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मंगलवार, सितंबर 15, 2020

"हिंदी बोलने पर शर्म नहीं, गर्व कीजिए" (चर्चा अंक 3825)

स्नेहिल अभिवादन 

आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।

(शीर्षक आ. ज्योति देहलीवाल जी की रचना से)
भाषा हमारी सभ्यता और संस्कृति की पहचान होती है। 
भारत तो वैसे भी "अनेकता में एकता" का देश है तो 
यहाँ भाषाओँ में भी विभिन्ता होना स्वभाविक है।
 चाहे किसी भी प्रान्त की भाषा या  
बोली हो हिंदी उसमे अपनी जगह बना ही लेती है...
अब तो अंग्रेजी में भी हिंदी बड़े प्यार से घुल-मिल जाती है....
 हिंदी हमारी पहचान है इसे अपनाने में शर्म कैसी......
 हिंदी के साथ साथ बाकी भाषाओँ का ज्ञान हो तो सोने-पे-सुहागा है 
मगर, अपनी पहचान को खोना या उससे शर्मिंदा होना उचित नहीं 
गर्व से कहें....
 "हिंदी है हम वतन है हिंदुस्ता हमारा"
अपनी मातृभाषा को नमन करते हुए चलते हैं आज की रचनाओं की ओर.. 
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दोहागीत "हिन्दी पर आघात" 

 (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

उच्चारण
ओ काशी के सांसद, संसद के शिरमौर। 
विदा करो अब देश से, अँगरेजी का दौर।। 
है कठिनाई कौन सी, क्यों हो अब लाचार। 
पूरे बहुमत की मिली, तुमको है सरकार।। 

*******

"बदलता मौसम" 

मेरी फ़ोटो

Meena Bhardwaj - मंथन 

मन के आंगन की
चहक खो सी गई है कहीं
क्योंकि एक कप चाय में अब
पहले वाली ताजगी नहीं रही..
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 माय डियर लच्छू

मेरी फ़ोटो
माय डियर लच्छू
गुडमार्निंग
आज हिंदी दिवस है
वोकल कार्ड को साफ कर
मतलब गले से
अंग्रेजी को बाहर निकाल कर
रख दे कहीं गिरवी
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हिंदी दिवस 

गोपेश मोहन जैसवाल - तिरछी नज़र 
हिंदी दिवस, हिंदी पखवाड़ा आदि का नाटक हम 1960 के दशक से देखते और सहते आ रहे हैं.
 भारतेंदु हरिश्चंद्र की पंक्ति - 'निज भाषा उन्नति अहै , 
सब उन्नति को मूल' को सुन-सुन कर तो हमारे घरों के
 पालतू तोते भी उसे गुनगुनाने में निष्णात हो गए हैं. 
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४८०. फ़ोटो 

Photographer, Camera, Lens, Photo
Onkar - कविताएँ 
मुझे रहने ही दो 
फ़ोटो से बाहर,
मुझे शामिल करोगे,
तो दिक्क़त होगी तुम्हें.
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हिन्दी तथा प्रादेशिक भाषा भाषियों के विरुद्ध  अंग्रेजी परस्तों की साजिश 

Kavita%2BRawat
Kavita Rawat - KAVITA RAWAT 
इस सम्बन्ध में मुझे एक कहानी याद आ रही है कि काफी 
समय पहले भारत का एक पहलवान इंग्लैंड गया और 
उसने घोषणा करते हुए प्रसारित किया कि यहाँ का कोई 
पहलवान हमसे कुश्ती लड़ सकता है। 

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हिंदी हमारा अभिमान 

मेरे भारत देश का, हिन्दी है श्रृंगार । 
भाषा शीश की बिंदी, देवनागरी  सार ।
देवनागरी सार, बनी है मोहक भाषा ‌।
बढ़े सदा यश कीर्ति, यही मन की अभिलाषा।
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मेरी फ़ोटो

 डॉ. वर्षा सिंह 

जल है गंगा का तो, यमुना का है  पानी हिन्दी
दिल के दरिया की निराली- सी रवानी हिन्दी

मां है संस्कृत तो सहेली सभी ज़ुबानें हैं
हिन्द की शान हमेशा से सुहानी हिन्दी
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पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा - कविता "जीवन कलश" 
बुनती गई मेरा ही मन, उलझा गई मुझको,
कोई छवि, करती गई विस्मित,
चुप-चुप अपलक गुजारे, पल असीमित,
गूढ़ कितनी, है उसकी बातें!
********

