शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
मित्रों! आज देखिए कुछ अद्यतन लिंक!
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ग़ज़ल "आने लगा है मज़ा मात में" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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.....और जब उन्हें मेरी खबर मिली तो नवाजिशें भारी पड़ने लगीं एक सुबह अचानक अखबार पढ़ते-पढ़ते मुझे दिखना एकदम बन्द हो गया। मेरे ज्येष्ठ पुत्र नीरज ने घबराकर श्री बैरागीजी को फोन किया। बैरागीजी ने प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक डा. नरूला से बात की और मुझे नीमच बुलाया। न सिर्फ बुलवाया, बल्कि प्रदेश के यशस्वी पूर्व मुख्यमन्त्री श्री दिग्विजय सिंह से वार्ता कर मेरे न चाहने पर भी आर्थिक सहायता देकर फिर इस दुनिया के (मुझे मिलाकर) मनहूस चेहरे देखने की दिव्य दृष्टि मुझे प्रदान की। आईना आज भी मुझे हैरत से देखता है।
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कलम दवात हुए छू मंतर
तख़्ती बुतका ग़ायब ।
कम्प्यूटर का चला जमाना
पढ़े लिखेंगे सब ॥
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उतरी शिखर चोटी
खरी वो पावनी विमला।
जाकर मिली सागर
बनी खारी सकल अमला।
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हर शख़्स की है अपनी कल्पना, अपनी हीभविष्यवाणी, जल प्रलय हो या हिम -
युग की वापसी, या भस्मीभूत
होती हुई ये ख़ूबसूरत
पृथ्वी, शून्य से
शून्य तक
फिर भी
रहती है कहीं न कहीं, आबाद ये यायावर
ज़िन्दगी ! अग्निशिखा :
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ख्यातनाम अमेरिकी फोटोग्राफर स्टीव मैक्करी का खींचा एक चित्र है - डस्ट स्टॉर्म। जगह जैसलमेर की है, साल 1983 का। बैकग्राउंड में गहरी आँधी है, आँधी से आगे पाँच-सात औरतें खड़ी हैं। लाल रंगी ओढ़नी ओढ़े, हाथों-पैरों में टड्डे-कड़ले पहने, साथ-साथ खड़ी औरतें। लेकिन आज की बात इन औरतों की नहीं है। बात चित्र में जमीन पर पड़े रीते घड़े और खाली मटकी की भी नहीं है। Bahut-kuch : बहुत कुछ--
"कुछ नहीं है हम इंसान,
मूली हैं ऊपर वाले के खेत की" ।
सुना तो सोचा क्या सच में
हम मूली (पौधे) से हैं ऊपर वाले के
सृष्टि रूपी खेत की ?
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जो अनंतानंत ब्रह्माडों का स्वामी है
वही भीतर ‘मैं’ होकर बैठा है
एक होकर मानो दो में बंट गया है
समय अखंड है, अखंड है चेतना
जैसे जीवन अखंड है
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पवन शर्मा की लघुकथाओं पर बनी दो लघु फ़िल्में
देश के लघुकथाकार पवन शर्मा की दो लघुकथाओं - "स्कूल कथा" और "अनुभव" पर बेगूसराय ( बिहार ) के दूरदर्शन के पूर्व अधिकारी अनिल पतंग ने अपने यू-टयूब चैनल स्टॉप टीवी स्टूडियो क्रिएटिव विजन नेटवर्क के माध्यम से लघु-फ़िल्में बनाई हैं | इन दोनों फिल्मों को यू-ट्यूब चैनल पर रिलीज किया गया है कवि श्रीकृष्ण शर्मा (Kavi Shrikrishna Sharma)--
गुरुपूर्णिमा के शुभ अवसर पर
आस्था दीप जला सदगुरु वाक्यों का अनुकरण करो....
'तुलसी' की पूजा करने वालों, 'गंगा' के गीत लिखो
कटीली टहनियों पर भी खिलते हैं महकते फूल,
दुश्मन की हथेली पर भी प्रेम गीत लिखो।
सागर लहरें उर्मिला सिंह
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पशुओं के ट्रांसपोर्टेशन के लिए फोटो जरूरी ताकि क्रूरता रुके।
कही-अनकही--
दादू सब ही गुरु किए, पसु पंखी बनराइ
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एक सेक्स वर्कर की आत्मकथा (पुस्तक समीक्षा)
अजब अंदाज़ से हिलते हाथ पांव
और उसके खड़े होने का अंदाज़
जैसे किसी कला की नुमाइश करता लग रहा था
(पर मज़बूरी से भरा था )
खिलखिला के हँसना बेमतलब था
( पर लग नहीं रहा था )
कोने के दबा कर कभी होंठ कभी नखरा दिखा कर
(किसी रंगमंच सी कठपुतली सा था )
बहुत कोशिश थी उन उदासी .
उन चिंताओं को भुलाने की
जो घर से चलते वक़्त
बीमार बच्चे के पीलेपन में दबा आई थी
सिमटे हुए बालों में गजरा लगा कर
कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se ** रंजू भाटिया
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भारतीय नौजवानों ने देश कमजोर करने की कोशिश असफल कर दी
बतंगड़ BATANGAD--
हवा भी
Tarun's Diary- "तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."
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आमरस में दूध डालना चाहिए या नहीं?
आपकी सहेली ज्योति देहलीवाल--
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आज के लिए बस इतना ही...!
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बहुत सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंसादर
सुप्रभात !
जवाब देंहटाएंहर विधा की सुंदर रचनाओं का पठनीय संकलन ।
रचनाओं का परिचय ही सूत्रो पर जाने को प्रेरित कर रहा । रोचकता से भरे इस अंक में मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय शास्त्री जी। सभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।
उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉगपोस्ट सम्मिलित करने हेतु बहुत-बहुत आभार!
जवाब देंहटाएंसाहित्य की उन्नति का शानदार प्रयास है आपका |
जवाब देंहटाएंवृहद लिंक समेटे बहुत सुंदर चर्चा।
जवाब देंहटाएंसभी सामग्री उपयोगी, आकर्षक और पठनीय।
सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को चर्चा में स्थान देने के लिए हृदय से आभार।
सादर।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और उपयोगी लिंक धन्यवाद आपका मेरे लिखे को शामिल करने के लिए ।
जवाब देंहटाएंविविध विषयों पर इतने सारी रचनाओं के सूत्रों से सजा सुंदर चर्चा मंच, आभार मुझे भी शामिल करने हेतु शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंउम्दा एवं पठनीय लिंक्स से सजी बहुत ही सुन्दर चर्चा प्रस्तुति ।मेरी रचना को भी चर्चा में सम्मिलित करने हेतु तहेदिल से धन्यवाद आपका ।
जवाब देंहटाएंसादर आभार।
बहुत सुंदर प्रस्तुति सभी लिंक उम्दा
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत चर्चा संकलन
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच में 'दिल बहकने लगा आज ज़ज्बात में' प्रस्तुत मेरी लघुकथाओं पर बनी लघु फ़िल्मों की चर्चा करने पर आपका हृदय से आभार और धन्यवाद 🙏
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