सादर अभिवादन
आज की विशेष प्रस्तुति में
आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
"शून्य"अपने आप में कुछ नहीं मगर जब वो किसी से जुड़ता जाता है तो उसकी कीमत बढ़ती जाती है।
कोई सफर भी शून्य से ही शुरू होता है और शून्य पर जाकर ही ख़त्म होता है।
मगर जब-जब किसी शून्यरुपी अर्द्धविराम पर हम एक पल के लिए रूकते हैं तो पीछे मुड़कर जरूर देखते हैं कि अबतक का हमारा सफर कैसा था ? सफर कितना सुखद रहा,याद करते हैं कि-राह में कितनी अड़चनें आई थी,कैसे हमने उसका समाधान किया था ? कितने हमसफ़र मिले, कितने साथ है कितने बिछड़ गए और कितने नये जुड़ गए,फिर आगे की ओर देखते हैं और कामना करते हैं कि हमारा "सफर यूँ ही जारी रहें" निरन्तर, निर्विरोध, रुकें भी तो एक सुखद पड़ाव पर।
एक-एक शून्य जोड़ते हुए आज चर्चा मंच ने भी 4500 वें पायदान पर कदम रखा है।
आज चर्चा मंच के लिए एक सुखद दिन है और मेरे लिए भी कि-मुझे इस प्रस्तुति के बहाने पीछे मुड़कर देखने का सुअवसर मिला। विगत 13 वर्षों से इस मंच को कितने ही सम्मानित चर्चाकारों ने सजाते-संवारते हुए इस मुकाम पर पहुंचाया है। उनमें से बहुतों से तो मैं परिचित भी नहीं हूं । लेकिन इतना जानती हूँ कि ये सभी चर्चाकार के साथ-साथ सर्वश्रेष्ठ रचनाकार भी थे।इन सभी के प्रति मेरी अगाध श्रद्धा है।
उन सभी वरिष्ठ चर्चाकारों को मेरा सत-सत नमन
- वरिष्ठ चर्चाकार "रविकर जी" जिन्हें इस मंच का "1000वाँ" अंक प्रस्तुत करने का सौभाग्य मिला था उन्होंने ने कहा था-
- शास्त्री जी गुरुनाम धन्य, रूप मंच का श्रेष्ठ ।
- सतत परायण चिकित्सक, नर नारायण ठेठ ।
- नर नारायण ठेठ, मंच को साजा एकल।
- चर्चा का आलेख, बढाया कितना दल बल ।
- प्रस्तुति हों उत्कृष्ट, सजे हर दिन यह चर्चा ।
- रहें स्वस्थ सानंद, पाठकों पढ़ लो पर्चा ।।
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ललनाएँ सीता जैसी हों, भरत-लखन से भाई हों,
वीर शिवा जैसे प्रसून हों, कलियाँ लक्ष्मीबाई हों,
आजादी के परवानों का, गाँव-नगर में हो सम्मान।
अपनी कुटिया बन जाएगी सुन्दर विमल-वितान।।------------
शेष दोहे (रविकर जी)
दोनों से क्रमशः मिले, लक्ष्य सुकीर्ति-अपार।।
जीत अनैतिकता रही, रिश्ते हुए स्वछंद।
लंद-फंद छलछंदता, हैं हौसले बुलंद।।
दुश्मन घुसा दिमाग में, करे नियंत्रित सोच।
जगह दीजिए दोस्त को, दिल में नि:संकोच।।
कोई कवि नहीं था,रावण के राज्य में
(आ.यशोदा अग्रवाल दी )
तुम और तुम्हारे राज्य की
भाषा भी बची हुई है
वह तो केवल साहित्य है
जहाँ तुम हो,
वहीं तुम्हारी भाषा भी है!
साहित्य ही पहचानता है कि
राम क्या है और
रावण क्या नहीं है
समय का वज्र (आ.रविंद्र सर जी )
प्रतीक्षा के पर्वत के छोर पर
कब प्रभात के तारे का
सुखद आगमन होगा?
लोक-मानस में
अधीरता के आयाम
इतिहास की उर्वरा माटी पर
चक्रव्यूह (आ. संगीता स्वरूप दी )
पर जब उठता है उद्वेग
तब ज्वार - भाटे का रूप ले
चक्रव्यूह सा रचा जाती हैं
फिर लहरों का चक्रव्यूह
तूफ़ान लिए आता है
शांत होने से पहले
न जाने कितनी
आहुति ले जाता है ।( आ. दिलबाग सिंह जी )
तब ज्वार - भाटे का रूप ले
चक्रव्यूह सा रचा जाती हैं
फिर लहरों का चक्रव्यूह
तूफ़ान लिए आता है
शांत होने से पहले
न जाने कितनी
आहुति ले जाता है ।
- मेरा नशा.... ? ( आ. विभा दी)
नशा , शराब का ,
नशा , खूबसूरती का ,
नशा , उच्चे पद का ,
नशा , एकत्रित धन का ,
नशा , इबादत " रब " का ,
मेरा नशा.... ?
