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बुधवार, जुलाई 20, 2022

"गरमी ने भी रंग जमाया" (चर्चा अंक-4496)

मित्रों!

बुधवार की चर्चा में आपकी स्वागत है।

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बालकविता "चौमासे का मौसम आया" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

चौमासे का मौसम आया,
सूरज ने तन-मन झुलसाया। 
तन से टप-टप बहे पसीना
गरमी ने भी रंग जमाया।  

उच्चारण 

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सावन आने वाला है.. बेटी विमर्श 

ले लो ले लो हरी चूड़ियाँ
सावन आने वाला है 

गली गली में घूम बिसाती

बेच रहा मतवाला है 


चार बेटियाँ मुन्नू के घर

चौखट पर हैं रोक पड़ीं 

घूर रहे हैं ताऊ कक्कू

क्यों द्वारे पर हुईं खड़ीं 

देख देख के लोग हँसेंगे,

ये घर बेटी वाला है ॥ 

जिज्ञासा की जिज्ञासा 

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अंतर में जब ध्यान सधे जब साधक सबके आदिकारण निगुर्ण तत्त्व को ध्‍यान के द्वारा अपने अन्‍त:करण में प्राप्‍त कर लेता है, तब कसौटी पर कसे हुए सोने के समान ब्रह्म के यथार्थ स्‍वरूप का ज्ञान होता है।जब  बुद्धि अन्‍तर्मुखी होकर हृदय में स्थित होती है, तब मन विशुद्ध हो जाता है।​​

 

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गिरिधारी छंद "दृढ़ संकल्प" 

गिरिधारी छंद विधान -
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"सनयास" अगर तू सूत्र रखे।
तब छंदस 'गिरिधारी' हरखे।।
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"सनयास" = सगण, नगण, यगण, सगण।
112  111  122  112 = 12 वर्ण का वर्णिक छंद। चार चरण, दो दो समतुकांत।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया 

Nayekavi 

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रिश्तों की पहचान 

सीखो सीखो कुछ जानों 

 कुछ  की असलियत  पहचानों 

सही गलत का भेद जानो 

सभी एक जैसे नहीं होते समझो |

एक ही कला निर्णायक  नहीं होती

 रिश्तों की जांच परख करने  की  

Akanksha -asha.blog spot.com 

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इंसानियत कभी खत्म नहीं होती 

हमारे देश में अनगिनत लोग ऐसे हैं जो अपने दायरे में रह कर दूसरों की मदद करना चाहते हैं पर उन्हें समझ नहीं आता कि शुरुआत कैसे करें ! इसलिए शेकर जैसे परोपकारी नजरिया रखने वाले लोगों के उपक्रम का देश के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचना अति आवश्यक है ! जिससे और लोग भी अपने तरीके से समाज की सेवा कर सकें ! साथ ही उन पराजीवियों व मुफ्तखोरों को भी सबक मिल सके जो अपने जीवनयापन के लिए भी सदा दूसरों के मोहताज रहते हैं ! अपनी जिंदगी का बोझ समाज के कंधों पर लाद देते हैं ! खुद की अक्षमता का दोषारोपण भी सरकार को देते रहते हैं !

कुछ अलग सा 

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गरीब के घर में बच्चा नहीं, हमेशा बूढ़ा ही पैदा होता है। बैरागीजी के साथ अनेक प्रसंग जुड़े हुए हैं, लेकिन मैं एक महत्वपूर्ण प्रसंग का उल्लेख करना चाहूँगा। अभी अमेरिका में आयोजित आठवें विश्व हिन्दी सम्मेलन की कार्यसमिति में बैरागीजी सदस्य थे और उसकी उपसमिति में मैं भी सदस्य था। मेरे पास विदेश से एक मेल आई, जिसे कि राहुल गाँधी के चरित्र को कलंकित करने के प्रचार के उद्देश्य से भेजा गया था। उस मेल को फॉरबर्ड करनेवाले मित्र ने यह भी बता दिया कि विश्व हिन्दी सम्मेलन के समय जो लोग अमेरिका आएँगे, वहाँ पर एक समानान्तर सम्मेलन करने का प्रयास भी किया जा रहा है कि सरकारी खर्च पर गए लोग उस सम्मेलन में भी चले जाएँगे। मैंने इस ई-मेल की सूचना से कार्यसमिति के सदस्यों को अवगत कराना उचित समझा। कार्यसमिति की बैठक के बाद मुझे यह जानकर हर्ष हुआ कि बैठक में सबसे अधिक प्रखर रूप से सभी सदस्यों के बीच बैरागीजी ने इस मुद्दे को उठाया और सर्वसम्मति से यह निर्णय हुआ कि सभी सदस्य 2 जुलाई को ही अमेरिका के लिए रवाना होंगे और संयोग ही था कि आठवें विश्व हिन्दी सम्मेलन के समय प्रकाशित विशेषांक के विमोचन के समय भी बैरागीजी सामने बैठे हुए थे। जब मुझे मंच पर आमन्त्रित किया गया तो इस बार मैंने हाथ पकड़ा और कहा, ‘चाचा चलिए’ और वह मुस्कराकर मेरे साथ चल दिए और आज तक यूँ ही उनका साथ और आशीर्वाद जारी है। 

