फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, अगस्त 19, 2020

"हिन्दी में भावहीन अंग्रेजी शब्द" (चर्चा अंक-3798)

मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक...!


"विश्वयुद्ध की आहट होने लगी है" 
किम जोंग की हरकतों की वजह से भड़क सकता है विश्वयुद्ध 
उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग की हरकतें विश्वयुद्ध भड़काने की दिशा में बड़ी चिंगारी का काम कर सकती हैं। पिछले कुछ समय से किम जोंग का नाटक जारी है। कभी वह गुम हो जाता है तो कभी अचानक यूरेनियम फैक्ट्री का उद्घाटन करने सामने आ जाता है।

किसी भी विश्वयुद्ध की पीछे कोई एक कारण नहीं होता, बल्कि पिछले काफी सालों से चली आ रही वैश्विक गतिविधियों की वजह से महायुद्ध की शुरुआत होती है। जिसमें एक एक करके पूरी दुनिया के देश शामिल हो जाते हैं।
-- 
अमेरिका चीन का व्यापार युद्ध भी जंग भड़कने के पीछे अहम कारण 

दुनिया में युद्ध भड़कने में सबसे अहम कारण आर्थिक हैं। पिछले कुछ सालों से चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वार जारी था। जिसे बड़ी मुश्किल से खत्म किया गया था। लेकिन तभी दुनिया के सामने कोरोना वायरस जैसी महामारी आ गई। अमेरिका ने इसके प्रसार के लिए चीन को जिम्मेदार माना है और उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी शुरु कर दी है। दक्षिण चीन सागर की झड़प कभी भी भड़का सकती है विश्वयुद्ध पूरी दुनिया कोरोना वायरस में उलझी हुई है। लेकिन दक्षिण चीन सागर में चीन की सेना अपना प्रभुत्व बढ़ाने में जुट गई है। जिसकी वजह से वहां तनाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिका का आरोप है कि चीन की सेना दक्षिण चीन सागर में आक्रामक व्‍यवहार कर रही है. इस पर चीन ने आरोप लगाया है कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं, लिहाजा मौजूदा ट्रंप प्रशासन माहौल को भड़का रहा है

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

(भाग-एक)
अक्षर
अक्षर के नाम से ही जान पड़ता है कि जिसका क्षर (विभाजन) न हो सके उन्हे अक्षर कहा जाता है!
वर्ण
अक्षर किसी न किसी स्थान से बोले जाते हैं। जिन स्थानों से उनका उच्चारण होता है उनको वर्ण कहते हैं। इसीलिए इन्हें वर्ण भी कहा जाता है।
स्वर
जो स्वयंभू बोले जाते हैं उनको स्वर कहा जाता है। हिन्दी व्याकरण में इनकी संख्या २३ मानी गई है।

सहने की सीमा के बाद  
ये न सोचो
क़लम चलाने वाले हाथ
बंदूक चलाना नहीं जानते

जानते हैं क़लम चलाने वाले
बंदूकों से हल नहीं होते मसले
बस यही सोच
बंदूक उठाने से रोकती है उन्हें
मगर इसे कमजोरी न समझना
किसी भी क़लम चलाने वाले की 
साहित्य सुरभि पर दिलबाग सिंह विर्क 

जीवन क्या होता है..... 

मर कर किसने देखा है जीवन क्या होता है
जीवन जी कर देखो जीवन गुलजार होता है।।

खिलता है फूल काटों में काटों की फिक्र नही करता
सबके  सुख -दुख में सदा भागीदार होता है।। 
सागर लहरें पर उर्मिला सिंह 


आशिक़ बनके निकला है... 

लड़ने को तैयार है, पूरे जग संसार से,
आशिक़ बनके निकला है, वो अपने घर बार से।
धड़कन उसकी चलती है, महबूबा के प्यार से,
आशिक़ बनके निकला है, वो अपने घर बार से। 
Nitish Tiwary 

नवगीत :  

गान नहीं था साधारण .... 

परम्परायें रहीं देखतीं
गान नहीं था साधारण !

शिशु अबोध किलक नहीं पाता
अपने सब छूटे जाये
नाव समय भी खूब सजाता
अंधेरा घिरता जाये  
रश्मि किरण भी सच को ढँकती
नियति करे तब निर्धारण ! 
झरोख़ा पर निवेदिता श्रीवास्तव  


ख़त 
ख़त  मिला
आपके  रुख़्सत  होने के बाद,
काँधा  गया
सर  रखूँ  कहाँ  रोने  के  बाद।
--
आपकी तस्वीर
बादल में बन रही है ,
तड़प बिजली-सी
बढ़ती जाएगी हमसफ़र खोने के बाद। 
हिन्दी-आभा*भारत पर Ravindra Singh Yadav




स्वार्थी 

lady
बेटा पत्नी से ज्यादा मुझे अपना समझता है  
माँ के आँसुओ के पीछे उसका सतरंगी संसार खिल उठता ।  
पता ही नही चलता स्वार्थी कौन है. 
Hindi Pandit Jii पर hindiguru - 

स्वप्न से जागरण तक 

स्वप्न अचेतन गढ़ता है 
 है वह आँख
जिससे 
झाँका जा सकता है
भविष्य में 
वह दर्पण भी,
जिसमें, अनजाना रह गया 
खुद से ही...