अच्छा या बुरा.... ?
समझ में नहीं आरहा.... तलाश ,
(आ.दिग्विजय अग्रवाल सर जी)
"अपनी सोनल का रिश्ता आया है,
अच्छा ला ईज्जतदार सुखी परिवार है,
लडके का नाम युवराज है.
बैंक मे काम करता है.
बस सोनल हाँ कह दे तो सगाई कर देते है."
सोनल उनकी एका एक लडकी थी..
घर में हमेशा आनंद का वातावरण रहता था.
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एक प्रश्न( आ. कुलदीप सर जी)
एक प्रश्न
वो बेटी
ईश्वर से पूछती है,
क्यों भेजा गया
मुझे उस गर्भ में,
जहां मेरी नहीं
बेटे की चाह थी....
एक प्रश्न
वो बेटी
उस मां से पूछती है,
"तुम तो मां हो
क्या तुम भी
चर्चा मंच का 4500वाँ अंक बहुत शानदार रहा।
जवाब देंहटाएंआपके श्रम को नमन कमिनी सिन्हा जी!
सम्मानित हमेशा ये मंच रहें
जवाब देंहटाएंचर्चाकारों की महफ़िल सजी रहें
मैं साथ ना रहूँ, कोई और रहें
पर कारवां यूँ ही बढ़ता रहें …
सर्वप्रथम मंच को नमन ! चर्चा मंच के 4500 वें अंक और अवतरण दिवस की आदरणीय शास्त्री सर सहित आप सभी चर्चाकारों को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ ।चर्चा मंच निरन्तर लोकप्रियता के सोपानों पर अग्रसर रहे यही कामना करती हूँ । श्रमसाध्य संग्रहणीय अंक में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी ।
चर्चा मंच का ४५००वां अंक ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और उत्कृष्ट रचनाओं से सजा हुआ आज का अंक संग्रहणीय है । कामिनी जी आपका बहुत आभार । आदरणीय शास्त्री जी सहित चर्चा मंच के सभी सम्मानीय रचनाकारों को मेरा नमन और वंदन । उनके अथक परिश्रम और प्रयास से हम सभी रचनाकारों को प्रेरणा और प्रोत्साहन मिलता है । इसी आशा और विश्वास के साथ, चर्चा मंच को और सभी रचनाकारों को बधाई और शुभकामनाएं।
चर्चा प्रस्तुति के ४५०० अंक पूरे होने पर सभी चर्चाकारों को हार्दिक बधाई, शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंसम्मानित हमेशा ये मंच रहें
जवाब देंहटाएंचर्चाकारों की महफ़िल सजी रहें
मैं साथ ना रहूँ, कोई और रहें
पर कारवां यूँ ही बढ़ता रहें
बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति
बहुत बहुत बधाई ढेरों शुभकामनाएं
अनवरत जारी रहे
चर्चामंच के 4500 अंक पूरे होने पर इस मंच के चर्चाकारों को हार्दिक बधाई । शास्त्री जी की लगन और निरंतर लेखन के समक्ष नतमस्तक हूँ । ये मंच यूँ ही नए आयाम स्थापित करे ।
जवाब देंहटाएंइस मंच के प्रति मैं कृतज्ञ हूँ । ब्लॉग जगत में मेरी पहचान करवाने में इस मंच की सशक्त भूमिका रही है । शास्त्री जी को इसके लिए मैं हृदय से धन्यवाद देती हूँ ।
पुनः एक बार सभी को बधाई और शुभकामनाएँ।
उम्दा चर्चा।चर्चामंच के 4500 अंक पूरे होने पर इस मंच के सभी चर्चाकारों को हार्दिक बधाई । खासकर आदरणीय शास्त्री जी के श्रम को मैं नमन करती हूं। इस मंच ने मेरे जैसे कई ब्लॉगर्स को एक नई पहचान दिलवाई है।
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएं4500 वें कदम की बधाई एवं शुभकामनाएँ।
सादर
आप सभी की उपस्थिति से मेहनत सफल हुई, आप सभी आदरणीय जो सस्नेह शुभकामना देने आए उनकी आभारी हूं और जो आदरणीय किसी कारणवश मंच पर उपस्थित होने में असमर्थ रहे उन्हें भी सादर नमन
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