏 🙏
"मीना भारद्वाज"
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विविध प्रकार की रचनाओं से सजा बहुत सुंदर अंक।
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वेदना के बिना संवेदना नहीं जागृत होती है। वेदना में एक शक्ति है जो हमें दृष्टि देती है। जो यातना में है, वह दृष्टा भी बन सकता है...।
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मेरी रचना ' फेरीवाले ' को मंच पर स्थान देने के लिए आभार मीना दीदी जी।
बहुत सुंदर साहित्यिक आभा बिखेरती प्रस्तुति। बेहतरीन रचनाओं का चयन। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंइस सुंदर प्रस्तुति में मेरी रचना शामिल करने के लिए सादर आभार आदरणीया मीना जी।
आभार मीना जी।
जवाब देंहटाएंपठनीय लिंकों के साथ सार्थक चर्चाी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीया मीना भारद्वाज जी।
बहुत ही सुंदर सराहनीय प्रस्तुति आदरणीय मीना दी।सभी रचनाएँ मन को छूती।मेरी लघुकथा को स्थान देने हेतु दिल से आभार।
जवाब देंहटाएंसादर
संक्षिप्त किन्तु सारगर्भित सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज की चर्चा ! मेरी रचना को स्थान दिया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार मीना जी ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंमेरी कहानी को स्थान देने के लिए आभार मीना जी
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स बेहतरीन
सभी रचनाकारों को शुभकामनाए
बहुत ही अच्छी चर्चा आज की एक से बढ़कर एक बेहतरीन लिंक आपने आज प्रस्तुत किए हैं
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभार आदरणीय मीना जी मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह, लाजबाव चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआज के अंक में एक से बढ़कर एक हृदयस्पर्शी कहानी पढ़ने को मिली, खासतौर पर' नज़रअंदाज़'तो दिल को छू गया.बहुत ही सुंदर प्रस्तुति मीना जी, सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंमेरी लघुकथा 'कड़वा सच' को इस गौरवशाली साहित्य-मंच पर स्थान देने के लिए आ. मीना जी का आभार! आज की प्रस्तुति में सम्मिलित रचनाओं ने मन मोह लिया। सभी प्रबुद्ध रचनाकारों को बधाई!
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