 
अपनी पुस्तक ‘ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रतिबंधित साहित्य में गांधी’, राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद को भेंट करते हुए श्री राकेश पाण्डेय। 
चित्र श्री राकेश पाण्डेय की फेस बुक वाल से।  

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अकेलापन संसार में सबसे बड़ी सजा है 

पिछले दिनों जब मैं छत पर गया तो यह देखकर हैरान रह गया कि मेरी पत्नी ने कुछ दिन पहले घर की छत पर जो गमले रखवाकर उनमें पेड़-पौधे लगाए थे, वे फल-फूलों से लदने लगे थे। मैंने देखा कि एक नींबू के पौधे में दो नींबू लटके हुए थे और एक मिर्च के पौधे में दो-चार हरी-हरी मिर्च भी तनी हुई थी। जब मैंने देखा कि मेरी पत्नी एक मुरझाये बांस के पौधे का बड़ा गमला घसीट कर दूसरे गमले के पास कर रही थी तो मैंने जिज्ञासा बस कारण पूछा तो वह बोली, 'यहाँ यह बांस का पौधा सूख रहा है, इसलिए इसे खिसकाकर दूसरे पौधों के पास कर रही हूँ।"  यह सुनकर मैं हँस पड़ा और मैंने कहा, 'अरे पौधा सूख रहा है तो उसे खाद-पानी दो, इस तरह खिसकाकर दूसरे पौधे के पास कर देने से क्या होगा? मेरी बात सुनकर पत्नी मुस्कुराते हुए बोली,'अरे ये पौधा यहाँ अकेला होने से मुरझा रहा है। इसलिए इसे मैंने दूसरे पौधे के पास कर दिया है, अब देखना यह फिर से लहलहा उठेगा। 

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इंतज़ार - एक प्रेम का ... 

मालुम है ले गया था 
तुम्हारे होठों की खिलखिलाती हँसी
वो खनकते कंगन
नीले आसमानी रँगों वाली काँच की चूड़ियाँ 
वो टूटी पाजेब ... 
धागे के सहारे जिसे पांवों में 
अटका रखा था तुमने
 
हर वो शै जिसमें तुम्हारे होने का 
एहसास हो सकता था
मेरे ट्रंक में सहेज दी थी तुमने
अगर सही सही कहूँ ... 
तो ले आया था मैं उसे ... 

स्वप्न मेरे दिगम्बर नासवा

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जापानी फिल्म - ‘माई नेबर टोटोरो’ 

आज शाम सोसइटी के अड्डा एप पर नोटिस आया कि पास वाले गाँव में  में भी कोरोना का एक मरीज़ मिला, जिसकी मृत्यु के बाद पता चला उसे यह रोग था। पंचायत ने वह इलाक़ा बंद कर दिया है, पिछला गेट भी बंद हो गया है, कल से नैनी का आना भी बंद हो जाएगा, सुबह का टहलना भी सीमित दायरे में होगा। बड़े ननदोई कल कोविड टेस्ट कराएँगे, उन्हें कई दिन से बुख़ार था। आइसोलेशन में ठीक हो जाने का इंतज़ार कर रहे थे। नन्हे से बात हुई, उसने कहा किसी भी वैक्सीन को आने में कई वर्षों का समय लगता है। कोविड की वैक्सीन जल्दी भी आयी तो एक-डेढ़ वर्ष का समय तो लगेगा।

एक जीवन एक कहानी 

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अमिट सत्य 

मृत्यु अमिट सत्य है अपनी जगह,

और सत्य की मृत्यु

कभी होती नही, 

वो निर्वस्त्र हो कर 

अंतरतम के

सौंदर्य

को

उजागर करता है 

अग्निशिखा 

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पानी रे पानी 

शाम को जब मैं सैर के लिए निकलता हूँ तो मैं भी वही रास्ते चुनता हूँ जहाँ हरियाली और जल देखने को मिलें। आज आप दुनिया में कहीं भी रहें, अपने आसपास के बदलते हुए पर्यावरण से अनभिज्ञ नहीं रह सकते। इस बदलाव में बढ़ते तापमानों और जल से जुड़ी चिंताओं का विषेश स्थान है।
ऊपर वाली तस्वीर का सावन के जल से भरा हुआ तालाब भारत के छत्तीसगढ़ में बिलासपुर के करीब गनियारी गाँव से है।

जो न कह सके 

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मुझे बना दो श्वेत शिला 

ऐ शिल्पी तू मुझे बना दे,

देवालय   का   महादेव!

