शीर्षक पंक्ति:आदरणीय डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
शुक्रवारीय प्रस्तुति में आपका
स्वागत है।
आज आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष (जब चाँद आसमान में दिखाई देता है) की दौज (द्वितीया तिथि) भगवान जगन्नाथ जी,बलभद्र जी और सुभद्रा जी की रथ यात्रा पुरी (उड़ीसा)में भगवान जगन्नाथ जी के मंदिर से आरंभ होती है जो गुंडिचा मंदिर पहुँचती है जहाँ आषाढ़ शुक्ल पक्ष की दसवीं तिथि तक विश्राम के पश्चात् रथयात्रा यथास्थान लौट आती है। पुरी की रथयात्रा विश्व प्रसिद्द है जिसके अनेक सांस्कृतिक एवं धार्मिक निहितार्थ हैं।
रथयात्रा की शुभकामनाएँ।
आइए पढ़ते हैं चंद चुनिंदा रचनाएँ-
उच्चारण: ग़ज़ल "मुकद्दर आजमाते हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
जिन्हें नाज़ों से पाला था, वही आँखें दिखाते हैं
हमारे दिल में घुसकर वो, हमें नश्तर चुभाते हैं
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जिन्हें अँगुली पकड़ हमने, कभी चलना सिखाया था
जरा सा ज्ञान क्या सीखा, हमें पढ़ना सिखाते हैं
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आओ मेरे प्रिय साथियों
कुछ हरी स्मृतियाँ संजोये,
बिखरे हैं जो बेशकीमती रत्न
बेमोल पत्थरों की तरह
उन्हें चुनकर सजायें,
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तुम्हें पता है?
उधमी बादलों का यों
गाहे-बगाहे उधम मचाना
सूरज को हथेली से ढकना
ज़िद्दीपन ओढ़े गरजना
संस्कारहीनता है दर्शाता
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हौसला रखने दे, जा, जाने दे बीता कल,
आज जो है, बस उसी में जी सकें इस पल ।
आने वाले कल का भी क्यों भय दिखाता है ?
मन कभी वैरी सा बन के क्यों सताता है ?
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आभार व्यक्त करते हैं उनको
जिनके सेवा से मिलता जीवन
रात-दिन और आठों पहर
जो करते हैं कठिन परिश्रम.
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उनका मान
और सम्मान भी
पिता की हथेलियों पर
नन्हा पग रखतीं
माँ की उंगली थाम जब
रखती है पहला कदम
तो उस एक पग में
जैसे नाप लेना चाहती है
सारा संसार
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प्रतिक्षाऐं हथेलियों पर
नमक की खेती करके
यादों के फसल कांटती हैं
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अब न कोई ख़ुदा बचा न फ़रियाद
बस एक उदासी जंगल है
गले लग रोने को न सागर है न साहिल
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फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
बहुत बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंमेरी ग़ज़ल की पंक्ति को
चर्चा का शीर्षक बनाने के लिए
आपका बहुत बहुत आभार
आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सराहनीय संकलन।
जवाब देंहटाएंमेरे सृजन को स्थान देने हेतु हृदय से आभार सर।
सभी को बधाई।
सादर
उत्कृष्ट लिंको से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को चर्चा में सम्मिलित करने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ. रविन्द्र जी !
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।
रथयात्रा की महत्ता भूमिका से स्पष्ट हुई।
जवाब देंहटाएंविविधापूर्ण सुंदर सूत्रों से सजी
सराहनीय प्रस्तुति में मेरी रचना शामिल करने के लिए अत्यंत आभार आपका।
सादर।
बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति, रथयात्रा की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिकों से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति…
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को सम्मिलित करने हेतु हृदय से धन्यवाद रविन्द्र जी ! सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं । देरी से प्रतिक्रिया देने के कारण क्षमा करिएगा 😊🙏
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