तृषा बुझा दो मरुथल की 


रिक्त कुम्भ है जग पनघट पर
फिर आस लगी है श्यामल की

काया निस दिन गणित लगाती
जोड़ घटाने में है उलझी 
गुणा भाग से बूझ पहेली
कब हृदय पटल पर है सुलझी 
थी मरीचिका मृगतृष्णा की 
अब तृषा बुझा दो मरुथल की।।
रिक्त कुम्भ....
काव्य कूची पर anita _sudhir  

हमारी भाषाओं में  

भावहीन अंग्रेजी शब्दों की भरमार 

अफ़सोस की बात है कि हमारे यहाँ  माता -पिता अपने बच्चों को तहज़ीब सिखाने  के नाम पर उन्हें  किसी के लिए भी अंकल ,आन्टी सम्बोधित करने को प्रेरित करते हैं , जैसे- बेटा ! अंकल , आन्टी को नमस्ते करो , गुड मॉर्निंग बोलो !  जबकि अगर मैं गलत नहीं कह रहा हूँ  तो क्या यह सच नहीं है कि अंकल -आन्टी जैसे शब्दों का इस्तेमाल   चाचा -चाची , ताऊ - ताई   किसी के लिए भी कर   दिया जाता है ? मुझे तो अंग्रेजी के ऐसे  शब्द बिल्कुल  पथराए हुए लगते हैं , उनमें कोई सौम्यता महसूस नहीं होती !
जरूरत इस बात की है कि हम अंग्रेजी जरूर सीखें ,लेकिन अपनी हिन्दी को तो न भूलें। 
मेरे दिल की बात पर Swarajya karun 



Roli Abhilasha 


पन्द्रह नहीं, पाँच अगस्त ... 

हम सभी स्वतन्त्र भारत के स्वतंत्र नागरिक हैं। लोग कहते हैं कि हमें बोलने की आज़ादी है। पर साथ ही हमें अपने-अपने ढंग से सोचने की भी तो आज़ादी है ही। सबकी अपनी-अपनी पसंद हैं और इसीलिए दुनिया रंगीन भी है। है ना ? ये बात मैं अक़्सर बोलता या यूँ कहें कि दोहराता हूँ। इस साल 2020 का पाँच अगस्त भी सब के लिए अलग-अलग मायने रखता होगा। आप शायद उस दिन सारा दिन विशेष भूमि पूजन के लाइव टेलीकास्ट पर अपनी नज़रों को चिपकाये होंगें। पर हमारी दिल, दिमाग, आँखें .. शत्-प्रतिशत उस समाचार के लिए लोकतंत्र के तथाकथित चौथे खम्भे के एक अंग/अंश - टी वी चैनलों, ख़ासकर रिपब्लिक भारत, पर टिकी थी... 

पंडित जसराज...  

उड़ गया हंस अचानक!! 

इयत्ता पर इष्ट देव सांकृत्यायन 


आज के लिए बस इतना ही...!

11 टिप्‍पणियां:

  1. धन्यवाद शास्त्री जी मेरी रचना को शामिल करने के लिए
    सभी रचनाकारों को अभिवादन
    सभी लिंक्स बहुत सुंदर

    जवाब देंहटाएं
  2. उम्दा लिंक्स। मेरी रचना को 'चर्चा मंच' में स्थान देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. सार्थक भूमिका, युद्ध से किसी का भी कोई लाभ नहीं होता लेकिन जब युद्ध अनिवार्य हो जाये तो उसे देर तक टाला भी नहीं जा सकता। पठनीय रचनाओं का संकलन, आभार मुझे भी आज के चर्चामंच में भाग लेने का अवसर प्रदान करने हेतु।

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन संकलन
    मेरी रचना को स्थान देने के लिये आभार

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही सुंदर,मनमोहक प्रस्तुति सर,युद्ध के बादल तो मडरा ही रहें है,हर तरफ माहौल चिंताजनक बना हुआ है,बस परमात्मा से प्रार्थना है कि चहुँ ओर शांति हो,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  6. वैचारिक भूमिका , संवेदनशील ही नहीं भयाक्रांत भी है,समय न जाने क्या लिए बैठा है निज हाथ में ।
    सुंदर रचनाओं का सार्थक अंक।
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुतिकरण । ज्ञानवर्धक रचनाओं का बेहतरीन सार -संकलन । सभी ब्लॉगर मित्रों को हार्दिक बधाई । मेरे आलेख को भी जगह देने के लिए हॄदय से आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  8. वैश्विक हालात टकराव के तो लगते हैं लेकिन उम्मीद है दो विश्वयुद्धों से हमने कुछ सीखा होगा और तीसरे की तरफ नहीं बढ़ेंगे। रोचक लिंक्स से सुसज्ज्ति चर्चा।

    जवाब देंहटाएं
  9. चिन्तनपरक भूमिका के साथ पठनीय रचनाओं का सुन्दर संकलन.

    जवाब देंहटाएं
  10. आप धन्य हैं सर,🙏 उम्र की देहलीज़ पर आपकी सक्रियता नितांत सराहनीय है।

    जवाब देंहटाएं
  11. सभी ब्लॉगर मित्रों को बहुत-बहुत बधाई सभी की रचना है बहुत ही शानदार है पूरे प्रयास करूंगा सभी पर विजिट करने की आदरणीय शास्त्री जी मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार और धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।