बिना किसी भूमिका के बुधवार की चर्चा में
मेरी पसन्द के कुछ लिंक देखिए-
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"कलयुग तुम्हें पुकारता, आ जाओ गोपाल"
जब-जब अत्याचार से, लोग हुए लाचार।
तब-तब लेते धरा पर, महापुरुष अवतार।।
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बढ़ते पापाचार से, हुए सभी बेहाल।
कलयुग तुम्हें पुकारता, आ जाओ गोपाल।।
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लीलाधर की लीला
काली अँधियारी निशा,खुलते कारागार।
वासुदेव की गोद में,किलके तारणहार।
प्रभु की इच्छा से चले,करने यमुना पार
स्वागत में प्रभु की खुले,नंद भवन के द्वार।
Anuradha chauhan
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कानों सुनी -आँखों देखी
शेरू शांत हो गया
मालिक का मन
क्लांत हो गया
शेरू पर अब
प्यार का सागर
उमड़ आया
मालिक ने
थपकी देकर
रुँधे गले से
गले लगाया।
Ravindra Singh Yadav
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चाहता हूँ अब प्रलय आए
कुछ ऐसा हो जो दिल दहलाए
धरती गगन समंदर सब हिल जाए
चाहता हूँ अब प्रलय आए।
ठौर बदलते इस बुरे दौर का
जलता दीपक अब बुझ जाए
चाहता हूँ अब प्रलय आए।
कोई नहीं भरोसे जैसा
धोखे का निशाँ मिट जाए
चाहता हूँ अब प्रलय आए।
जो मेरा मन कहे पर यशवन्त माथुर
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बादल
इधर उधर से आए बादल
आसमान में छाए बादल
आसमां हुआ स्याह घन घोर घटाएं छाई है |
जब बदरा हुए इकट्ठे गरजे तरजे टकराए
आपस में टकराने से हुआ शोर
जबरदस्त विद्द्युत कौंधी
रौशनी फैली गगन में
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चाय पीने के अरमान
कुल्लड़ वाली चाय यह मन को है ललचाय
दूध मलाई जब डले स्वाद अमृत बन जाए
कुल्लड़ वाली चाय की, सोंधी सोंधी गंध
और इलाइची साथ में,पीने का आनंद
बांचे पाती प्रेम की, दिल में है तूफान
नेह निमंत्रण चाय का, महक रहे अरमान
shashi purwar
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मन पंकज बन खिल सकता था !
तन कैदी कोई मन कैदी
कुछ धन के पीछे भाग रहे,
तन, मन, धन तो बस साधन हैं
बिरले ही सुन यह जाग रहे !
रोगों का आश्रय बना लिया
तन मंदिर भी बन सकता था,
जो मुरझा जाता इक पल में
मन पंकज बन खिल सकता था !
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A Letter To Papa
आपकी अलमारियां साफ करते समय
एक दिन कविताओं से भरी आपकी डायरी मिली
समय के प्रभाव से जर्द होते,
बिखरते,
एक-एक पन्ने पर
आपकी मुस्कुराहट
आपकी उदासी की छाया
स्याही के उतरते रंगों में
आज भी पैबस्त हैं, पापा।
यह वसीयतनामा था
आपके जीवन
और जीने के सलीके का.
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कोरोना रे अब तो जा रे
कोरोना रे, अब तो जा रे|
जाड़े गये, फिर गर्मी आई,
तूने पाँव पसारे|
लोग-बाग़ घर भीतर घुसि गए,
तूने डेरे डारे|
बारिश जाई रही अपने घर,
अब तो तू भी जा रे|
मेरी दुनिया पर
विमल कुमार शुक्ल 'विमल'
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ऐसा भी क्या बिगड़ा है
ये जो प्यारा मुखड़ा है
क्यों ऐसे उखड़ा उखड़ा है
प्यार, मोहब्बत और ये शिक़वे
हर प्राणी का दुखड़ा है...
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हाथ खेतों के धान होते हैं
वो जो कड़वी ज़ुबान होते हैं,
एक तन्हा मचान होते हैं.
