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रविवार, सितंबर 20, 2020

'भावों के चंदन' (चर्चा अंक-3830)

शीर्षक पंक्ति : आदरणीया कुसुम कोठारी'प्रज्ञा'।--सादर अभिवादन। रविवासरीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है। --'भावों के चंदन।ज्यों चंदन के घिसने के बाद गुणवत्ता और सौरभ दोनों मुखरित होते हैं ठीक वैसे ही कवि मानस में जबभाव आड़ोलित होते हैं, तो सृजन का नवनीत निकल आता है ।कवि कल्पनाओं में क्या क्या देख लेता है ,वो संसार के हर दृश्य को अपने हिसाब से जीता है, वैसे ही भावउसकी लेखनी से बह निकलते हैं।कभी कोमल कभी खुरदरे कभी यथार्थ और कभी कपोल कल्पित।आइए पढ़ते हैं आज की कुछ रचनाएँ ---
जो गौरव और मान बढ़ातेवो ही दक्ष कहाते हैं।
हरित क्रान्ति के संवाहकये जन,गण के रखवाले,
प्राण प्रवाहित करने वालीमन्द समीर बहाते हैं।
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तारे तोड़ रा पर लाता  
दिग-दिगंतों में भटकता 
आडोलित हो सरि तंरग सा
हर चहक में फिर अटकता
कोरे पृष्ठों पर कोरी सी
नित्य पढ़े कविता ये मन।।
--
 “ आज स्कूल में “समाज में लिंगभेद’ पर स्पीच थी , उसमें यह बात भी थी कि लड़कियों को लड़कों से कम समझा जाता है । लड़कों को ज्यादा सुविधाएँ मिलती हैं। और यह बात सच भी है मुझे बाहर कहाँ खेलने जाने देती हो तुम ?"
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४८२.सेमल

कभी-कभी तो सेमल 

बिल्कुल ठूंठ बन जाता है,

न पत्ते, न फूल,

उसकी एक-एक हड्डी 

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तुमने साथ दिया ह

    सुख तो होता  चंद दिनों  का

पर तुमने साथ दिया है मेरा

दुःख तुमने सच्ची मित्रता निभाई है

जीते है साथ मरने की किसने देखी|

जीवन से कभी असंतोष न हुआ

सोच लिया  यही है प्रारब्ध मेरा

सदा हंसती रही हंसाती रही

अब न जाने क्यूँ उदासी ने घेरा |

--

दर्द देकर हँसाया गया ( गज़ल )

हर जगह मुझको ही आजमाया गया।

दर्द दे - देकर है सदा ही हँसाया गया।

सोंचती रही कि है ईश्वर की यही मर्जी,

जितना सहती गई उतना सताया गया।

-- 

नदी में सिक्के क्यों फेंकते हैं

लोग कोई नदी देखते ही उसमें सिक्के फेंक देते हैं। 

यात्रा में छोटे बच्चे शामिल हों तो माताएं या दादियां उनके

 सिर से सिक्का घुमा कर नदी में डाल  देती हैं और प्रणाम कर लेती हैं। 

सिर से इस तरह से सिक्का घुमाने को सिक्का माथे से उतारना कहते हैं।

 यह परंपरा बहुत पुरानी है अब यह धीमी भले ही पड़ी हो लेकिन जारी है। 

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आठ साल पहले साईनाथ ने अमेरिका के किसानों के हवाले से जो आगाह किया था...क्या अब वो भारत में भी होने जा रहा है...उन्होंने प्याज को स्टोरी का आधार बनाया था...जब कोई बड़े रिटेल स्टोर चेन किसानों से सीधे प्याज खरीदता है तो उसे बड़े साइज के ही प्याज चाहिए होते है...ऐसे में छोटे साइज के प्याज किसानो को पहले ही अलग कर देने होते हैं जिनका कोई भाव नहीं मिलता और वो खेतों में सड़ते रहते हैं..
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निजीकरण पर हो रहा,नित नित वाद विवाद।
सही गलत के फेर में, उर में भरे विषाद।।
तर्क बुद्धि से सोच कर,करिये सही विरोध।
हित साधती, इसका रखिये बोध।।
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निश्छल आँसू प्रेम के, अंतस के उच्छवास !
अनुपम यह उपहार है, ले लो आकर पास ! 

दीपशिखा सी जल रही, प्रियतम मैं दिन रात !
पंथ दिखाने को तुम्हें, पिघलाती निज गात ! 
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जय माँ विंध्यवासिनी ,काली 
अष्टभुजा महरानी |
गंगा मैया पाँव तुम्हारा 
धुलती हे कल्यानी  |
पर्वत ,खोह ,नदी ,सागर में 
तेरी ज्वाला जलती ,
ज्ञान ,मन्त्र या तंत्र नहीं
माँ सिर्फ़ भक्ति से मिलती ,
कालिदास बन गया 
तुम्हारी महिमा से अज्ञानी |

--
कुछ महीन बूंदें ढक कर रखना
चाहे आगामी सुख, कच्चे
धान के शीर्ष में है कहीं
पिछले पहर की
अगोचर
कथा,
--
अपने वचारको गढ़ भी लो,
चेतना शिखर पर चढ़ भी लो !!!
नशा ख्याति का, बिना पिए ही
देखो कैसे झूम रहे हैं लोग !
उफ्फ ! कितना लिख रहे हैं लोग !!
--
आज का सफ़र यहीं तक 
फिर मिलेंगे 
आगामी अंक में। 
#अनीता सैनी 

13 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर रचनाओं की प्रस्तुति।बहुत बढ़िया।

    जवाब देंहटाएं
  2. धन्यवाद अनीता जी मेरी रचना शामिल करने के लिए |आज का अंक अच्छा लगा |
    उम्दा लिंक्स |

    जवाब देंहटाएं
  3. उपयोगी लिंकों के साथ सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
    आपका आभार अनीता सैनी जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. उम्दा लिंक्स.मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन प्रस्तुति
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  6. उम्दा लिंक्स संकलन । मेरे सृजन को चर्चा में सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही सुन्दर लिंक्स |हार्दिक आभार आपका

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह ! बहुत सुन्दर लिंक्स से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुंदर संकलन। विविध प्रकार की रचनाओं से सजी प्रस्तुति। मेरी रचना को शामिल करने हेतु सादर आभार।

    जवाब देंहटाएं
  10. मेरी रचना के शीर्षक और मेरे द्वारा रचित पंक्तियों की भूमिका !!मन अभिभूत हैं । हृदय तल से आभार ।
    आज की सभी रचनाएं बहुत आकर्षक सुंदर।
    सभी लिंक मोहक ।
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  11. उम्दा लिंको से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति...
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं

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