हैरान हिन्दी 


Sadhana Vaid - Sudhinama 
हिन्दी है शान
मातृभाषा हमारी
हमारा मान
हिन्दी हैरान
अपने ही लोगों ने
रखा न मान
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हिंदी की महत्ता 

उर्मिला सिंह at सागर लहरें 
भारत माँ का मुकुट हिमालय है 
तो हिंदी मस्तक की बिंदी ।
पहचान हमारी अस्मिता हमारी 
मान हमारा है हिंदी ।
*********
हिंदी भाषा का इतिहास और  
उसके महत्व का बहुत ही सुंदर व्याख्या  

विश्वमोहन- विश्वमोहन उवाच 
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हिंदी दिवस: हिंदी बोलने पर शर्म नहीं, गर्व कीजिए...
हिंदी हमारी राजभाषा हैं। आज भी कई लोग हिंदी को ही राष्ट्रभाषा समझते हैं!
 लेकिन हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं, राजभाषा हैं!! भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं हैं।
 क्योंकि भारत में कई प्राचीन भाषाएं हैं 
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आप सभी को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 
आज का सफर यही तक 

आप सभी स्वस्थ रहें ,सुरक्षित रहें। 
कामिनी सिन्हा
*********

29 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर संकलन,हिन्दी दिवस पर बहुत सारी शुभकामनाएँ,।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर चर्चा. मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  3. बारिश और ठंड ने मिल कर
    शहर के बिसूरते से मूड पर
    झक्कीपन की चादर
    चँदोवे सी तान दी..
    इन मार्मिक पंक्तियों के साथ मन भावन प्रस्तुति प्रिय कामिनी। आज के सभी स्टार रचनाकारों का हार्दिक अभिनंदन 🙏🙏तुम्हें बधाई इस श्रम साध्य संयोजन के लिए 🌹🌹💐💐

    जवाब देंहटाएं
  4. समस्त गुणीजनों का हिन्दी दिवस की असीम शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद पुरुषोत्तम जी ,सादर नमस्कार

      हटाएं
  5. बहुत बेहतरीन, सामयिक और सार्थक चर्चा-अंक। हमारे लिए तो हर दिन हिंदी दिवस है। इस वसुधा के सभी कुटुम्बजनों को अन्तर्राष्ट्रभाषा हिंदी की शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद विश्वमोहन जी,सादर नमस्कार

      हटाएं
  6. बहुत सुंदर संकलन कामिनी दी। मेरी रचना को और रचना के शीर्षक को आज के अंक का शीर्षक बनाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर कामिनी जी हमारी रचना को शामिल करने के लिए।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद उर्मिला जी,सादर नमस्कार

      हटाएं
  8. बहुत सुन्दर चर्चा हिन्दी दिवस पर ..अपनी मातृभाषा हिन्दी को नमन।मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार कामिनी जी

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत अच्छी प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  10. उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद अनुराधा जी,सादर नमस्कार

      हटाएं
  11. हिन्दी पर बहुत उपयोगी लिंक मिले आज की चर्चा में।
    आपका आभार आदरणीया कामिनी सिन्हा जी।

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत सुन्दर सूत्रों का चयन आज की चर्चा में ! मेरी रचना को स्थान दिया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत ही सुंदर सराहनीय भूमिका के साथ बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय कामिनी दी। सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  14. हिन्दी दिवस के अवसर पर लिखी गई ब्लॉग पोस्ट्स का अत्यंत सुंदर संयोजन करने हेतु साधुवाद 💐💐💐💐

    मेरी पोस्ट को चर्चा मंच में स्थान देने के लिए हार्दिक आभार कामिनी सिन्हा जी 🙏

    जवाब देंहटाएं
  15. हिंदी दिवस पर बहुत अच्छी भूमिका के साथ
    सुंदर सूत्र संयोजन
    सभी रचनाकारों को बधाई
    मुझे सम्मलित करने का आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  16. संग्रह कर रखने लायक अंक , शानदार भूमिका , शानदार लिंक , ज्ञानवर्धक जानकारियों के साथ सुंदर काव्य ।
    बहुत सुंदर चर्चा के लिए हृदय से आभार।
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं

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