चुप ही रहने में है समझदारी,
कुछ किवाड़ों में कान होते हैं.
स्वप्न मेरे पर दिगम्बर नासवा
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एक भुला दिया गया शहज़ादा-दारा शिकोह
दारा शिकोह मुग़ल सल्तनत का एक शहज़ादा जिसे शाहज़हां ने अपना उत्तराधिकारी माना था, जो हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धाराओं के दार्शनिक पहलुओं को जोड़ने को प्रयासरत था। इसी कड़ी में उसने उपनिषदों का अनुवाद किया, वेदांत और सूफ़ीवाद का तुलनात्मक अध्ययन किया और कई पुस्तकें लिखीं। कहते हैं वह अपने एक हाथ में उपनिषद और दूसरे हाथ में पवित्र कुरान रखते थे। वे भगवान श्रीराम के नाम की अंगुठी पहनते थे तो नमाज़ भी पढ़ते थे।शायद यही प्रतिभा, विद्वता और उदारता उसकी सबसे बड़ी दुश्मन हो गई...
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कहीं फिर नारा न लगाना पड़ जाये
एक बात गाँठ बाँध लो, जहाँ बाँध पाओ. चुटिया में, धोती में या कहीं और. यदि वे खुलकर कह रहे हैं कि मंदिर गिरा देंगे तो इसके निहितार्थ समझो. वे कह रह तो मतलब है कि करने की दम रख रहे, करने को अपने लोगों को एकजुट होने का आव्हान कर रहे और तुम सब क्या कर रहे? तुम सब किसी न किसी का इंतजार करने में लगे हो. चाहे वो आडवाणी जी हों, कल्याण सिंह हों, न्यायालय हो, मोदी-योगी हों. तुम्हारे करे-बूते कुछ नहीं. ध्यान रखना यदि तुम सबकी इसी अति-सक्रियता में प्रदेश में सरकार बदल गई तो... तो फिर नारा लगाना,
*रामलला हम आयेंगे, मंदिर वहीं बनायेंगे.*
रायटोक्रेट कुमारेन्द्र पर राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
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जब से हमारे रस्ते जुदा हो गए
जब से हमारे रस्ते जुदा हो गए
वो खुश और हम तनहा हो गए
अपने ही हाथो से तराशा जिन्हे
वे ही पत्थर मेरे ही ख़ुदा हो गए
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मानसून
उम्मीदों का मानसून खूब घुमड़ घुमड़ के आयेगा
धरती पर छम छम करता रिम झिम गीत गाएगा
प्रेम आभार विश्वास और मेहनत के बीजों को
फलों फूलों उन्नति करो का आशीष दे जाएगा
हर वृक्ष ,हर वेल हर पुष्प प्रेम गीत गाएगा
Hindi Pandit Jii पर hindiguru
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आज के लिए बस इतना ही...
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जय श्री कृष्णा,जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अंक
सभी लिंक्स शानदार
मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार शास्त्री जी
धन्यवाद
जवाब देंहटाएंविविधताओं से परिपूर्ण सृजन से सजी सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंकृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनायें ! चर्चा मंच की सुंदर प्रस्तुति, आभार मेरी रचना को शामिल करने हेतु।
जवाब देंहटाएंब्लॉगर साथियों की सम -सामयिक रचनाओं का सराहनीय सार -संकलन । आपको और सभी ब्लॉगर मित्रों को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा,
जवाब देंहटाएंश्री कृष्ण जन्माष्टमी कि हार्दिक शुभकामनाएँ|
बहुत बहुत धन्यवाद सर!
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय सर, सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय। आप सभी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा ....बधाई
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग साहित्य वर्षा पर भी पधारें 🙏
लिंक दे रही हूं -
https://sahityavarsha.blogspot.com/2020/08/blog-post_12.html?m=1
विस्तृत चर्चा है आज की ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी गज़ल को शामिल करने का ...
आदरणीय शास्त्री जी बहुत ही शानदार आज की चर्चा मंच और मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए बहुत-बहुत आभार और धन्यवाद
जवाब देंहटाएं