नित जल से स्नान करूँ,

घोष होय  जय महादेव!

अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। 

काव्य दर्पण 

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मुलाक़ात 

तुझे खोकर बहुत दिनों तक ढूंढता रहा मैंने तुझे 
आ भी जाओ  के कई दिन हुए खुद से मिले हुए 
©अनामिका 

कविता 

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धाराप्रवाह( Fluent) अंग्रेज़ी बोलने के पाँच आसान तरीके! कोई जरूरी नहीं कि वही व्यक्ति आपका साथी हो जिसकी अंग्रेज़ी बहुत अच्छी हो। आप किसी भी ऐसे व्यक्ति के साथ अपना अभ्यास कर सकते हैं जिसे अंग्रेज़ी भाषा में रुचि हो और जो  अंग्रेज़ी जानता भी हो। उसके साथ आप अपना अभ्यास कर सकते हैं। कुछ दिनों में ही आपको लगेगा कि आपका  आत्मविश्वास (Confidence)  बढ़ रहा है। 

वोकल बाबा 

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कहानी के बारे में  बाजार के आक्रमण के साथा कहानियांं में अनाश्यक विवरणनेट से प्राप्त सूचनाओंभाषा और शिल्प के चमत्कार से भरी कहानियां बड़ी कहानियां मानी जाने लगी और ऐसा लगने लगा कि अब कहानीयां लिचाने के नियम अब मल्टीनेश्नल ही ही निर्धारित करेंगी। लेकिन यह दौर बहुत छोटा रहा। यह पत्रिकाओं का दौर है। हर शहर से पत्रिकाएं निकल रही हैं। कहानियों का धरातल व्यापक हुआ और विविध मिजाज की कहानियां लिखी जा रही है। कहीं कहानी का पारम्परिक ढांचा मौजूद है और कहीं उसका अतिक्रमण भी हो रहा है। 

लिखो यहां वहां 

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जीएसटी गाथा 

माननीया वित्तमंत्री जी को हमारा एक सुझाव -
महोदया !
आप सुविधा-शुल्क, तबादला-शुल्क,
नियुक्ति-शुल्क, बयान बदल-शुल्क
तथा दल-बदल शुल्क को भी जीएसटी के
दायरे में ला कर अपने ख़ज़ाने में
बे-हिसाब इजाफ़ा कर सकती हैं.
एक अरदास -
मैं मरूंगा तो मुझे टैक्स भी, भरना होगा,
जेब ख़ाली है, मेरी मौत अभी टाल ख़ुदा !

तिरछी नज़र 

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उन्होंने बताया था - किसे कहेंगे छत्तीसगढ़िया ? 

डॉ. बघेल ने छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के सपने को साकार करने के लिए वैचारिक और राजनीतिक धरातल पर लम्बा संघर्ष किया  था ,लेकिन अफ़सोस कि वह अपने इस स्वप्न को साकार होता हुआ नहीं देख पाए। 

उनकी  आज 122 वीं जयंती है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।                            

राज्य आंदोलन के प्रमुख आधार स्तंभ  

मेरे दिल की बात 

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आज के लिए बस इतना ही...!

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9 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात !
    आदरणीय शास्त्री जी, आपको मेरा सादर प्रणाम!
    साहित्य की विभिन्न विधाओं से परिपूर्ण उत्कृष्ट अंक सजाने के लिए आपका हार्दिक अभिनंदन। इस सुंदर अंक में मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका विनम्र आभार । सभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  2. रूपचंद्र जी, हमेशा की तरहा आप ने बहुत सी सुंदर कड़ियों को जोड़ा है। उनमें मेरे आलेख को जगह देने के लिए धन्यवाद

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  3. सुप्रभात! विविधरंगी विषयों से सजी सुंदर चर्चा, मेरी रचनाओं को यहाँ स्थान देने हेतु बहुत बहुत आभार

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  4. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट सम्मिलित करने हेतु आभार

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  5. सदा की तरह उत्कृष्ट अंक ! मान दे सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार

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  6. बहुत सुंदर ब्लॉग पोस्ट,,,, हृदय से आभार

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  7. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति

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  8. बहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरे आलेख को भी जगह देने के लिए हार्दिक आभार।

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